Home समाचार आतंकवादियों का ‘पनाहगार’ पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट करने की तैयारी में FATF

आतंकवादियों का ‘पनाहगार’ पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट करने की तैयारी में FATF

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खराब आर्थिक हालत के कारण पाकिस्तान दुनियाभर में कटोरा लेकर भीख मांगता फिर रहा है लेकिन उसे कोई भीख देने को तैयार नहीं है। आर्थिक हालत खराब होने के बाद भी पाकिस्तान आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहा है। आर्थिक तंगी से जुझ रहा पाकिस्तान के लिए एक और बुरी खबर आई है। 

आतंकवादियों को फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर नजर रखने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था Financial Action Task Force (FATF) से पाकिस्तान को झटका लगा है। एफएटीएफ से जुड़े Asia Pacific Group (APG) ने माना है कि पाकिस्तान ने UNSCR 1267 के प्रावधानों को उचित तरह से लागू नहीं किया। वह मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद समेत दूसरे आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम रहा है। ऐसे में अगले हफ्ते पेरिस में होने वाली बैठक में उसे ग्रे लिस्ट से हटाकर ब्लैक लिस्ट में रखा जा सकता है।

पाकिस्तान 40 में से 32 पैरामीटर पर नाकाम

Asia Pacific Group ने शनिवार को जारी 228 पेज की रिपोर्ट में कहा कि पाकिस्तान 40 में से 32 पैरामीटर पर नाकाम रहा। पाकिस्तान को आईएसआई, अलकायदा, जमात-उद-दावा, जैश-ए-मोहम्मद सहित अन्य आतंकी संगठनों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के मामले की पहचान कर तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

13-18 अक्टूबर के बीच समीक्षा बैठक संभव 

Asia Pacific Group की रिपोर्ट के बाद पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटाकर ब्लैक लिस्ट में डालने का खतरा बढ़ गया है। इससे पहले पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे लिस्ट में डाला गया था और उसे 27 सूत्रीय योजना को क्रियान्वित करने के लिए 15 महीने की डेडलाइन दी गई थी। यह सीमा सितंबर में समाप्त हो चुकी है। इस संबंध में FATF पेरिस में 13 से 18 अक्टूबर के बीच होने वाली बैठक में अंतिम समीक्षा कर सकती है।

पाकिस्तान को कर्ज लेने में होगी परेशानी

FATF द्वारा ब्लैकलिस्टेड होने पर अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष, विश्व बैंक और यूरोपीय संघ पाकिस्तान की वित्तीय साख को और नीचे रख गिरा सकते हैं। ऐसे में आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान की स्थिति और खराब हो जाएगी। FATF ने लगातार पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखा है। इस कैटेगरी के देश को कर्ज देने में बड़ा जोखिम समझा जाता है और इसी के कारण  अंतर्राष्ट्रीय कर्जदाताओं ने पाक को आर्थिक मदद और कर्ज देने में कटौती की है। 

 

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