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‘आतंक के समर्थक’ PFI से हामिद अंसारी और कांग्रेस का प्रेम पुराना है!

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देश पर करीब छह दशक तक राज करने वाली कांग्रेस आतंक के खिलाफ अपनी नीति भी राजनीतिक फायदे-नुकसान को देखकर तय करती रही है। आतंकी मामलों पर कांग्रेस के रुख से पहले भी कई बार इस बात को बल मिलता रहा है। अब एक नये घटनाक्रम से उभरे सवाल पर उसका चुप्पी साधे रहना आतंक को लेकर भी उसके दोहरे रवैये पर मुहर लगाने जैसा है।

नये एजेंडे में जुटे हामिद अंसारी?

पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने पिछले दिनों केरल में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के एक कार्यक्रम में ये जानते हुए भी शिरकत की थी कि इस संगठन पर आतंकियों के समर्थन का आरोप है। 23 सितंबर को कोझिकोड में महिलाओं से संबंधित विषय पर इस सम्मेलन को नई दिल्ली स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ ऑब्जेक्टिव स्टडीज ने नेशनल वूमेन फ्रंट (NWF) के साथ मिलकर आयोजित किया था। NWF, PFI की महिला शाखा है। PFI पर युवाओं को आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट में भर्ती करने के आरोप लगते रहे हैं। ऐसे में देश के किसी संवैधानिक पद पर लंबे समय तक रहे किसी शख्स का PFI से संबंधित कार्यक्रम का हिस्सा बनना कई सवाल छोड़ता है। बड़ा सवाल ये उठ रहा है कि क्या हामिद अंसारी उप राष्ट्रपति पद से रिटायर होने के बाद क्या कुछ विशेष एजेंडे में लग गये हैं? सवाल इसलिए क्योंकि ये वही हामिद अंसारी हैं जिन्हें दस वर्षों तक उप राष्ट्रपति के पद पर बैठे रहने के बाद कुर्सी छोड़ने के वक्त जाकर जाकर ये महसूस हुआ था कि था कि देश के मुसलमानों में घबराहट है, एक असुरक्षा का माहौल है। 

अल्पसंख्यक वोटों के लिए हामिद का इस्तेमाल?

हामिद अंसारी कांग्रेस के उन चेहरों में रहे हैं जिनका इस्तेमाल पार्टी अल्पसंख्यक वोट बैंक में पहुंच बनाने की कोशिश में करती रही है। PFI के कार्यक्रम में हामिद अंसारी का शामिल होना कोई चौंकाने वाली बात नहीं क्योंकि अल्पसंख्यक वोट बैंक की खातिर कांग्रेस आतंक के मुस्लिम चेहरों के प्रति नरम रुख अख्तियार करती रही है। ये वही पार्टी है जिसके कुछ नेता मुस्लिमों के तुष्टिकरण के चक्कर में हिंदू आतंकवाद जैसे टर्म लेकर सामने आये थे।

कांग्रेस पर PFI के कृत्यों को बचाने का आरोप

सूत्रों के मुताबिक सन् 2010 में केरल पुलिस ने PFI की गतिविधियों पर केंद्रीय गृह मंत्रालय को जानकारियां मुहैया करवाई थी लेकिन तब कांग्रेस नेतृत्व की सरकार ने इस पर कार्रवाई की जरूरत तक नहीं समझी थी। 2010 में केरल के कन्नूर जिले में एक दलित युवक की तालिबानी अंदाज में हुई हत्या के मामले की जांच में इसी ग्रुप का हाथ सामने आया था। ऐसे में कार्रवाई की उदासीनता कांग्रेस को सीधा कटघरे में खड़ा करती है। बताया जा रहा है कि PFI के नेताओं को बचाने के लिए तब की मनमोहन सरकार ने आतंक में इस संगठन की भूमिका को नजरअंदाज कर दिया था। postcard.news  की एक रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि 2009 में लव जिहाद के एक मामले की सुनवाई करते हुए कैसे केरल हाईकोर्ट की टिप्पणी से PFI की खतरनाक गतिविधियों का संदेह पुख्ता हो रहा था। तब केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन ने भी इसको लेकर अपनी चिंता को उजागर किया था।

विध्वंसक गतिविधियों में PFI का नाम

NIA ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को दिये एक रिपोर्ट में दावा किया है कि PFI आतंकवादी कृत्यों में लिप्त रहा है जिसमें आतंकी शिविर संचालित करना, बम बनाना शामिल है और यह गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून के तहत प्रतिबंधित घोषित करने का एक सटीक मामला है। PFI की कथित रूप से 23 राज्यों में मौजूदगी है और यह केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक में मजबूत है। 2009 में मैसूर में हुए दंगों के पीछे इस संगठन का नाम आया था।

PFI पर खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट

PFI को देश में कट्टरवाद को बढ़ावा देने वाले संगठन के रूप में जाना जाता है। वर्ष 2011 में खुफिया एजेंसियों की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि PFI के प्रतिबंधित इस्लामिक संगठन सिमी से रिश्ते हैं। खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के सदस्यों को धारदार हथियारों से लेकर क्रूड बम और यहां तक कि IED बनाने और उसके इस्तेमाल की ट्रेनिंग दी जाती है। इस रिपोर्ट में ये भी लिखा है कि ये संगठन देश की सुरक्षा के लिए खतरा है।

सवाल साफ है कि इतनी विध्वंसक गतिविधियां जिस संगठन के नाम से जुड़ रही हों उसके कार्यक्रम में पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी का शामिल होना आखिर क्या बताता है? वीएचपी का कहना है कि हामिद अपनी ऐसी भूमिका में जेहादी संगठनों के संरक्षक के रूप में काम करते दिखाई दे रहे हैं।

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