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पाकिस्तान को फिर सताने लगा सर्जिकल स्ट्राइक का डर, पाकिस्तान के रेल मंत्री ने लिया पीएम मोदी का नाम

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जिस सर्जिकल स्ट्राइक पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सवाल उठाए, दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने सबूत मांगे, पाकिस्तान उसी सर्जिकल स्ट्राइक के दो साल बाद भी सदमे से उबर नहीं पाया है। पाकिस्तान के रेल मंत्री शेख राशिद ने बयान दिया है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक बार फिर पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक का आदेश दे सकते हैं।
दरअसल नरेन्द्र मोदी को लेकर पाकिस्तान और कांग्रेस एक ही भाषा बोलते रहे है। कांग्रेस की तरह पाकिस्तान ने भी शुरुआत में सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाए थे। कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने तो पाकिस्तान से खुलेआम कहा था कि मोदी को गद्दी से हटाने में हमारा साथ दीजिए।

कैसे हुई सर्जिकल स्ट्राइक? 
29 सितम्बर,2016 को भारतीय सेना ने पीओके में आतंकवादी लांच पैड्स पर सर्जिकल स्ट्राइक की।
एलओसी पार कर 7 आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर दिया, 38 आतंकियों को भी मार गिराया।
कुछ ही घंटों में सर्जिकल स्ट्राइक कर भारतीय सैनिक सुरक्षित रूप से अपनी सीमा में आ गए।

सर्जिकल स्ट्राइक पर शर्मनाक सियायत 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जवानों के खून की दलाली कर रहे हैं-राहुल गांधी
सरकार को पब्लिक की मांग पर सर्जिकल स्ट्राइक का वीडियो जारी करना चाहिए-पी चिदंबरम
मोदी सरकार को सर्जिकल स्ट्राइक का वीडियो जारी करना चाहिए- रणदीप सुरजेवाला
पाकिस्तान का मुंह बंद करने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत दें-अरविंद केजरीवाल
मोदी सरकार का जवाब 
क्या कांग्रेस तब सर्जिकल स्ट्राइक पर विश्वास करती, जब सेना कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी को अपने साथ मिशन पर ले जाती?
                                                                        मनोहर पर्रिकर, तत्कालीन रक्षा मंत्री

पाकिस्तान का डर 
भारत एलओसी पर लगातार युद्धविराम का उल्‍लंघन कर रहा है। हो सकता है कि वह सर्जिकल स्‍ट्राइक को अंजाम दे डाले। भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार को अपने वोट बैंक को जवाब देना है और उसे संतुष्‍ट करना है और पाकिस्‍तान विरोधी कैंपेन की उम्‍मीद ही ऐसे समय में की जा सकती है।
                                                                            शेख राशिद, रेल मंत्री, पाकिस्तान

अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने भी किया गुमराह  

कश्मीरियों ने भारत के दावे का सर्मथन नहीं किया- वाशिंगटन पोस्ट

क्या भारत PoK में सर्जिकल स्ट्राइक करने के योग्य है?- द डिप्लोमैट

कश्मीरियों से बात की जिन्होंने बताया कि भारतीय सेना ने LoC पार नहीं की- न्यूयॉर्क टाइम्स

दरअसल सर्जिकल स्ट्राइक जैसे कदम उठाने के लिए जिस जज्बे की जरूरत होती है, वो जज्बा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही मौजूदा सरकार में कूट-कूटकर भरा है। सूचना के अधिकार (RTI) के तहत मांगी गई कुछ जानकारियों पर सैन्य अभियान महानिदेशालय (DGMO) ने जो तथ्य दिये हैं उनसे ये साफ हो गया है 29 सितंबर को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकियों और उनके शिविरों को नेस्तनाबूद करने के लिए जो सर्जिकल स्ट्राइक की गई वो इस तरह की पहली कार्रवाई थी। DGMO का कहना है कि उसके पास 29 सितंबर, 2016 से पहले हुई किसी भी सर्जिकल स्ट्राइक का कोई रिकॉर्ड नहीं है।

RTI से पूछे गए सवाल पर DGMO के जवाब
एक RTI आवेदन के जरिये रक्षा मंत्रालय से ये सवाल पूछा गया था कि क्या 29 सितंबर, 2016 से पहले भी कोई सर्जिकल स्ट्राइक हुई थी? रक्षा मंत्रालय ने इस आवेदन को सेना के एकीकृत मुख्यालय को भेजा, जिसने DGMO से जानकारी मांगी थी। DGMO ने जवाब में कहा : ‘’29 सितंबर, 2016 को एक सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी। इससे पहले अगर कोई सर्जिकल स्ट्राइक की भी गई हो तो उसके पास उसका कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं।‘’ DGMO ने  कहा कि उसने इस पर पहले भी बयान जारी किया था।

