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प्रभात खबर विशेष: अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करना भारत की बड़ी जीत- प्रधानमंत्री मोदी

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को नई दिल्ली स्थित अपने आवास पर दैनिक अखबार प्रभात खबर से विशेष बातचीत की। इस बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा चुनाव, मसूद अजहर पर प्रतिबंध, सर्जिकल स्ट्राइक, राष्ट्रवाद सहित तमाम मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की।

पढ़िए प्रधानमंत्री मोदी से प्रभात खबर के प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी का पूरा साक्षत्‍कार-

-चुनाव के चार चरण समाप्त हो चुके हैं, सीटों में एनडीए को आप कहां पाते हैं?
इस सवाल का जवाब देश की जनता ही दे सकती है। हालांकि, मैं इतना जरूर देख सकता हूं कि भाजपा के साथ-साथ एनडीए की सीटों में भी वृद्धि होगी, यह निश्चित है। जमीन पर न करंट है, न अंडरकरंट, बल्कि एनडीए के पक्ष में सुपर करंट है। यहां तक कि बच्चे-बच्चे की जुबां पर है- आयेगा तो मोदी ही। चार चरणों के मतदान के बाद महामिलावटी विपक्ष सर छुपाने की जगह ढूंढने में लग गया है। जो लोग कुछ दिन पहले तक आपस में, ‘कौन बनेगा प्रधानमंत्री’ का खेल खेल रहे थे, चार चरणों की वोटिंग के बाद वे छुपम-छुपाई में जुट गये हैं।

-आपने देश के हर हिस्से का दौरा किया। लोगों का फीडबैक कैसा रहा है?
मैं देश में जहां भी जाता हूं, मुझे लोगों का जबर्दस्त प्यार, उत्साह और समर्थन मिलता है। यह पहला चुनाव है, जब जनता चुनाव प्रचार कर रही है। मुझे यह देख कर खुशी होती है कि कैसे लोग मोदी सरकार के अच्छे कामों के बारे में खुद आगे आकर बता रहे हैं। इससे प्रो-इनकंबैंसी लहर पैदा हुई है, जो आमतौर पर देखने को नहीं मिलती है। लोगों ने हमारे अच्छे कामों को देखा और उससे लाभान्वित हुए हैं। इसलिए वे इस विकास यात्रा को जारी रखना चाहते है। आप खुद भी देख सकते हैं कि तीसरे चरण के बाद से ही विपक्ष ने बहाने ढूंढने शुरू कर दिये हैं।

उन्होंने इवीएम को दोष देना शुरू कर दिया है। कोई कहता है कि हमारा यहां-यहां गठबंधन नहीं हुआ, इसलिए स्थिति कमजोर है। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि नतीजे क्या आने वाले हैं, यह उन्हें भी पता है। वे खुले तौर पर स्वीकार कर रहे हैं कि बहुमत के करीब नहीं पहुंच पायेंगे। उन्हें बस 2014 के अपने आंकड़ों में कुछ सुधार की उम्मीद है। जब कांग्रेस को ही अपनी जीत पर भरोसा नहीं है, तो आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि देश में कितनी बड़ी प्रो-इनकंबैंसी लहर चल रही है।

-ओड़िशा और पश्चिम बंगाल से भाजपा को बहुत उम्मीदें हैं। कितनी सीटें मिलेंगी?
ओड़िशा और पश्चिम बंगाल को भी भाजपा से बहुत उम्मीदें हैं। ये राज्य विकास के लिए तरस रहे हैं। इन राज्यों के लोगों से भाजपा को जो प्यार और सम्मान मिल रहा है, उसे आप देखेंगे, तो यकीन हो जायेगा।

भाजपा को मिल रहे प्यार से उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों की चिंता तो स्वभाविक है। सरकार बनाने के दिन से पूर्वी भारत का विकास हमारी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में रहा है। इन राज्यों के लोगों ने देखा है कि कैसे हमारी सरकार ने वहां के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए बड़ी ही तेजी से बड़े पैमाने पर काम किया है। हमारे लिए ओड़िशा और पश्चिम बंगाल की सीटें जीतने के लिए नहीं हैं, बल्कि वहां के लोगों की सेवा करने का अवसर हैं।

-पश्चिम बंगाल में आपके समर्थकों को वोट देने में काफी कठिनाई आ रही है। इससे बाकी चरणों में कैसे निबटेंगे?
लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्य भारत के डीएनए में हैं। जब-जब किसी ने भारतीय लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने, खुद को लोकतंत्र से ऊपर समझने की कोशिश की है, तब-तब लोगों ने उन्हें सबक सिखाया है।

