देश की सांस्कृतिक विविधता और उसकी परंपरा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगाध आस्था है। इसलिए वह जहां जाते हैं, वहां की संस्कृति और परंपरा में रच बस जाते हैं। चाहे वो चुनावी सभा हो, कोई खास कार्यक्रम हो या आम लोगों के बीच में हो। देश के किसी भी हिस्से में जब प्रधानमंत्री जाते हैं, तो वहां के सांस्कृतिक परिवेश में अपने को ढाल लेते हैं। यहां तक कि विदेशों में जहां भी गए, अपनी संस्कृति और परंपरा को सम्मान दिलाने के लिए हमेशा प्रयासरत दिखाई दिए। तमिलनाडु में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के स्वागत के दौरान भी पीएम मोदी को नए अवतार में देखा गया।
तमिल संस्कृति, परंपरा और तमिल भावना को दर्शाया
महाबलीपुरम पहुंचे पीएम मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का स्वागत अर्जुन तपोस्थली स्मारक के पास किया। इस मौके पर उन्होंने तमिलनाडु की पारंपरिक वेशभूषा ‘करायी वेष्टि’ (हरे रंग के किनारे वाली धोती), अंगवस्त्रम और आधे बाजू की सफेद कमीज पहनी थी। प्रधानमंत्री मोदी की यह पोशाक तमिल संस्कृति, परंपरा और तमिल भावना को दर्शाती है।
पारंपरिक पेय नारियल पानी से मेहमान का स्वागत
बाद में पीएम मोदी ने चीनी राष्ट्रपति से बातचीत करते हुए रथ स्मारक गए और उन्होंने तमिलनाडु के पारंपरिक पेय नारियल पानी से स्वागत किया। पीएम मोदी ने विदेशी मेहमान को नारियल पानी पीने को दिया। दोनों ने इसके स्वास्थ्य लाभ को देखते हुए इसे पिया।
विश्व को दक्षिण भारतीय नृत्यकला से कराया परिचय
हाबलीपुरम में सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किया गया, जिसमें दक्षिण भारतीय नृत्यकला का मनोहारी दृश्य देखने को मिला। मंदिर के पास पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सांस्कृतिक कार्यक्रम का भरपूर आनंद लिया। इसके बाद दोनों नेता मंच पर पहुंचे और कलाकारों के साथ तस्वीर खिंचाई।इस मौके पर दुनिया भर के लोगों का तमिलनाडु की नृत्य परंपरा से परिचय हुआ।
रात्रिभोज में परोसे गए पारंपरिक दक्षिण भारतीय व्यंजन
इसके बाद पीएम मोदी जिनपिंग को रात्रिभोज दिया। जिनपिंग को रात्रिभोज में पारंपरिक दक्षिण भारतीय व्यंजन परोसे गए। इनमें अर्चु विट्टा सांभर, थक्काली रसम, कडालाई कोरमा और हलवा शामिल थे। 2 घंटे तक चले इस डिनर में दोनों नेताओं ने कई मुद्दों पर चर्चा की।
तमिल भाषा में किया राष्ट्रपति जिनपिंग का स्वागत
चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के चेन्नई पहुंचने पर पीएम मोदी ने अंग्रेजी, तमिल और मेंडेरिन में ट्वीट किया- भारत में आपका स्वागत है राष्ट्रपति जिनपिंग।
அதிபர் ஷி ஜின்பிங் அவர்களே!, இந்தியாவிற்கு வருக வருக என்று வரவேற்கிறேன். pic.twitter.com/LW7b4MpWHR
— Narendra Modi (@narendramodi) October 11, 2019
इससे पहले पीएम मोदी ने जिनपिंग के साथ अनौपचारिक शिखर वार्ता के लिए अपने चेन्नई पहुंचने की जानकारी देते हुए तमिल भाषा में ट्वीट किया, चेन्नई पहुंचा हूं। मैं तमिलनाडु की महान भूमि पर आकर खुश हूं जो अपनी अद्भुत संस्कृति और आतिथ्य सत्कार के लिए जानी जाती है। उन्होंने कहा कि खुशी की बात है कि तमिलनाडु राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अगवानी करेगा। इस अनौपचारिक शिखर वार्ता से भारत और चीन के बीच संबंध और मजबूत होंगे, ऐसी आशा है।
சென்னை வந்திறங்கியுள்ளேன்.
கலாசாரம் மற்றும் விருந்தோம்பலுக்குப் பெயர் பெற்ற மாபெரும் மாநிலமான தமிழ்நாட்டிற்கு வந்திருப்பதில் நான் மகிழ்ச்சி அடைகிறேன். pic.twitter.com/NxVUDlU86Y
— Narendra Modi (@narendramodi) October 11, 2019
एस रामदास ने बताया हर्ष का विषय
पीएम मोदी के इस अंदाज की प्रशंसा पीएमके सहित अन्य क्षेत्रीय दलों ने भी की। पीएमके के संस्थापक एस रामदास ने कहा कि प्रधानमंत्री को तमिलों के पारंपरिक परिधान वेष्टि में देखना हर्ष का विषय है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘दुनिया को तमिल संस्कृति को जानने दो।’
மாமல்லபுரத்தில் சீன அதிபருடன் தற்போது நடைபெற்று வரும் சந்திப்பில் இந்திய பிரதமர் நரேந்திர மோடி தமிழர்களின் பாரம்பரிய உடையான வேட்டி – சட்டை அணிந்து பங்கேற்றிருப்பது மகிழ்ச்சியளிக்கிறது. தமிழர்களின் பாரம்பரியத்தை உலகம் அறியட்டும்!
