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प्रधानमंत्री मोदी की कार्यशैली से सहज हुआ माहौल, पूरी क्षमता के साथ काम कर रहे हैं अधिकारी

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The Prime Minister, Shri Narendra Modi’s informal meeting the Secretaries to the Union Government, in New Delhi on June 05, 2017.

“सरकार वो ही, मुलाजिम वही, दफ्तर वही, फाइल वही, आदत वही, लोग भी वही। काम हुआ कि नहीं हुआ। हो सकता है कि नहीं हो सकता।“ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह कथन न्यू इंडिया की तस्वीर पेश करता है। आखिर कोई तो बात होगी कि तीन वर्ष पहले जहां देश में हर समय भ्रष्टाचार की चर्चा होती थी, वहीं आज सिर्फ और सिर्फ विकास की बात होती है।

वर्तमान संदर्भ में जब प्रधानमंत्री मोदी डीजीपी कॉन्फ्रेंस को संबोधत करने के लिए दो दिन तक ग्वालियर में रुके तो, Perform India ने इस बात की पड़ताल की कि आखिर क्या वजह है कि जिन अधिकारियों को पहले विकास का सबसे बड़ा अवरोधक माना जाता था, आज प्रधानमंत्री मोदी उन्हीं अधिकारियों से सरकार की योजनाओं को बखूबी सफलता के साथ लागू करवा पा रहे हैं।

चार साल– चार बैठकें और चारों अलग-अलग स्थान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आते ही पहला काम यह किया कि हर साल होने वाले पुलिस महानिदेशकों के वार्षिक सम्मेलन को दिल्ली के बाहर किसी और राज्य में कराने का फैसला किया। इसके पीछे पीएम मोदी का दृष्टिकोंण सत्ता का विकेंद्रीकरण और देश के छोटे शहरों को प्राथमिकता देना था, ताकि उन शहरों की भी चर्चा हो और वहां भी सरकार की नजर पहुंचे। इस वर्ष पुलिस महानिदेशकों की यह चौथी कॉन्फ्रेंस है, जो दिल्ली के बाहर हो रही है।

वर्ष डीजीपी कॉन्फ्रेंस का स्थान
2014 गुवाहाटी
2015 धोराधो (कच्छ)
2016 हैदराबाद
2018 टेकनपुर (ग्वालियर)

 

बैठक में सिर्फ चर्चा नहीं, फैसलों के अमल पर जोर
प्रधानमंत्री मोदी ने वार्षिक डीजीपी कॉन्फ्रेंस को दिल्ली के बाहर ही कराने का फैसला नहीं लिया, बल्कि इसे उद्देश्यपरक भी बनाया। अफसरों के साथ प्रधानमंत्री की बैठकों का माहौल इतना सहज और अनौपचारिक होता है, कि अफसर अपने दिल की बात खुलकर उनके सामने रख पाते हैं। 2014 में गुवाहाटी में इसी डीजीपी कॉन्फ्रेंस का एक वाकया सुनकर यह आसानी से समझ में आ जाएगा कि प्रधानमंत्री मोदी किस हद तक माहौल को सहज बना देते हैं कि अधिकारी आसानी से सच्चाई सामने रख  देते हैं। उस बैठक में तत्कालीन सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा ने प्रधानमंत्री मोदी के सामने सवाल किया कि इन बैठकों में लिए गए फैसलों पर अमल नहीं किया जाता, ऐसे में इन इन बैठकों का कोई औचित्य नहीं है। यही वह सहजता है जो पीएम मोदी की बैठकों में दिखाई देती है। तब प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हीं पुलिस अफसरों को पिछले दस वर्षों में डीजीपी कॉन्फ्रेंस में लिए गए फैसलों के अमल की रिपोर्ट तलब कर ली थी। जाहिर है कि प्रधानमंत्री अपनी कार्यशैली की वजह से अफसरों को उनकी जिम्मेदारी का अहसास दिला देते हैं और उन अफसरों को इसका पता भी नहीं चलता।

प्रधानमंत्री का अनौपचारिक बैठकों पर जोर
प्रधानमंत्री मोदी का जोर हमेशा अधिकारियों के साथ अनौपचारिक माहौल में बैठकें करने का होता है। पिछले वर्ष जून में पूरी दुनिया में ऐसी तस्वीरें देखीं, जिनमें प्रधानमंत्री अपने लॉन में केंद्रीय सचिवों और मंत्रालयों के शीर्ष अफसरों के साथ बैठक कर रहे थे। इस बैठक की तस्वीरों में साफ देखा जा सकता था, कि किस तरह वरिष्ठ आईएएस अधिकारी प्रधानमंत्री मोदी के साथ घुलमिल कर बातचीत कर रहे थे, और देश की नीतियों पर चर्चा कर रहे थे। इसी बैठक में पीएम मोदी ने कहा था कि केंद्रीय सचिवों के पास दुनिया की आबादी के छठवे हिस्से के जीवन स्तर में सुधार लाने का मौका है। इससे पहले भी नवंबर, 2014 में प्रधानमंत्री मोदी ने केंद्रीय सचिवों को चाय पर मुलाकात के लिए बुलाया था।

अधिकारियों से प्रधानमंत्री की नियमित मुलाकात
प्रधानमंत्री मोदी वरिष्ठ अधिकारियों से नियमित तौर पर बैठकें करते रहते हैं। एक नजर डालते हैं उनकी पिछली कुछ मुलाकातों पर-

  • पांच जनवरी को देश के 115 पिछड़े जिलों के जिलाधिकारियों के साथ बैठक की।
  • प्रधानमंत्री बनने के तुरंत बाद 4 जून, 2014 को की थी केंद्रीय सचिवों के साथ बैठक की।
  • नवंबर 2014 में प्रधानमंत्री मोदी ने केंद्रीय सचिवों को चाय पर बुलाया।
  • 10 जुलाई, 2017 को पहली बार प्रदेशों और केंद्र शासित राज्यों के प्रमुख सचिवों से मुलाकात की।

ट्रेनी अफसरों से भी मिलते हैं प्रधानमंत्री मोदी
सिर्फ वरिष्ठ अधिकारियों से ही नही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जोर ट्रेनी और युवा आईएएस, आईपीएस अफसरों से मिलने पर भी रहता है। पिछले वर्ष अक्टूबर में प्रधानमंत्री मोदी ने मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में प्रशिक्षु आईएएस अफसरों को संबोधित किया था। वहां प्रशिक्षु आईएएस अफसरों के साथ भी प्रधानमंत्री मोदी इतने घुलमिल गए कि उन्होंने ना सिर्फ उनके साथ योगा किया बल्कि अलग-अलगू समूहों में उनसे बातचीत की और उनके विचारों को सुना। हर वर्ष प्रधानमंत्री मोदी युवा आईएएस अफसरों से भी मुलाकात करते हैं और उन्हें संबोधित करते हैं। प्रधानमंत्री ने 27 सितंबर 2017 को 2015 बैच के आईएएस अफसरों से मुलाकात की, और उन्हें टीम भावना के साथ काम करने और 2022 तक स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों का भारत बनाने के लिये उस दिशा में काम करने का आह्वान किया। इससे पहले अगस्त 2016 में भी प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 बैच के नए आईएएस अधिकारियों से मुलाकात की थी। जाहिर है कि सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी प्रशासनिक अधिकारियों पर होती है। प्रधानमंत्री मोदी भी इसे भलीभांति समझते हैं, इसीलिए उनका जोर अफसरों को उनकी जिम्मेदारी का एहसास कराने पर रहता है।

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