आपातकाल के बाद कांग्रेस का भी यही हाल हुआ था। यही हाल वामपंथियों का हुआ था और यही हाल दीदी का भी होगा। पश्चिम बंगाल में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से लेकर बूथ-कार्यकर्ता तक, हर कोई दीदी की दादागिरी का शिकार हो रहा है। पश्चिम बंगाल की जनता ने दीदी को तब बहुत उम्मीद से वोट दिया, जब उन्होंने कहा कि वह ‘परिवर्तन’ लायेंगी, लेकिन दीदी ने भी वामपंथ की हिंसा वाली राजनीति का ही अनुसरण किया। सिर्फ रंग में ही ‘परिवर्तन’ आया। लेफ्ट के राज में हिंसा का रंग लाल था, दीदी के राज में हिंसा का रंग नीला है।

अगर दीदी ने बंगालियों के सपनों को पूरा करने के लिए काम किया होता, तो उन्हें इस तरह की दादागिरी का सहारा नहीं लेना पड़ता। टीएमसी द्वारा की जा रही हिंसा से मुझे काफी दुख होता है, लेकिन उससे भी ज्यादा दुख इस बात का है कि कांग्रेस और मीडिया ने, जो चिल्ला-चिल्ला कर कहते हैं कि देश में लोकतंत्र खतरे में है, पश्चिम बंगाल की स्थिति पर पूरी तरह से आंखें मूंद ली हैं, चुप्पी साध ली है। हालांकि, लोगों की चुप्पी टीएमसी को उसकी हिंसा का जवाब देगी। पश्चिम बंगाल ने टीएमसी के गुंडों का मुकाबला करने के लिए खुद को इस चुनावी मौसम में एक मंत्र दिया है- चुपचाप, कमल छाप, बूथ-बूथ से, टीएमसी साफ।

-बिहार और महाराष्ट्र में भाजपा ने जदयू और शिवसेना को सीट बांटने में उदारता बरती है। क्या पार्टी को लगा था कि इन सहयोगियों के बिना यूपीए को मात देने में परेशानी आयेगी?
मुझे नहीं लगता कि यह विश्लेषण सटीक है। आप मुझे बताइए, पहले इसी मीडिया ने कहा था कि भाजपा ने सहयोगियों को पर्याप्त सीटें नहीं दी हैं।
अब वही मीडिया कह रहा है कि भाजपा सीट बंटवारे में काफी उदार हो गयी। मैं आपको बताना चाहूंगा कि इस तरह के फैसले जमीनी हकीकत, उस स्थान पर पार्टियों की ताकत और अन्य स्थानीय मुद्दों को ध्यान में रख कर लिये जाते हैं।

-बिहार और झारखंड में पार्टी का प्रदर्शन कैसा रहेगा, आप क्या उम्मीद करते हैं?
बिहार और झारखंड की जनता हमें 2014 से भी अधिक प्यार और आशीर्वाद देगी। इन दोनों राज्यों में लोगों ने कास्टिज्म, क्राइम और करप्शन की कुरीतियों को सिरे से नकार दिया है। लोग अब न्यू इंडिया का समर्थन कर रहे हैं, जहां किसी भी प्रकार की कुरीति के लिए कोई जगह नहीं है।

-मप्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ भाजपा के गढ़ थे, जिन्हें विधानसभा चुनाव में झटका लगा। लोकसभा चुनाव में क्या उस झटके से भाजपा निकल पायेगी?
कांग्रेस सरकारों ने इन राज्यों की जनता से ढेरों वादे किये थे और सरकार बनने के कुछ ही महीनों के भीतर ही उनकी असलियत सबसे सामने आ गयी।

लोगों को इस बात का एक और रिमाइंडर मिल गया कि कांग्रेस पार्टी का डीएनए कभी नहीं बदलने वाला। इन राज्यों में बिजली कटौती, भ्रष्टाचार, अपराध जैसी चीजें शुरू हो गयी हैं। सभी ने देखा कि जब मुख्यमंत्री वोट देने गये थे, तो कैसे बिजली गुल हो गयी थी। इससे पहले कि मैं कांग्रेस की भ्रष्ट राजनीति पर कुछ कहूं, कांग्रेस ने खुद ही लोगों को बता दिया है कि जब भी वह सत्ता में आती है, भ्रष्टाचार का कारोबार शुरू हो जाता है।

