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द अनटोल्ड वाजपेयी: पॉलिटीशियन एंड पैराडॉक्स में कुछ भी अनटोल्ड नहीं

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पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी पर एक नई किताब आई है- द अनटोल्ड वाजपेयी: पॉलिटीशियन एंड पैराडॉक्स। किताब के लेखक हैं उल्लेख एनपी। उल्लेख एनपी ओपन मैगजीन के कार्यकारी संपादक हैं। इस पुस्तक के प्रकाशक पेंगुइन के अनुसार यह किताब साल की सबसे बड़ी राजनीतिक जीवनी है और ये पूर्व प्रधानमंत्री के जीवन को देखने का नया नजरिया पेश करता है। लेकिन किताब पढ़कर ऐसा कुछ नहीं लगता।

लेखक के पास इस किताब में उनके व्यक्तित्व को प्रदर्शित करने का एक शानदार अवसर था लेकिन उन्होंने इसे गंवा दिया है। इसके लिए उन्होंने कोई प्राथमिक या गहन शोध नहीं किया है। वे सिर्फ बाहरी स्रोतों पर निर्भर रहे हैं। किताब की कई बातें स्वाति चतुर्वेदी की किताब से मिलती हैं। स्वाति का झुकाव कांग्रेस की ओर रहा है। इसके साथ ही किताब के बैककवर पर लेखक के रूप में कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर का भी जिक्र है जिससे पता चलता है कि लेखक किस पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं। किताब में कुछ बाते सिर्फ सनसनी फैलाने के लिए सतही तौर पर लिखी गयी हैं।

इस नई किताब में दावा किया गया है कि जब वाजपेयी प्रधानमंत्री बने तो उनके खिलाफ पार्टी के लोगों ने साजिशें रचीं। किताब में एक मंत्री का संदर्भ देते हुए उनके नाम का उल्लेख किए बगैर लिखा गया है कि केंद्रीय मंत्री ने वाजपेयी को इसे लेकर ज्यादा परेशान न होने के लिए कहा था। पुस्तक में लिखा है कि इसके जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें खुद को कुर्सी से हटा कर आडवाणी को बिठाने की साजिश के बारे में पता चला है। उन्हें नहीं पता कि इसके पीछे कौन है, लेकिन उन्हें पक्का पता है कि ऐसी कोई साजिश हो रही है।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अच्छे वक्ता और प्रशासक के रूप में फेमस रहे हैं। सर्वश्रेष्ठ सांसद का का सम्मान पा चुके अटलजी एक राजनीतिक पंडित थे। आडवाणी जी के साथ उनकी दोस्ती जगजाहिर है और सत्ता को लेकर वे कभी संकुचित नहीं रहे। कुर्सी से लगाव रहता तो वे अपनी 13 दिन की सरकार तिकड़म करके बचा सकते थे।

इसके अलावा किताब में अयोध्या राम मंदिर, बाबरी मस्जिद, गोधरा कांड से लेकर गोवा तक के कई प्रकरणों के भी जिक्र है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनके रिश्ते का भी जिक्र है। लेकिन इसमें भी कुछ नया नहीं है। उल्लेख एनपी की यह किताब वाजपेयी जी पर पिछले साल आई किताब ‘हार नहीं मानूंगा’ के स्तर को छू तक नहींं पाई है। किताब में वाजपेयी जी की ज्यादातर बातें लोगों को पता ही हैं। कुछ भी अनटोल्ड जैसा नहीं है। पेंगुइन प्रकाशन समूह से प्रकाशित 304 पृष्ठों की इस किताब की कीमत 599 रुपए है।

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