Home समाचार अलग-थलग पड़े पाकिस्तान को अब इन भारतीयों का सहारा!

अलग-थलग पड़े पाकिस्तान को अब इन भारतीयों का सहारा!

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आतंकवाद और जम्मू-कश्मीर के मामले पर दुनिया भर में अलग-थलग पड़े पाकिस्तान की आखिरी उम्मीद अब कुछ चुनिंदा भारतीयों पर टिकी हुई है। आर्टिकल 370 पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, गुलाम नबी आजाद, पी चिदंबरम, मणिशंकर अय्यर और दिग्विजय सिंह ने जिस तरह से विवादित बयान दिए हैं। उससे पाकिस्तान के आंखों में चमक लौट आई है। इन कांग्रेसी नेताओं के बयान पाकिस्तानी चैनल पर प्रमुखता से चलाए जा रहे हैं। कांग्रेसी नेताओं के भाषण पाकिस्तानी मीडिया में छाए हुए हैं। इन नेताओं को पाकिस्तान के प्रति सहानुभूति रहखने वालों के तौर पर देखा जा रहा है। पाकिस्तानी न्यूज चैनल पर एक डिबेट में वहां के एक नेता और पत्रकार मुशाहिद हुसैन ने कहा कि भारत एक बहुत बड़ा देश है और वहां सब कोई प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का समर्थन नहीं करता। ऑप इंडिया के अनुसार उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को धैर्य रखना होगा क्योंकि अरुंधति, ममता और कांग्रेस नेताओं जैसे कुछ पाकिस्तान के प्रति सहानुभूति रखने वाले लोग हैं। हुसैन ने डिबेट में अपने एंकर से साफ कहा कि ये सब आपके साथ है। मुशाहिद हुसैन ने कहा कि ये तीनों पाकिस्तान से सहानुभूति रखते हैं और पाकिस्तान के हित में वो मददगार साबित हो सकते हैं। लेखिका अरुंधति रॉय कई बार भारत विरोधी बयान दे चुकी है। जिस तरह से ममता बनर्जी और कांग्रेसी नेताओं ने विवादित बयान दिए हैं उससे पाकिस्तान को बल मिला है।

पाक के लिए प्रोपगेंडा करती है शोभा डे- बासित
भारत में पाकिस्तान के पूर्व उच्‍चायुक्‍त अब्दुल बासित ने एक इंटरव्यू में कहा कि बुरहान वानी की मौत के बाद सेलिब्रिटी राइटर शोभा डे ने उनके कहने पर पाकिस्तान के समर्थन में एक आर्टिकल लिखा। इंडिया टीवी के अनुसार लेखिका शोभा डे ने 2016 में बुरहान वानी की मौत के बाद एक आर्टिकल लिखकर कश्मीर में जनमत संग्रह की वकालत कही गई थी। शोभा डे के इस आर्टिकल में वो तमाम बातें कहीं गईं थीं, जो आए दिन पाकिस्तान बोलता है। बासित ने एक वीडियो नें कहा कि बुरहान वानी की शहादत के बाद यह देखा गया कि किस तरह से पैलेट गन्स का इस्तेमाल हुआ, इकॉनोमिक ब्लॉकेड हुआ, कश्मीर की इकॉनोमी बर्बाद हो गई थी। लेकिन भारत में ऐसा कोई शख़्स नहीं था जो कश्मीर की हालत का सही मायने में ज़िक्र कर सके। मेरे लिए यह चैलेंज था कि भारत के किसी जर्नलिस्ट को कश्मीर के हालात पर किसी अख़बार में कोई ‘अच्छा’ आर्टिकल लिखने के लिए राजी कर सकूं। इसी वीडियो में बासित कहते हैं कि उन्होंने शोभा डे से इस मसले पर बात की और उन्होंने एक आर्टिकल लिखा था।

 

 

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