पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार का कुशासन और तानाशाही रवैया जारी है। राज्य में यह एक ऐसा दौर है, जब विपक्षी दल की शांतिपूर्ण रथ यात्रा को भी अनुमति नहीं दी जा रही है। रथ यात्रा को कानूनी पचड़े में उलझाया जा रहा है। पीएम मोदी की लोकप्रियता से डरीं ममता बंगाल में अपने कुशासन से परेशान जनता में बदलाव की आकांक्षा को रोकने पर आमादा हैं। लेकिन ममता सरकार की ये कोशिशें नाकाम होती दिख रही हैं।
पश्चिम बंगाल की जनता की भाजपा से जुड़ने की ललक को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी निकट भविष्य में वहां कुछ रैलियों को संबोधित कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि पार्टी की प्रदेश इकाई जनवरी और फरवरी में पीएम मोदी की दो-तीन रैलियों की योजना बना रही है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, ‘‘हमें आशा है कि प्रधानमंत्री की पहली रैली 29 जनवरी को होगी। हमने कार्यक्रम दिल्ली भेजा है। हालांकि फिलहाल कुछ भी तय नहीं है।” प्रधानमंत्री की पहली रैली शहर के बीचोंबीच स्थित ब्रिगेड परेड मैदान में होने की संभावना है।
लोकसभा चुनावों से पहले, पार्टी ने राज्य के सभी 42 क्षेत्रों से होकर गुजरने वाली रथ यात्राओं की योजना बनायी थी। लेकिन, तानाशाही और तुष्टीकरण में डूबी ममता सरकार ने इस यात्रा को मंजूरी नहीं दी। फिलहाल, यह मामला कोर्ट में है और 4 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में इस पर सुनवाई होगी।
ममता को भाजपा से खतरा
भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव की तैयारियां और तेज कर दी हैं। पार्टी ने पश्चिम बंगाल को प्राथमिकता पर रखा है और पीएम मोदी के नेतृत्व में वहां की 42 में से 22 सीटों को जीतने का लक्ष्य रखा है। दरअसल, पिछले कुछ वर्षों में पश्चिम बंगाल में भाजपा मुख्य विपक्षी पार्टी बनकर उभरी है और उसने उपचुनावों और ग्रामीण इलाकों में बेहतर प्रदर्शन किया है।
कहीं का ईंट कहीं का रोड़ा…
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ब्रिगेड परेड मैदान पर ही 19 जनवरी को एक रैली करने वाली हैं, जिसमें उन्होंने देश के सभी विपक्षी दलों के नेताओं को आमंत्रित किया है। पश्चिम बंगाल की भाजपा इकाई इसी मैदान पर पीएम मोदी की रैली का आयोजन कर ममता को मुंहतोड़ जवाब देने की योजना बना रही है। पीएम मोदी ने भाजपा के खिलाफ बन रहे कथित गठबंधन को भ्रष्टाचारियों का गठबंधन करार दिया है।