तुगलक रोड चुनावी घोटाले के बारे में तो आप सभी जानते ही होंगे। मध्य प्रदेश में माताओं और बच्चों के पोषण के लिए जो पैसे केंद्र सरकार ने भेजे थे, उन्हें इन्होंने दिल्ली के तुगलक रोड भेज दिया। इन राज्यों में किसानों से किये गये कर्ज माफी के वादों का क्या हुआ? इन वादों को पूरा करने की बजाय कांग्रेस ने तीन-चार महीने से भी कम समय में इन राज्यों को अपनी पार्टी के लिए एटीएम बना दिया है।

कांग्रेस शासित राज्यों की सरकारें अपने राज्यों में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि को लागू करने में भी उदासीनता दिखा रही हैं। वे यह सोच रही हैं कि जब मोदी किसानों के खाते में सीधे पैसा डाल रहा है और जब उन्हें मलाई मिल ही नहीं रही है, तो वे इसकी परवाह क्यों करें? कांग्रेस के खिलाफ लोगों का गुस्सा लोकसभा चुनावों के परिणामों दिखाई देगा। इन राज्यों के लोग उसे पूरी तरह खारिज कर देंगे।

-यूपी में बसपा और सपा साथ चुनाव लड़ रहे हैं। यह गठबंधन भाजपा के लिए कितनी बड़ी चुनौती हैं
एक दूसरे से लड़ने वाले अब एक साथ लड़ रहे हैं। एक-दूसरे को जेल में डालने की धमकी देने वाले अब साथ आ गये हैं।

क्या इन दलों को वास्तव में नहीं पता कि उत्तर प्रदेश के लोग बखूबी जानते हैं कि सपा-बसपा एक साथ क्यों आयी हैं? क्या सपा-बसपा वाले यूपी के मतदाताओं के विवेक को कम आंक रहे हैं? उत्तर प्रदेश के मतदाता जानते हैं कि सपा-बसपा अपने आप को बचाने के लिए मिली हैं, सेवा करने के लिए नहीं। उत्तर प्रदेश के विकास का दृष्टिकोण किसके पास है? भ्रष्टाचार और आतंकवाद से निबटने तथा गरीबों, किसानों, युवाओं, महिलाओं और वंचितों को सशक्त बनाने का दृष्टिकोण किसके पास है?

क्या महामिलावट ने ऐसे किसी मुद्दे पर अपना दृष्टिकोण जनता से साझा किया है? इनके दिमाग में सिर्फ यही चल रहा है कि मोदी की जाति क्या है, मोदी को कौन-कौन-सी नयी-नयी गाली दी जा सकती है और मोदी को हटाया कैसे जा सकता है? ऐसी राजनीति करने का समय अब जा चुका है। भारत के मतदाता अब प्रतिक्रियावादी हैं। लोग अब उसका समर्थन करते हैं, जो एक मिशन के लिए काम करते हैं, न कि उन लोगों का, जो कमीशन के लिए काम करते हैं।

-आप सबका साथ, सबका विकास की बात कहते हैं, लेकिन मुसलमानों और ईसाइयों के मन में भाजपा को लेकर एक अविश्वास है। उसे कैसे दूर करेंगे?
इस मंत्र पर सरकार पांच साल चली है। कांग्रेस और उसके सहयोगियों की हमेशा से नीति रही है, बांटो और शासन करो।पहले उन्होंने देश में पर्याप्त विकास न करके संसाधनों की कृत्रिम कमी पैदा की। फिर उन थोड़े संसाधनों में भी चुनते थे कि इसका लाभ किसे देना है या किसे नहीं।

यह समाज में संकट पैदा करने का कांग्रेस और उसके सहयोगियों का षड्यंत्र था, लेकिन अब जनता ने इस खेल को समझ लिया है। कांग्रेस जब आवास योजना लाती थी, तब एक गांव में 10 घर बनाते थे और यह सुनिश्चित करती कि इन घरों का लाभ उस जाति विशेष के लोगों को मिले, जो उनको वोट करें। हमारी योजनाओं का लाभ सभी को मिलता है, चाहे वे किसी भी जाति, पंथ या धर्म के हों।

