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नोटबंदी से ‘क्लीन मनी’ अभियान को मिला नया आयाम

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8 नवंबर, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब विमुद्रीकरण यानि नोटबंदी की घोषणा की तो सब चकित रह गए। देश की अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से की गई इस पहल की सराहना हुई तो आलोचना भी हुई। लेकिन जैसे-जैसे वक्त बीतता जा रहा है इसके आलोचकों को भी जवाब मिलता जा रहा है। दरअसल नोटबंदी से पहले 1000 रुपये के 633 करोड़ नोट सर्कुलेशन में थे। इनमें से नोटबंदी के बाद 98.6 फीसदी नोट वापस बैंकों में जमा हो गए। यानि 8,900 करोड़ रुपये बैंकों में वापस नहीं लौटे हैं। स्पष्ट है कि सरकार के लिए अब इन नोटों का हिसाब-किताब लगाना अब आसान हो गया है। ये जानना सहज हो गया है कि इनमें कितने वैध हैं और कितने अवैध? दरअसल नोटबंदी का उद्देश्य था कि टैक्स बेस बढ़े और कालाधन जमा करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो। जाली नोटों का पता लगाने के साथ देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना और आतंकवादी-नक्सली नेटवर्क पर गहरी चोट करना भी इसका मकसद था। स्पष्ट है कि इन सब मोर्चों पर सरकार के इस ऑपरेशन ‘क्लीन मनी’ अभियान को बड़ी सफलता मिली है।

देश की इकोनॉमी का हिस्सा बने काला धन
15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से जब पीएम मोदी ने ये घोषणा की कि नोटबंदी (विमुद्रीकरण) के बाद तीन लाख करोड़ रुपये बैंकिंग सिस्टम में वापस आ गए हैं तो ये साफ हुआ कि सरकार का उद्देश्य एक हद तक पूरा हो गया है। दरअसल देश में छिपे अरबों नोट जो बैंकिंग व्यवस्था से बाहर हो गए थे वो बैंकों के पास वापस आ गए। यानि सरकार अपने इस मिशन में सफल रही है कि नोटबंदी के बाद पैसे बैंक तक पहुंचे और काले धन में कमी आई

मोदी और ऑपरेशन क्लीन मनी के लिए चित्र परिणाम

नोटबंदी से अर्थव्यवस्था को मिली रफ्तार
नोटबंदी का देश की अर्थव्यवस्था में दीर्घकालीन लाभ हुआ है। इसे नोटों की गिनती तक सीमित रखना ठीक नहीं है। दरअसल सरकार का मकसद इस बात का आकलन करना नहीं था कि कितने पैसे बैंक में जमा हुए बल्कि कालाधन का पता लगाना इसका उद्देश्य है। बैंकिंग सिस्टम में पैसा आ जाए तो इसका मतलब ये नहीं कि वो पूरा पैसा वैध है। इस पैसे के खिलाफ आयकर विभाग पूरी जांच कर रहा है। लाखों लोगों को नोटिस पर डाला गया है जिसका एक प्रत्यक्ष असर हुआ है कि डायरेक्ट टैक्स बेस बढ़ा है। इससे जीएसटी का प्रभाव भी बढ़ा है।

नोटबंदी से अर्थव्यवस्था बढ़ी के लिए चित्र परिणाम

नये करदाताओं की संख्या में बड़ी वृद्धि
नोटबंदी का एक मात्र उद्देश्य किसी का पैसा जब्त करना नहीं बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना था। अब जब नोटबंदी के परिणाम सबके सामने आ रहे हैं तो साफ है कि सरकार के सारे उद्देश्य ट्रैक पर हैं। नोटबंदी के बाद से 56 लाख नये करदाता देश की अर्थव्यवस्था से जुड़े। जाहिर है गरीबों की भलाई के लिए ये बड़ी सफलता है। दरअसल टैक्स रिटर्न करने के अंतिम दिन पांच अगस्त तक 56 लाख नये करदाताताओं ने रिटर्न दाखिल किया, जबकि पिछले साल यह संख्या 22 लाख थी। पहली अप्रैल से लेकर 5 अगस्त के बीच कुल मिलाकर 2.79 करोड़ आईटी रिटर्न दाखिल किए गए जबकि 2016 में इस दौरान 2.23 और 2015 में 2 करोड़ रिटर्न दाखिल किए गए।

