Home नरेंद्र मोदी विशेष आपके एक वोट से हार गया ‘लोकतंत्र’!

आपके एक वोट से हार गया ‘लोकतंत्र’!

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क्षणिक गुस्सा या किसी के बहकावे में आकर एक एक वोट की कीमत लोकतंत्र पर कितनी भारी पड़ती है, ये इन विधानसभा चुनाव के नतीजों से साफ हो गया है। बीजेपी की मध्य प्रदेश और राजस्थान की लोकप्रिय सरकारें बेहद करीबी मुकाबले में कांग्रेस से मात खा गई। इन चुनाव नतीजों का विस्तार से विश्लेषण करने से पता चलता है कि जितने लोगों ने नोटा का बटन दबाया, यानी किसी को वोट नहीं देने का विकल्प चुना। अगर वो अपनी पसंद की पार्टी को चुनते तो एमपी में शिवराज सिंह चौहान और राजस्थान में वसुंधरा राजे की वापसी तय थी।

ये लोकतंत्र की विडंबना ही कहा जाएगा कि ज्यादा वोट पाने वाली पार्टी हार गई और कम वोट पाने वाली पार्टी सरकार बनाने के करीब पहुंच गई। 

मध्य प्रदेश में 15 साल सत्ता में रहने के बावजूद बीजेपी को 41 फीसदी वोट मिले। वोट की संख्या है 1 करोड़ 56 लाख 42 हजार 980। ये कारनामा करने के बावजूद बीजेपी 109 सीटों पर सिमट गई। दूसरी तरफ कांग्रेस को कुल वोटों का 40.9 फीसदी मिला। यानी बीजेपी को मिले वोटों से .10 फीसदी कम। कांग्रेस को मिले वोटों की संख्या है 1 करोड़ 55 लाख 95 हजार 153।

एमपी में कुल वोटों का 1.4 फीसदी यानी 5 लाख 42 हजार 295 वोट नोटा में पड़ा,इसके अलावा कांग्रेस को बीजेपी के मुकाबले 47 हजार 827 वोट कम मिले। नोटा और बीजेपी के ज्यादा वोट मिलकर करीब 6 लाख वोट हो जाते हैं। सोचिये अगर ये वोट नोटा पर ना पड़कर बीजेपी को मिले होते तो एमपी का चुनाव परिणाम क्या होता ? मध्य प्रदेश में एक बार फिर बीजेपी को छप्परफाड़ बहुमत मिलता। शिवराज की अगुवाई में एक बार फिर कम से कम 130 सीटों पर बीजेपी उम्मीदवार जीत जाते।

राजस्थान में और भी अजीब हुआ। राजस्थान में महज आधा फीसदी वोट पाकर कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिल गया जबकि बीजेपी सत्ता से बाहर हो गई।

राजस्थान में बीजेपी को मिले 38.8 फीसदी वोट। कुल वोट मिले 1 करोड़ 37 लाख 57 हजार 502। सीट मिली 77। उधर कांग्रेस को मिले 39.3 फीसदी वोट। कुल 1 करोड़ 39 लाख 35 हजार 201 वोट कांग्रेस के खाते में गए। कांग्रेस की सीट हो गई 99। बहुमत से केवल एक कम।

नोटा में पड़े 4 लाख 67 हजार 781 वोट। कुल वोटों का 1.3 फीसदी वोट जबकि कांग्रेस और बीजेपी में अंतर रहा महज एक लाख 77 हजार 699 वोटों का। अगर बीजेपी को कम मिले वोटों को नोटा को मिले वोटों से घटा दिया जाए तो राजस्थान में बीजेपा को करीब तीन लाख वोट ज्यादा मिलते। बीजेपी एक बार फिर प्रचंड बहुमत से सरकार बना लेती। 

दरअसल कांग्रेस को अंदेशा था कि बीजेपी समर्थक वोटरों को अपने पाले में लाना मुश्किल है। इसलिये कांग्रेस और कुछ संगठनों ने बीजेपी के खिलाफ नोटा का बटन दबाने का अभियान चलाया। इसका मकसद था बीजेपी के कट्टर वोटरों का वोट खराब करना।

कांग्रेस इस साजिश में कामयाब हो गई और बीजेपी के कट्टर समर्थकों, खासकर सवर्णों के एक वर्ग ने नोटा का बटन दबा दिया। इसका नतीजा ये निकला कि बीजेपी अपने लोकप्रिय समर्थक आधार के बावजूद कई सीटे हार गई और सत्ता से बाहर हो गई।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस की इस साजिश का अनुमान लगा लिया था। इसलिए उन्होंने बार बार बीजेपी कार्यकर्ताओं और आम लोगों से एक एक वोट का सदुपयोग करने की अपील की थी। पीएम मोदी ने कहा था कि आप ये मत सोचिये कि आपके वोट से एक विधायक बनता है, आपके विधायक से ईमानदार सरकार बनती है।

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