उसी तरह जब हम गरीबों के लिए 1।5 करोड़ घर बनाते हैं, गरीबों के 35 करोड़ बैंक खाते खोलते हैं, 50 करोड़ गरीब लोगों को स्वास्थ्य बीमा और 7 करोड़ गरीब परिवारों को एलपीजी कनेक्शन प्रदान करते हैं, तो हम उनके धर्म को नहीं देखते। हम सुनिश्चित करते हैं कि हमें उन्हें सशक्त बनाना हैं। गरीब गरीब होता है, उसकी कोई जाति या उसका संप्रदाय नहीं होता।

-कांग्रेस आपके खिलाफ जो भी नारा तैयार करती है, आप उसे ही ताकत और हथियार बना लेते हैं। ‘चौकीदार चोर है’ नारा क्या कांग्रेस को भारी पड़ रहा है?
समस्या कांग्रेस के नारे को लेकर नहीं, उसकी मानसिकता को लेकर है। उसे लगता है कि उस व्यक्ति को गाली देना ठीक है, क्योंकि वह चायवाला है, चौकीदार है। उसे लगता है कि एक आम आदमी, जो मेहनत करके जीविका चला रहा है, सम्मान का हकदार नहीं है; केवल चांदी का चम्मच लेकर पैदा हुए लोग ही इसके हकदार हैं। आप खुद देख सकते हैं कि यह देश आज उसकी इस मानसिकता के खिलाफ कैसे खड़ा हो रहा है।

हमारे देश के लोग किसी भी व्यवसाय या पेशे को छोटा नहीं समझते। आज देशभर में सभी आयु वर्गों और सभी व्यवसायों से जुड़े लोग गर्व से खुद को चौकीदार कह रहे हैं। कुछ लोग स्वच्छता सुनिश्चित करके, तो कुछ लोग डिजिटल भुगतान करके, अपनी सब्सिडी के लाभ को छोड़ कर राष्ट्र के लिए कुछ योगदान कर रहे हैं।

-आपको लगता है कि लोग मोदी के नाम पर वोट कर रहे हैं, न कि प्रत्याशी का नाम देख कर? लोग राष्ट्रहित, राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रीय विकास के नाम पर वोट दे रहे हैं? अगर हां, तो यह कैसे संभव हुआ?
लोग एक बेहतर, मजबूत और सुरक्षित भारत चाहते हैं। उन्हें पता है कि केवल भाजपा ने इस दिशा में ठोस काम करके दिखाया है। लोग ऐसी सरकार चाहते हैं, जो सेवा करे और उनके जीवन को बेहतर बनाने का उसका ट्रैक-रिकॉर्ड हो। गरीब-से-गरीब के पास भी अपना बैंक खाता, रुपे डेबिट कार्ड और उनकी रसोई में गैस होगी, टेलीफोन पर बात करना लगभग मुफ्त हो जायेगा और इंटरनेट दुनिया में सबसे सस्ता हो जायेगा, यह कभी नामुमकिन लगता था; आज मुमकिन हुआ है।

बांग्लादेश के साथ दशकों से लटका जमीन समझौता मुमकिन हुआ। आतंकवादियों के घर में घुस कर उसे मारेगा, यह भी हुआ है। लोग ऐसी सरकार चाहते हैं, जिसके पास भविष्य में भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की ठोस योजना हो और यह केवल भाजपा के पास है। लोग जानते हैं कि यह स्थानीय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय चुनाव है। इसलिए लोग पूरी ईमानदारी से भाजपा और उसके सहयोगियों के लिए वोट कर रहे हैं।

-विदेशों में आपने अनेक दोस्त बनाये। भारत का सबसे अच्छा दोस्त और शुभचिंतक कौन है?
पिछले पांच वर्षों में दुनिया का भारत को देखने का नजरिया बदला है। आज भारत को पूरी दुनिया के देशों का साथ मिल रहा है, फिर चाहे वह आतंकवादियों को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने का मुद्दा हो या काले धन से लड़ाई का मुद्दा। क्या यह बदलते भारत की तस्वीर नहीं है?

विश्व योग दिवस, पेरिस का जलवायु समझौता, अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायंस, हर जगह भारत की स्पष्ट छाप नजर आती है। जल्द ही स्विट्जरलैंड से हमें काले-धन पर रीयल टाइम डेटा मिलने लगेगा। पुलवामा में पाक प्रेरित आतंकी हमला हुआ, तो समग्र विश्व ने निंदा की, सहयोग के लिए आगे आये। हमने कार्रवाई की। पाकिस्तान में घुस कर आतंकियों को उसके किये की सजा दी, पूरा विश्व हमारे साथ खड़ा रहा और हमारी कार्रवाई के समर्थन में वे खड़े रहे। यह है बदलता भारत और 130 करोड़ लोगों का न्यू इंडिया।