  • 1 अप्रैल से 5 अगस्त 2017 तक पिछले वर्ष की तुलना में इसी अवधि में 34.25 प्रतिशत की वृद्धि हुई गैर-कॉरपोरेट करदाताओं द्वारा स्व-मूल्यांकन कर (कर दाताओं द्वारा स्वैच्छिक भुगतान) भुगतान किया गया।
  • कर आधार में वृद्धि और अनौपचारिक आय को औपचारिक अर्थव्यवस्था में वापस लाने के साथ ही, चालू वित्त वर्ष के दौरान गैर-कॉरपोरेट करदाताओं द्वारा अग्रिम कर की राशि में 1 अप्रैल से 5 अगस्त के बीच लगभग 42% की वृद्धि हुई है।

तीन लाख फर्जी कंपनियां के लिए चित्र परिणाम

पूर्वोत्तर राज्यों में रिकॉर्ड आयकर रिटर्न
नोटबंदी लागू होने के वित्त वर्ष में पूर्वोत्तर के राज्यों में आयकर संग्रह में रिकार्ड वृद्धि हुई है। हाल यह है कि वित्त वर्ष 2016-17 में नागालैंड में करीब 300 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जो देशभर में सबसे ज्यादा है। यह खुलासा आयकर विभाग के आंकड़ों में हुआ है। नागालैंड में आयकर संग्रह में जोरदार उछाल के ये आंकड़े इसलिए चौंकाते हैं क्योंकि वर्ष 2011-12 से 2015-16 के दौरान लगातार पांच वर्षो तक नागालैंड में हर साल औसतन 17 प्रतिशत की ही वृद्धि हुई थी। इसी तरह मिजोरम में 117 प्रतिशत तथा मणिपुर में 89 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जबकि वित्त वर्ष 2016-17 में पूरे देश में 14.5 प्रतिशत की वृद्धि ही हुई है।

आयकर रिटर्न के लिए चित्र परिणाम

लेस कैश व्यवस्था बनाना मकसद
रिजर्व बैंक के अनुसार 4 अगस्त तक लोगों के पास 14,75,400 करोड़ रुपये की करेंसी सर्कुलेशन में थे। जो वार्षिक आधार पर 1,89,200 करोड़ रुपये की कमी दिखाती है। जबकि वार्षिक आधार पर पिछले साल 2,37,850 करोड़ रुपये की वृद्धि दर्ज की गई थी। इस प्रकार, बिना किसी प्रतिबंध के, नोटबंदी के बाद कैश का प्रचलन कम हो रहा है। इससे पता चलता है कि लेस कैश के अभियान में सरकार ना सिर्फ सफल रही है बल्कि बिना हिसाब-किताब वाले धन की जमाखोरी में भी तेजी से गिरावट आई है ।

कैशलेस ट्रांजेक्शन और मोदी के लिए चित्र परिणाम

नोटबंदी के बाद कैश के इस्तेमाल में कमी आई। वर्ष 2016-17 के दौरान के कुछ आंकड़े नीचे दिये गए हैं-

  • 2016-17 के दौरान डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड से क्रमश: 110 करोड़ और 240 करोड़ ट्रांजेक्शन्स हुए। जिनमें क्रमश: 3.3 लाख करोड़ और 3.3 लाख करोड़ की रकम थी। जबकि 2015-16 में डेबिट और क्रेडिट कार्ड से क्रमश: 1.6 लाख करोड औरर 2.4 लाख करोड़ का लेनदेन हुआ था।
  • प्री-पेड इंस्ट्रूमेंट्स (पीपीआई) के साथ लेनदेन का कुल मूल्य 2015-16 में 48,800 करोड़ रुपये से 2016-17 में 83,800 करोड़ रुपये हो गया है। पीपीआई के माध्यम से ट्रांजेक्शन की कुल मात्रा लगभग 75 करोड़ से बढ़कर 196 करोड़ हो गई है।
  • 2016-17 के दौरान, राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर (एनईएफटी) ने 160 करोड़ के लेनदेन का संचालन किया, जो कि 120 लाख करोड़ रुपये का था। पिछले वित्त वर्ष में करीब 130 करोड़ ट्रांजेक्शन से पिछले वर्ष 83 लाख करोड़ रुपये था।

मोबाइल वॉलेट लेन-देन में भी बढ़ोतरी
मोदी सरकार के नोटबंदी लागू करने के बाद कैशलेस इकोनॉमी ने जोर पकड़ा। इसमें ऑनलाइन ट्रांजैक्शन, मॉबाइल वॉलेट का क्रेज दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक यह रफ्तार आनेवाले दिनों में और तेज होगी। कंसल्टेंसी कंपनी डिलॉयट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सालाना 126 प्रतिशत की दर से बढ़ते हुए मूल्य के हिसाब से मोबाइल वॉलेट से लेनदेन 2022 तक 32,000 अरब रुपये पर पहुंच जाएगा। मोबाइल वॉलेट से लेनदेन की संख्या में हर साल 94 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो रही है।

