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प्रधानमंत्री मोदी की इजरायल यात्रा से पाकिस्तानियों को मिर्ची क्यों लगी है ?

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऐतिहासिक इजरायल यात्रा से पाकिस्तान की नींद उड़ी हुई है। औपचारिक तौर पर तो वहां की सरकार की ओर से कुछ नहीं कहा गया है। लेकिन, वहां की मीडिया में जो बहस छिड़ी हुई है, उसमें उनकी बौखलाहट साफ झलक रही है। अंदर ही अंदर उन्हें ये डर सता रहा है कि भारत के खिलाफ आतंकवादियों को पालना-पोसना अब इतना आसान नहीं रहेगा। क्योंकि इजरायल की पहचान ही आतंकवाद की समस्या के खात्मे से है।

पाकिस्तान को तो सांप सूंघ गया है
इजरायल जाने वाले पहले प्रधानमंत्री मोदी का जिस ढंग से वहां स्वागत हुआ, वैसा कभी किसी ने न देखा था और न कभी सुना था। दुनिया भर की कूटनीतिक चर्चाओं में इस समय पीएम मोदी की इसी यात्रा की चर्चा चल रही हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि इस यात्रा पर अबतक अरब देशों ने भी कोई टिप्पणी नहीं की है। लेकिन इसी स्थिति से पाकिस्तानियों को मिर्ची लग रही है। पाकिस्तानी सेना से जुड़े लोग अपने नजरिए से तरह-तरह की आशंकाएं जता रहे हैं। तो कुछ पाकिस्तानी अनाप-शनाप बोलकर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं।

पाकिस्तान का द्वंद
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पाकिस्तान सरकार प्रधानमंत्री की इजरायल यात्रा पर सिर्फ बाहर से चुप्पी साधे हुए है। लेकिन अंदरूनी तौर पर वो इस यात्रा के हर रणनीतिक परिणामों के विश्लेषण में जुटी है। पाकिस्तान में जारी इस द्वंद को वहां के अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने जाहिर किया है, “लंबे समय से इजरायल भारत को हथियार और दूसरे रक्षा सामानों की सप्लाई करता आया है। अबतक इस स्थिति को दोनों देशों ने जानबूझकर गोपनीय बना रखा था। लेकिन अब दोनों देश अपने गहराते रक्षा संबंधों के बारे में खुलकर बोल रहे हैं। “ इस अखबार ने पाकिस्तान के रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल अमजद शोएब के हवाले से लिखा है, “भारत और इजरायल के बीच और बेहतर हो रहे संबंध पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ी सबक है। अगर भारत, इजरायल से मित्रता को और मजबूत कर सकता है और एक ही समय में वह उसके दुश्मन ईरान के साथ भी कूटनीतिक संबंध बनाए रख सकता है तो फिर पाकिस्तान अपनी विदेश नीति में बदलाव क्यों नहीं ला सकता?”

पाकिस्तान की चिंता
पाकिस्तानी अखबार ने वहां रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल शोएब के हवाले से लिखा है कि इजरायल के माध्यम से भारत ने अपनी पहुंच मॉडर्न अमेरिकी डिफेंस टेक्नोलॉजी तक बना ली है। यही नहीं इजरायल से मजबूत संबंधों के चलते भारत को रक्षा और सैन्य क्षेत्र में भी काफी लाभ मिला है। जबकि वहां के अंतरराष्ट्रीय मामलों के एक जानकार जफर नवाज को ये चिंता सता रही है कि , भारत-इजरायल की दोस्ती दक्षिण एशिया के रणनीतिक संतुलन को बिगाड़ सकता है। इससे भारत का मिसाइल कार्यक्रम भी आगे बढ़ेगा और ये पाकिस्तान के लिए बहुत बुरी खबर है।

पाकिस्तानियों की भड़ास
70 साल तक कोई प्रधानमंत्री इजरायल नहीं गया। पहली बार पीएम मोदी ने अगर वहां जाने का फैसला किया है, तो उनकी सोच में सिर्फ अपने देश को सशक्त बनाना है। उनका यही इरादा पाकिस्तानी जनता, वहां की सरकार, वहां की सेना से लेकर वहां के फिल्मी कलाकारों और मीडिया को भी चुभ रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत-इजरायल की इस दोस्ती को मुसलमानों के खिलाफ हिंदुओं-यहूदियों का गठबंधन बताया जा रहा है। पाकिस्तानी अभिनेत्री वीना मलिक तो और भी आग उगल रही हैं। उन्होंने कहा है कि, “जमीन पर बसने वाले दो शैतानी मुल्क की बात कर लें, जिनके मकसद सिर्फ मुसलमानों की बर्बादी है। दोनों देश मुसलमानों के खून के प्यासे हैं जी हां मैं बात कर रही हूं भारत और इजराइल की। ये दोनों मुल्क फितरत से एक ही हैं। “ यहां ये याद कर लेना जरूरी है कि वीना मलिक लंबे समय तक भारत में रोजी-रोटी कमा कर गई हैं। यानी पेट में आग लगती है तो भारत का रुख करती हैं और वो आग बुझते ही भारतीय समाज में आग लगाने की चाल चलने लगती हैं।

पाकिस्तानी मीडिया की बौखलाहट
पीएम मोदी ने 70 साल का इतिहास बदलकर पाकिस्तानी मीडिया को भी टेंशन में ला दिया है। वहां की मीडिया इसकी खीझ भारतीय मीडिया पर भी निकाल रहा है। उनके अनुसार, ‘भारतीय मीडिया गैर जरूरी तरीके से आतंकवाद के मुद्दे को तूल दे रहा है। वो भारत में कहीं भी होने वाले आतंकवादी वारदातों के लिए पाकिस्तान को ही जिम्मेदार ठहरा देते हैं।’ वो लगातार इस बात पर सवाल उठा रहे हैं कि पीएम के दौरे में फिलिस्तीन को क्यों नहीं शामिल किया गया? मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वहां के न्यूज चैनलों पर ये चर्चा हो रही है कि भारत-इजरायल की दोस्ती पाकिस्तान के खिलाफ है। वो चिंता जाहिर कर रहे हैं कि मोदी-नेतन्याहू की दोस्ती पाकिस्तान के लिए खतरा साबित हो सकती है।

पाकिस्तानियों का डर
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पाकिस्तानियों को ये चिंता भी खा रही है कि, भारत को इजरायल से हेरॉन-टीपी ड्रोन मिल गया तो उसकी धरती पर चलने वाले आतंकी कैंपों का क्या होगा। क्योंकि इसका उपयोग कर भारत उसके कब्जे वाले कश्मीर में कड़ी कार्रवाई कर सकता है। उस इलाके में सर्जिकल स्ट्राइक करके मोदी सरकार ने पहले ही पाकिस्तान के कान खड़े कर रखे हैं। इस इलाके में करीब 45 आतंकी कैंपों के सक्रिय होने की आशंका है। इसके अलावा भारत पाकिस्तान में छुपे बैठे सैयद सलाहुद्दीन, हाफिज सईद, मौलाना मसूद अजहर और दाऊद इब्राहिम जैसे आतंकवादियों को भी ठिकाने लगा सकता है। ये वो आतंकी हैं जो पाकिस्तान या उसके कब्जे वाले भारतीय हिस्से से छिपकर भारत के खिलाफ आतंकी साजिशें रचते रहे हैं।

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