इन पांच वर्षों में मुझे कई वैश्विक नेताओं से मिलने का मौका मिला। और भारत ने उनकी ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया। जापान के शिंजो आबे आधारभूत संरचना से लेकर स्किल डेवलपमेंट तक, विभिन्न क्षेत्रों में भारत के साथ कंधे-से-कंधा मिला कर काम कर रहे हैं। फ्रांस के इमैनुएल मैक्रॉन भारत के एक मजबूत सहयोगी हैं और रक्षा हो या सौर गठबंधन, भारत के साथ कई क्षेत्रों में उनकी भागीदारी है। वह चाहे ट्रंप हों या पुतिन, मर्केल हों या मे, ये सभी भारत को अपने एक महत्वपूर्ण सहयोगी के रूप में देखते हैं।

-पांच साल में आपने विकास के लिए कई योजनाएं आरंभ कीं। क्या लगता है कि लोग आपको उन कार्यों की वजह से पसंद कर रहे हैं या पाकिस्तान में घुस कर मारने की घटना सब पर भारी पड़ रही है?
जनता कई मुद्दों पर अपने पैमाने सेट करती है और वह इस पैमाने पर हर पार्टी के परफॉरमेंस पर रेटिंग देती है। आप बताइए, क्या देश में आतंकी वारदात करने वालों, हिंदुस्तान के निर्दोष नागरिकों और सैनिकों को शहीद कर देने वालों को हिंदुस्तान छोड़ दे? यह नहीं हो सकता। हिंदुस्तान की ओर आंख उठा कर देखने वालों को हम माफ नहीं करेंगे। यह न्यू इंडिया है, भारत उनके घर में घुसेगा भी और मारेगा भी।

जनता बहुत समझदार है जी, उसे पता है- कौन देश के लिए जीता-मरता है। जनता लोकसभा और विधानसभा में अपनी अलग-अलग प्राथमिकता तय करती है, लेकिन एक बात मैं डंके की चोट पर कहना चाहता हूं कि बीते पांच सालों में विकास के जितने काम हुए, उतने कांग्रेस और महामिलावटी लोगों की सरकार ने आजादी के बाद से अब तक के इतने सालों में नहीं किये। देश की जनता को विकास भी चाहिए और शांति भी। बिना शांति के विकास की कल्पना नहीं की जा सकती और विकास होगा, तभी देश समृद्ध बनेगा।

-आपकी सरकार अगर लौटती है, तो कौन-से वे बड़े काम हैं, जो बच गये हैं और जिन्हें आप पहले पूरा करना चाहेंगे?
बहुत काम किये हैं, लेकिन बहुत कुछ अभी करना है। हमने पांच वर्ष में देश की आवश्यकताएं पूरी की हैं और आकांक्षाओं को पंख दिये। अब हम उन आकांक्षाओं को पूरा करने पर बल देंगे। हम अपने देश को पांच नाजुक श्रेणी की पहचान कर तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनाने में सफल रहे हैं। हमारा अगला लक्ष्य 2025 तक इसे फाइव ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का है। पहले पांच साल में हम देश को लूटेने वालों को जेल के दरवाजे तक लाने में कामयाब रहे। अब हम यह सुनिश्चित करेंगे कि भ्रष्टाचार में शामिल लोग जेल जाएं। हमने किसानों की आर्थिक मदद के लिए ऐतिहासिक प्रधानमंत्री किसान योजना शुरू की। आगे हम प्रत्येक किसान को इसके दायरे में लायेंगे।

स्टार्ट अप इंडिया के जरिए हमने युवाओं को रोजगार मांगने वाले से रोजगार देने वाला बनाने की प्रक्रिया शुरू की थी। इसे अगले स्तर पर ले जाते हुए हम 2024 तक 50 हजार नये स्टार्टअप और बिना बैंक गारंटी के 50 लाख रुपये तक का लोन देने की नयी योजनाएं शुरू करेंगे।

असंगठित क्षेत्र के कामगारों को सामाजिक सुरक्षा दी गयी। भविष्य में हम छोटे दुकानदारों और छोटे किसानों के लिए भी पेंशन की शुरुआत करेंगे। हमने भारतमाला और सागरमाला जैसी विशाल परियोजनाओं की शुरुआत की। अगले चरण में हम एग्री-रूरल सेक्टर के लिए 25 लाख करोड़ और विश्व स्तरीय आधारभूत संरचना विकसित करने के लिए 100 लाख करोड़ रुपये का निवेश करेंगे।