RTI आवेदन में भारतीय सेना के रिकॉर्ड में दर्ज ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की परिभाषा भी पूछी गई थी। इसके जवाब में DGMO ने कहा:ओपन सोर्स में उपलब्ध जानकारी के मुताबिक ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ विशेष खुफिया सूचना पर आधारित एक ऐसा अभियान है जिसमें अधिकतम प्रभाव और भारतीय सेना को कम से कम क्षति हो उसके हिसाब से लक्ष्य साधा जाता है। इसमें सोचे-समझे तरीके से लक्षित क्षेत्र में प्रवेश कर बिल्कुल अचूक तरीके से कार्रवाई की जाती है।

केजरीवाल ने मांगे थे सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत
देश भर में लोग जहां सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर गौरवान्वित महसूस कर रहे थे, वहीं कुछ नेता अपने राजनीतिक मतलब से सेना की कार्रवाई पर भी शक जाहिर करने से नहीं चूके थे। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तो इसके सबूत तक मांग दिये थे। इस सिलसिले में उन्होंने तीन मिनट का एक वीडियो जारी किया था जिसे पाकिस्तान ने अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश की थी। केजरीवाल को इस हरकत पर करारा जवाब मिला था शहीद हेमराज की पत्नी धर्मवती से जिन्होंने कहा था : ‘’सबूत मांगने की जगह केजरीवाल को सेना की भूमिका की प्रशंसा करनी चाहिए थी। प्रूफ चाहिए तो उन्हें पाकिस्तान चले जाना चाहिए और वहीं अपनी राजनीति करनी चाहिए।‘’

कांग्रेस भी चली थी केजरीवाल की राह
कांग्रेस ने तो सर्जिकल स्ट्राइक जैसे कदम में राजनीति का रंग घोलकर सेना को ही अपमानित करने की कोशिश की थी। कांग्रेस नेता पी चिदंबरम और संजय निरुपम ने भी केजरीवाल की राह पर चलते हुए सरकार से सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत दिखाने की मांग की थी। अब DGMO के जवाब से ये भी साफ हो गया है कि कांग्रेस शासन ने कभी इतना बड़ा साहसिक निर्णय नहीं लिया था। सच तो ये है कि कांग्रेस की सरकारों ने अगर आतंकवाद के खिलाफ मोदी सरकार की तरह जीरो टॉलरेंस की नीति को जमीन पर लागू कर दिखाया होता तो भारत से आतंक का बोरिया बिस्तर कब का ना बंध चुका होता।

क्यों हुई थी सर्जिकल स्ट्राइक ?
18 सितंबर को उरी के आर्मी कैंप में हुई आतंकी वारदात में हमारे 20 सैनिक शहीद हो गये थे। इस वारदात ने देश को दहलाकर रख दिया था, पाकिस्तान पर लोगों का गुस्सा उबल रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हर क्षेत्र में नये-नये मुकाम हासिल कर रहा देश इस जख्म को बर्दाश्त करता तो कैसे? उच्चस्तरीय बैठक में बड़ा फैसला लिया जा चुका था जिसका संकेत 25 सितंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में ये कहते हुए दे दिया था कि सेना पराक्रम करती है। उरी आतंकी हमले के 10 दिन के भीतर ये पराक्रम सामने आया सर्जिकल स्ट्राइक के रूप में। भारतीय सेना के जांबाजों ने बड़ी तादाद में आतंकियों को मार गिराते हुए उन ढेर सारे बंकरों को तहस-नहस कर डाले जहां से दहशतगर्दी भारत में घुसने की ताक में रहता था

सर्जिकल स्ट्राइक से विश्व में बढ़ी भारत की साख 
भारतीय सेना के विशेष दस्ते की इस कार्रवाई ने आतंक के पालनहार पाकिस्तान को कहीं का नहीं छोड़ा था। पाकिस्तान दुनिया के सामने मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहा था इसलिए सर्जिकल स्ट्राइक के होने से ही इनकार करता रहा। आखिर वो इस सच को कबूलता भी कैसे, क्योंकि कबूलने से इस बात पर वो खुद मुहर लगा बैठता कि वो भारत के खिलाफ आतंक को बढ़ावा देता रहा है जिसके सबक के रूप में उस पर सर्जिकल स्ट्राइक की कार्रवाई गई। वहीं भारतीय सेना के इस पराक्रम की गूंज दुनिया भर में फैली। सर्जिकल स्ट्राइक से विश्व जगत ने एक बार फिर भारत की ताकत का लोहा माना।

पीएम मोदी के नेतृत्व में ये न्यू इंडिया की ताकत है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश का कायाकल्प होता जा रहा है। केंद्र की मौजूदा सरकार निर्णायक तरीके से आगे बढ़ रही है जिससे पूर्ववर्ती सरकार हमेशा बचती रही या यूं कहें कि उसके पास निर्णय लेने वाला नेतृत्व ही नहीं था। आज मोदी सरकार में बड़े-बड़े निर्णय का ये रंग जनहित की योजनाओं से लेकर सीमा की हिफाजत को लेकर भी दिख रहा है। मौजूदा नेतृत्व में भारत की शान से गुस्ताखी किसी भी देश के लिए भारी पड़ेगी।     

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