मोबाइल वॉलेट के लिए चित्र परिणाम

नोटबंदी के कारण कम हो रही ब्याज दर
नोटंबदी के बाद जब 3 लाख करोड़ रुपये बैंकिंग सिस्टम में आए तो ब्याज दर में भी कमी आई है।  दरअसल सरकार ने कभी ये दावा नहीं किया कि अच्छी खासी संख्या में नोट सिस्टम में वापस नहीं आएंगे। सरकार इस कोशिश में सफल रही है कि नोटबंदी के बाद काला धन देश की अर्थव्यवस्था में शामिल हो, जिससे बैंकों द्वारा अपने ग्राहकों को ब्याज दर में कमी कर लाभ पहुचाया जा सके।

ब्याज दर के लिए चित्र परिणाम

तीन लाख से ज्यादा फर्जी कंपनियां बंद
नोटबंदी की वजह से तीन लाख शेल कंपनियों के बारे में पता चला। यह सरकार की एक बड़ी सफलता थी। सरकार ने काला धन जमा करने के लिए बनाई गई तीन लाख से भी अधिक फर्जी कंपनियों का पता लगाया है। इनमें से 1,75,000 कंपनियों का पंजीकरण रद्द किया जा चुका है। इतना ही नहीं कई ऐसी कंपनियों का पता लगा है जहां एक पते पर ही 400 फर्जी कंपनियां चलाई जा रहीं थी। अगस्त के पहले सप्ताह में ही शेयर बाजार नियामक ‘सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया’ (सेबी) ने ऐसी 331 कंपनियों पर व्यापार प्रतिबंध लगा दिया, जिन पर फर्जी कंपनियां होने का संदेह था। इनमें कम से कम 145 कंपनियां कोलकाता में रजिस्टर्ड हैं और 127 कंपनियां गंभीर जांच के घेरे में हैं।

तीन लाख फर्जी कंपनियां के लिए चित्र परिणाम

अलगाववाद और आतंकवाद पर चोट
टेरर फंडिंग के मामले में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ने जो एक्शन लिया है, उससे बहुत सफलता मिली है। एनआईए की कार्रवाई से विदेश से आतंकियों को मिलने वाले पैसे पर रोक लगी है। यही नहीं नोटबंदी के बाद से आतंकियों के हौसले पस्त हुए हैं और उनके पास पैसा पहुंचने पर काफी हद तक ब्रेक लगाई जा सकी है। पहले जब कभी भी किसी आतंकी का एनकाउंटर होता था तो हजारों लोग वहां पहुंच जाते और आर्मी पर पत्थरबाजी करते। अब हालात ये हैं कि इनकी तादाद 20 या 30 से ज्यादा नहीं होती।

नोटबंदी पत्थरबाज और मोदी के लिए चित्र परिणाम

जाली नोटों का पता लगाना था उद्देश्य
नोटबंदी को लेकर जो लोग सफल या विफल के बहस में उलझे हुए हैं शायद वे इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य ही नहीं समझ पाए। नोटबंदी का एक मात्र उद्देश्य था कि जो छिपा हुआ धन है वह भी सामने आए और मुख्यधारा की अर्थव्यवस्था का हिस्सा बने। एक और उद्देश्य था जाली नोटों का पता लगाना। रिजर्व बैंक के अनुसार 500 रुपये के बंद हुए हर 10 लाख नोट में औसत 7 नोट नकली थे और 1000 रुपये के बंद हुए हर 10 लाख नोटों में औसत 19 नोट नकली थे।

तीन लाख फर्जी कंपनियां के लिए चित्र परिणाम

पकड़ी गई 72 हजार करोड़ की संपत्ति
”न खाऊंगा, न खाने दूंगा”। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के इस संकल्प को आयकर विभाग अपनी कार्रवाई से आगे बढ़ा रहा है। बेनामी संपत्ति के मामले में देश भर में कार्रवाई जारी है। सरकार कई स्तर पर ऐसी अघोषित-बेनामी संपत्तियों का पता लगाने में लगी हुई है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी है कि उसने सघन खोज, जब्ती और छापे में करीब 71,941 करोड़ रुपये की ‘अघोषित आय’ का पता लगाया है।

नोटबंदी पत्थरबाज और मोदी के लिए चित्र परिणाम

 

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