— Dr S RAMADOSS (@drramadoss) October 11, 2019
कर्नाटक के संस्कृति मंत्री ने की पीएम मोदी की तारीफ
कर्नाटक के संस्कृति और पर्यटन मंत्री सीटी रवि ने ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां की संस्कृति और परंपरा का सम्मान किया है। वह तमिल लोगों की वेशभूषा में टहलते हुए बहुत ही सहज दिख रहे थे।
Respecting the Culture and Traditions of the Land He visits comes naturally to PM @narendramodi.
He is seen here comfortably moving around in the traditional attire of Tamil Makkal.#TNWelcomesModi pic.twitter.com/LlyIonoC3q
— C T Ravi ?? ಸಿ ಟಿ ರವಿ (@CTRavi_BJP) October 11, 2019
आइए देखते हैं इससे पहले पीएम मोदी ने कब-कब तमिल संस्कृति और उसकी परंपरा को सम्मान दिया है।
UN की महासभा में तमिल कवि पुंगुंदरनार की कविता का जिक्र
पीएम मोदी की हाल की विदेश यात्राओं में भी तमिल भाषा के प्रति लगाव देखा गया। संयुक्त राष्ट्र की महासभा में अपने भाषण में देश का संदेश मोदी ने तमिल कवि कनियन पुंगुंदरनार की कविता की पंक्ति ‘याधुम ओरे यावरुम केलीर’ अर्थात ‘हम सभी जगह हैं और सभी के साथ हैं,’ से दिया। पुंगुंदरनार करीब तीन हजार साल पहले के कवि है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, ‘सीमाओं से परे की भावना भारत के लिए अद्वितीय है।’
‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में तमिल भाषा में लोगों का स्वागत
अमेरिका के ह्यूस्टन स्थित एनआरजी स्टेटियम में आयोजित ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने मौजूद लोगों का स्वागत नौ भाषाओं में किया। जिसमें तमिल भाषा भी शामिल था। तमिल भाषा में उनका भाषण पूरे अमेरिका में चर्चा का विषय बन गया है। पीएम मोदी ने भी कहा कि जब मैंने अमेरिका में तमिल भाषा और तमिल विरासत के बारे में बात की तो सभी को अच्छा लगा।
कई बार पीएम मोदी कर चुके हैं तमिल प्रेम का इजहार
तमिलनाडु में विपक्ष के नेता एम के स्टालिन ने मोदी सरकार पर हिंदी और संस्कृत भाषा को थोपने का आरोप लगाया है। स्टालिन के मुताबिक तमिल को दोयम दर्जे की भाषा बनाने का प्रयास किया जा रहा है। जबकि सच्चाई यह है कि खुद प्रधानमंत्री मोदी क्षेत्रीय भाषाओं को काफी महत्व देते है और हमेशा उसको बढ़ावा देने के लिए तत्पर रहते हैं।
तमिल भाषा में ‘वणक्कम्’ कहकर लोगों का अभिवादन
चेन्नई में राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर पीएम मोदी ने अपने संबोधन से पूर्व तमिल भाषा में ‘वणक्कम्’ कहकर लोगों का अभिवादन किया था यही नहीं उन्होंने कहा ‘तमिलनाडु वंददुकु मिघ मगिच्छी। मक्कल कानरदुक मिघ मगिच्छी। मतलब तमिलनाडु आकर बहुत खुशी मिली। यहां लोगों से मिलकर बहुत खुशी हुई।’ तमिलनाडू के नए साल की बधाई प्रधानमंत्री ने ट्वीट करके तमिल और इंग्लिश दोनों में दी।
मन की बात में कर चुके हैं तमिल भाषा पर बात
यही नहीं प्रधानमंत्री अपने ‘मन की बात’ के कार्यक्रम के दौरान भी तमिल भाषा समेत दूसरी क्षेत्रीय भाषाओं के विकास पर जोर दे चुके है। और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए राज्यों को समय-समय पर प्रोत्साहित करते रहते हैं। ताकि सभी को अपने देश की विविधता को जानने का मौका मिल सके।
10वें विश्व हिंदी सम्मेलन में भी किया था तमिल भाषा का जिक्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भोपाल में 10वें विश्व हिन्दी सम्मेलन में भारतीय भाषाओं के बीच समन्वय पर जोर देते हुए कहा कि क्या कभी हम हिंदी और तमिल भाषा की कार्यशाला करें और तमिल भाषा में जो अद्धभुत शब्द हो, उसको हम हिंदी भाषा का हिस्सा बना सकते हैं। क्या ये तमिल भाषा का प्रसार नहीं होगा।
आइए आपको कुछ तस्वीरों के जरिये दिखाते हैं कि भारत की सांस्कृतिक विरासत से पीएम मोदी का कितना लगाव है।