-वाराणसी में तो चुनाव एकतरफा है। यदि प्रियंका गांधी वाराणसी से चुनाव लड़ी होंती, तो क्या चुनाव थोड़ा रोचक नहीं होता?
जब 130 करोड़ भारतीय हमारे साथ खड़े हों, तो न सिर्फ काशी का चुनाव, बल्कि पूरे देश का चुनाव एक तरफा ही होगा। वैसे भी पूरे देश में वंशवाद और विकासवाद के बीच जो लड़ाई है, वह तो रोचक ही है।

-भाजपा ने देश को कांग्रेस मुक्त बनाने का नारा दिया। आप लोकतंत्र में विपक्ष को कितना जरूरी मानते हैं?
जब मैं यह कहता हूं कि भारत को कांग्रेस मुक्त होना चाहिए, तो इसका मतलब यह नहीं होता कि भारत में कोई विपक्षी दल ही नहीं होना चाहिए। कांग्रेस मुक्त भारत का मतलब है कांग्रेसी संस्कृति से छुटकारा पाना। कांग्रेसी संस्कृति है भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, वोट बैंक की राजनीति को बढ़ावा देना, अटकाने-लटकाने और भटकने की कार्यप्रणाली, करोड़ों गरीब लोगों तक शौचालय और बिजली नहीं पहुंचाना, एक परिवार को और अमीर तथा गरीब को और गरीब बनाना। देश में हर संस्था सिर्फ एक परिवार की तानाशाही इच्छाओं को पूरा करने के चक्कर में नष्ट हो गयी थी। इन्हीं सब चीजों से भारत को मुक्त कराना है। कांग्रेस मुक्त भारत कोई नया विचार नहीं है। यह विचार तो महात्मा गांधी ने हमें बहुत पहले दिया था।

-आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर कुछ विशेष करने की सोच रहे हैं?
एक काम किया जा सकता है; 2019 में गांधी के 150 वर्ष और 2022 में आजादी के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं। आजादी के पहले, देश का हर नागरिक व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में कोई-न-कोई व्रत लेता था। जैसे, शादी में मेहमानों की संख्या डेढ़ सौ से ज्यादा हो, तो नहीं जायेंगे। इससे सामाजिक जीवन में एक बदलाव आया। ऐसे नागरिक कर्तव्यों के 75 बिंदु तय हो सकते हैं।

कहा जा सकता है कि इन 75 नियमों को हम निभायेंगे और आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर ये हमारे जीवन का हिस्सा बन जायेंगे। जैसे कि मैंने कहा था कि खादी का कम-से-कम एक कपड़ा रखो। इतनी मात्र से ही खादी की बिक्री बहुत बढ़ी है। हथकरघा उद्योग को रोजगार मिला। हमने दुनियाभर के टॉप संगीतकारों को कहा, ‘वैष्णव जन’ गाइए। इसका भी बहुत अच्छा परिणाम आया।

-वैश्विक संदर्भ में आपकी सॉफ्ट डिप्लोमेसी में क्या कुछ नया है?
पहले सॉफ्ट डिप्लोमेसी का अर्थ था- यहां से कल्चरल टीम जायेगी और हमारी एंबेसी कार्यक्रम करवायेंगी। अब दायरा बदला जा चुका है।

-आपने आंबेडकर को भी पुनःस्थापित किया। पहले सिर्फ बातें होती थीं?
मेरे जीवन और राजनीति में आने से पहले से ये बातें थीं। ‘सामाजिक समरसता’ मेरे लेखों और भाषणों का संग्रह है। मैं बाबासाहेब आंबेडकर से प्रभावित हूं। उन्होंने इतने अपमान सहे, लेकिन देश की एकता और भविष्य को हमेशा केंद्र में रखा। भारत में कितनी ही संवैधानिक संस्थाएं बनीं, जैसे आरबीआइ, जल संसाधन मंत्रालय- ये सब आंबेडकर जी की ही देन हैं, लेकिन इस बात की कोई चर्चा ही नहीं करता। हमने उनके सम्मान में पंचतीर्थ बनाये हैं- जहां उनका जन्म हुआ, दीक्षा हुई, परिनिर्वाण हुआ, अंत्येष्टि हुई और विदेश में जहां उनकी पढाई हुई। आपको भी मौका मिले, तो अवश्य देखने जाना चाहिए।

आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं!

सौजन्यप्रभात खबर

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