Home नरेंद्र मोदी विशेष पीएम मोदी की कूटनीति के सामने चीन की हर चाल हुई कुंद

पीएम मोदी की कूटनीति के सामने चीन की हर चाल हुई कुंद

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीति के सामने चालबाज चीन की सारी चालबाजियां ध्वस्त हो रही हैं। चीन की धमकियों को नजरअंदाज कर भारतीय सेना ने सिक्किम के डोकलाम में डटे रहने का फैसला किया है, तो इसके पीछे भारत के सशक्त नेतृत्व की शक्तिशाली सोच है। चीन बार-बार भारत को 1962 की याद दिलाकर डराने की कोशिश कर रहा है। उसके जवाब में भारत ने भी उसी कड़े अंदाज में उसे इस बात का एहसास करा दिया है कि वह भी अब 1962 वाला भारत नहीं है। नतीजा ये है कि चीन की धमकी अब गीदड़ भभकी में तब्दील नजर आने लगी है।

‘अब भारत को नहीं हरा सकता चीन’
बीबीसी न्यूज पोर्टल में छपी एक खबर के अनुसार भारत और चीन के बीच मौजूदा परिस्थियों में बहुत बदलाव आ चुका है। इसमें विशेषज्ञों के हवाले से बताया गया है कि चीन को ये पता है कि वो भारत को नहीं हरा सकता, इसीलिए डोकलाम के मसले पर दोनों देशों के बीच युद्ध की संभावना नहीं है। पोर्टल ने रक्षा विश्लेषक अजय शुक्ला के शब्दों में लिखा है, “चीन दुनिया के पैमाने पर एक बड़ी आर्थिक शक्ति है. वह युद्ध तभी चाहेगा जब पूरी तरह से जीत हो। वह भारत से अभी पूरी तरह नहीं जीत सकेगा। फ़ौजी ताकत के आधार पर भारत अब 1962 की तुलना में काफी दृढ़ता, अनुभवी और शक्तिशाली है। चीन इस तथ्य को जानता है कि वह भारत को नहीं हरा सकता है।”

डोकलाम में अपने स्टैंड पर अडिग भारत
भूटान,चीन और भारत से लगा ये इलाका हमारे सामरिक महत्व के दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है। चीन काफी लंबे वर्षों से यहां पर तरह-तरह से अपनी चालबाजियों में जुटा था। लेकिन जब उसने दो भारतीय बंकरों को निशाना बनाया तो भारत ने भी मजबूरी में अपने सैनिकों की तैनाती कर दी। तभी से चीन ने भारतीय सैनिकों को हटाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाने शुरू कर दिए। लेकिन मोदी सरकार ने किसी भी कूटनीतिक दबाव में नहीं झुकने का फैसला कर लिया। भारतीय सैनिकों ने वहां तंबू गाड़ दिए हैं। जानकारी के अनुसार वहां जिस तरह तक भारतीय सैनिकों तक आपूर्ति पहुंचाई जा रही है उससे लगता है कि वो लंबे समय तक वहां से टस से मस होने वाली नहीं है।

चीन की चालबाजी रोकने की है पूरी तैयारी
चीन की ओर से युद्ध नहीं करने की विशेषज्ञों की राय यूं ही नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अमेरिकी विशेषज्ञों का मानना है कि चीन के लिए भारत नया मिसाइल भी तैयार कर रहा है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, ‘भारत अब एक ऐसी मिसाइल बना रहा है, जो कि दक्षिण भारत के अपने बेस से पूरे चीन को निशाना बना सकती हैं.’ लेख में कहा गया कि ‘भारत का ध्यान पारंपरिक रूप से पाकिस्तान से अपनी सुरक्षा के लिए परमाणु आयुध विकसित करने पर रहा है। लेकिन उसका परमाणु आधुनिकीकरण इसका संकेत है कि वह चीन के साथ भविष्य के सामरिक संबंधों पर ज्यादा ध्यान दे रहा है।’

रणनीतिक तैयारियों में भी जुटा है भारत
क्षेत्र में अपना दबदबा बढ़ाने के लिए चीन जिस तरह से वन बेल्ट-वन रोड (OBOR)परियोजना का विस्तार कर रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उसी के जवाब में अब मोदी सरकार ने भी South Asia Subregional Economic Cooperation (SASEC)Corridor Project पर काम तेज करने का फैसला लिया है। ये परियोजना भारत ,भूटान, नेपाल, बांग्लादेश एवं म्यांमार को जोड़ने की परियोजना है। इसके तहत मोदी सरकार ने अभी मणिपुर के इंफाल-मोरेह (म्यांमार) को जोड़ने वाली सड़क के लिए 1630.29 करोड़ रुपये और मंजूर किए हैं। इस मार्ग को पूर्वी एशियाई बाजार के लिए भारत का प्रवेश द्वार माना जाता है।

CEPC पर असर की चिंता से भी बेहाल चीन
चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरता है। अगर भारत के साथ चीन तनाव बढ़ाता है तो 4600 करोड़ डॉलर के इस प्रोजेक्ट को लेकर उसकी चिंता बढ़ सकती है। भारत पहले से ही चीन पर इस प्रोजेक्ट का नाम बदलने के लिए दबाव बनाए हुए है। ऐसे में चीन को पता है कि अगर उसने माहौल को अशांत करने की चाल चली तो उसके गले की नस भी भारत के हाथों में है।

भारत के साथ है अंतरराष्ट्रीय सहयोग
प्रधानमंत्री की विदेश नीति अबतक की सबसे सटीक विदेश नीति साबित हुई है। दुनिया भर के लोग पीएम मोदी को सुनने के लिए बेताब रहते हैं। मौजूदा दौर में वो भारत के एकमात्र लोकप्रिय नेता नहीं हैं। बल्कि वो एक सर्वमान्य वैश्विक नेतृत्व के तौर पर उभरे हैं। यही वजह है कि अमेरिका, यूरोप, जापान, रूस से लेकर अरब के देश भी भारत से अपने संबंधों को बेहतर करने की कोशिशें कर रहा है। प्रधानमंत्री के हाल के सफल अमेरिका और इजरायल के दौरे ने भी चीन के कान खड़े कर दिए हैं। चीन लगातार ये आरोप भी लगा चुका है कि अमेरिका, भारत को उसके खिलाफ इस्तेमाल करना चाहता है। जबकि इजरायल ने जिस तरह से पीएम मोदी को सिर आंखों पर बिठाया है, उससे भी चीन की चिंता बढ़ गई है। क्योंकि इजरायल पहले से भी भारत का सहयोगी रहा है, लेकिन अब बात खुलकर होने लगी है।

दक्षिण चीन सागर में भी चीन का खेल बिगाड़ सकता है भारत
दक्षिण चीन सागर में चीन जबर्दस्ती अपनी मनमानी करना चाहता है। संयुक्त राष्ट्र के ट्रिब्यूनल ने भी उसके खिलाफ फैसला दिया है। अमेरिका किसी भी सूरत में उस इलाके से चीन का दबदबा खत्म करना चाहता है। वो इलाका ऐसा है जिससे भारत भी नजरें चुराकर नहीं बैठ सकता। ऐसे में अगर चीन ने भूटान और सिक्किम में किसी तरह की गुस्ताखी तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस इलाके में चीन पर दबाव बढ़ा देंगे। चीन किसी भी सूरत में ऐसी जोखिम लेने की स्थिति में नहीं है।

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