Home समाचार सलाउद्दीन के ‘ग्लोबल आतंकी’ बनने से पाकिस्तान हुआ नंगा 

सलाउद्दीन के ‘ग्लोबल आतंकी’ बनने से पाकिस्तान हुआ नंगा 

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति और सफल कूटनीति का ही प्रमाण है कि आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान एक बार फिर बेनकाब हुआ है। इस बार पाकिस्तान को बेनकाब अमेरिका ने किया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने हिजबुल मुजाहिद्दीन के मुखिया सैयद सलाउद्दीन को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित कर दिया है। यह घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलने से कुछ घंटे पहले हुई। प्रधानमंत्री मोदी इन दिनों अमेरिका की यात्रा पर हैं।

ग्लोबल टेररिस्ट घोषित होने वाला कश्मीरी है सलाउद्दीन

हिजबुल मुजाहिद्दीन का मुखिया सलाउद्दीन कश्मीरी होकर भी पाकिस्तान में रहता है और वहां से कश्मीर में आतंकी गतिविधियों का संचालन करता है। पाकिस्तानी सरकार द्वारा उसे पूरी तरह से संरक्षण प्राप्त है। इसी हिजबुल मुजाहिद्दीन का कमांडर था बुरहान बानी, जो सेना से मुठभेड़ में मारा गया था। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने जिसे शहीद कहा था, आजादी की लड़ाई लड़ने वाला युवक बताया था। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शरीफ ने संयुक्त राष्ट्र से लेकर तमाम वैश्विक मंच से बुरहान बानी का महिमामंडन किया। उसी बुरहान बानी के संगठन के मुखिया को अमेरिका ने कश्मीर में आतंक फैलाने का दोषी मानते हुए ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किया। यह पहली बार हुआ है कि किसी कश्मीरी को अमेरिका ने ग्लोबल आतंकी माना है। अमेरिका की यह घोषणा पीएम मोदी के विचारों की पुष्टि करता है कि पाकिस्तान के लिए आतंकवाद को संरक्षण देना उसकी स्टेट पॉलिसी है।

अमेरिकी सीनेट की रिपोर्ट ने माना पाकिस्तान आतंकवाद समर्थक

ऐसा नहीं है कि अमेरिका ने कोई पहली बार पाकिस्तान आतंकवाद के मुद्दे पर भारत का पक्ष लिया है। कुछ दिन पहले जब सउदी अरब में मुस्लिम देशों के राष्ट्रध्यक्षों की एक बैठक हुई थी। तब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की मौजूदगी में अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत को आतंकवाद से पीड़ित देश बताया था और पाकिस्तान जैसे आतंकवाद के मददगार देशों को चेतावनी दी थी। अमेरिकी सीनेट ने अपनी एक रिपोर्ट में माना कि पाकिस्तान आतंकवादी तत्वों की मदद करता है। इस लिए अमरिका ने पाकिस्तान को सैन्य मदद को सीमित कर दिया है। कुछ दिन पहले अमेरिकी थिंक टैंक के एक कार्यक्रम में पाकिस्तानी राजदूत ने जब पाकिस्तान को आतंकवाद की मुखिलाफत करने वाला देश बताया, तो वहां मौजूद सभी लोग हंसने लगे थे।

अमेरिका के लिए भी पाकिस्तान साथी नहीं खतरा

सेंटर फॉर स्ट्रैटजी एंड इंटरनेशनल स्टडीज (CSIS) की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकी ग्रुप के लिए मददगार है। अमरीकी प्रशासन इस रिपोर्ट के आधार पर पाकिस्तान को साथी कम, खतरा ज्यादा मानने लगा है। अमेरिकी प्रशासन विचार कर रहा है कि अगर पाकिस्तान ने आतंकवाद का समर्थन बंद नहीं किया, तो उस पर प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है। पिछले दिनों अमेरिका ने पाकिस्तान को आतंकवाद से लड़ने के लिए दी जाने वाली मदद को मुफ्त में मिलने वाली सूची से हटा दिया था। अमेरिका ने कहा था कि पाकिस्तान को अगर और सैन्य उपकरण चाहिए तो उसे खरीदना पड़ेगा, यह सहायता नहीं होगी।

चीन के रूख में भी आएगा बदलाव

शंघाई सहयोग संगठन SCO में भारत और पाकिस्तान दोनों को पूर्णकालिक सदस्य इसी साल बनाया गया है। इस संगठन का उद्देश्य सदस्य देशों के बीच सैन्य सहयोग, खुफिया सूचनाओं का आदान-प्रदान और आतंकवाद के विरोध में एकजुट होना है। मध्य एशिया में यह सशक्त संगठन है। अगर सबूतों के आधार पर भारत पाकिस्तान की करतूतों को उजागर करेगा, तब चीन के लिए भी चोरी छिपे या खुलेआम पाकिस्तान की तरफदारी कर पाना आसान नहीं रहेगा। अब तक पाकिस्तान का बचाव करने के लिए चीन न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप और पाकिस्तानी आतंकवादी मसूद अजहर के मुद्दे पर अड़ंगेबाजी करता आया है। भारत अब SCO के माध्यम से चीन पर दबाव बनाकर इसकी पैंतरेबाजी को खत्म करेगा।

भटके हुए युवाओं का संगठन नहीं है हिजबुल मुजाहिद्दीन

अधिसंख्य लोगों की धारणा रही है कि हिजबुल मुजाहिद्दीन कश्मीर के भटके हुए गुमराह युवकों का संगठन है। वास्तविकता यह है कि इस संगठन में पाकिस्तानी आतंकवादियों की भरमार है। अन्य विदेशी आतंकवादियों की संख्या भी कम नहीं है। इसी बात की पुष्टि सैयद सलाउद्दीन का बयान भी करता है। उसने कुछ साल पहले कहा था, “हमारे संगठन में विदेशी मित्रों की उपस्थिति उन लोगों की आंखें खोलती हैं जो हमारे आंदोलन को भटके हुए कश्मीरी युवकों का कार्य मानते हैं”।

हिजबुल मुजाहिदीन का इतिहास

हिजबुल मुजाहिदीन कश्मीर घाटी में निर्दोष मासूम लोगों पर कहर बरपाने वाला कुख्यात आतंकवादी संगठन है, जिसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर में भय का वातावरण बनाकर कश्मीर को भारत से अलग करके पाकिस्तान में उसका विलय करना है। इसका अस्तित्व हिजबुल मुजाहिदीन अप्रैल, 1990 में आया था। इसका गठन मास्टर एहसान डार ने किया था। डार 1988 में सीमा पार करके पाकिस्तान चला गया था और दो वर्ष बाद वहां से खूनी इरादे लिए पाकिस्तान के निर्देश पर कश्मीर लौट आया। डार को मोहम्मद अब्दुल्ला नामक आतंकवादी का विशेष सहयोग मिला।

बेरोजगार कश्मीरी युवकों को मोटी रकम का लालच देकर हिजबुल मुजाहिदीन के साथ जोड़ने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं आई, क्योंकि इस संगठन की स्थापना के समय से उसे बाहर से पूरी आर्थिक मदद मिल रही है। 11 नवम्बर, 1991 को सैयद सलाउद्दीन हिजबुल मुजाहिदीन का नया संरक्षक और प्रमुख कमांडर बना। यही सलाउद्दीन आज पाकिस्तान से इस संगठन की महत्वपूर्ण गतिविधियों को संचालित करता है।