प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इजरायल यात्रा से दोनों देश के बीच राजनयिक संबंध मजबूत होने की उम्मीद है। श्री मोदी इजरायल की यात्रा करने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं। प्रधानमंत्री यहां 1918 में हैफा की आजादी के दौरान शहीद होने वाले भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। 1918 में प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटिश ब्रिगेड का हिस्सा रहे भारतीय सैनिकों के घुड़सवार दस्ते ने हैफा को आजाद कराया था।
23 सितंबर, 1918 को भारतीय सैनिकों के घुड़सवार दस्ते ने शहर पर कब्जा जमाए ओटोमन तुर्कों पर हमला कर दिया था। इस लड़ाई में तुर्की की सेना मशीन गनों और आर्टिलरी जैसे हथियारों से लैस थी, जबकि भारतीय जवानों ने बंदूकों का सामना अपनी तलवार और भालों से ही किया था और जीत हासिल की थी। इस लड़ाई में आठ जवान शहीद और 34 घायल हुए थे। यहां 49 कॉमनवेल्थ देशों के जवानों की कब्र हैं।
यहां शहीद हुए भारतीय घुड़सवार दस्ते के जवानों का एक स्मारक है। हैफा में भारतीय जवानों का यह कब्रिस्तान उन्हीं की याद से जुड़ा एक अहम स्मारक है। भारतीय सेना हर साल 23 सितंबर को इन जवानों की शहादत की याद में हैफा डे मनाती है। 1922 में दिल्ली में तीन मूर्ति स्मारक भी उन्हीं कैवलरी ब्रिगेड के जवानों के योगदान को याद रखने के लिए बनाया गया था। वहां के लोग आधुनिक इजरायल के निर्माण में भारतीय सैनिकों के योगदान को हमेशा याद करते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस यात्रा से उम्मीद है कि दोनों देश के संबंध और मजबूत होंगे। इजरायल रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, ” मैं, मेरे दोस्त (इजरायली पीएम नेतन्याहू) के साथ गहन बातचीत को लेकर आशान्वित हूं जो गतिमान भारत-इजरायल संबंधों के लिए प्रतिबद्धता साझा करते हैं.”
I look forward to holding extensive talks with my friend, @IsraeliPM @netanyahu, who shares a commitment for vibrant India-Israel ties.
— Narendra Modi (@narendramodi) July 3, 2017
इस साल भारत और इजरायल अपने कूटनीतिक संबंधों के 25 वर्ष भी पूरे कर रहे हैं।