मनमोहन सिंह जब देश के प्रधानमंत्री थे तब उन्हें नॉन रेजिडेंट प्राइम मिनिस्टर कहा जाता था। लगातार विदेश यात्रा पर होने के बावजूद कोई खास उपलब्धि ना होने के कारण तब लोगों को पता ही नहीं चल पाता था कि वो कब विदेश यात्रा पर गए और कब लौटे। आंकड़े को देखे तो पता चलता है कि मनमोहन सिंह मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ज्यादा विदेशी दौरे पर गए लेकिन उनके दौरे के बारे में पता ही नहीं लग पाता था।
यूपीए शासनकाल में मनमोहन सिंह को नॉन रेजिडेंट प्राइम मिनिस्टर कहा जाने लगा था क्योंकि-
• अपने कार्यकाल में ज्यादातर दिन वह विदेश यात्राओं पर ही रहे।
• 2004-2009 के बीच 144 दिन वह 35 देशों की यात्राओं पर रहे।
• 2009-2014 के बीच 161 दिन वह 38 देशों की यात्रा पर रहे।
• दूसरे कार्यकाल की 38 विदेश यात्राओं में से 15 विदेशी यात्राएं ऐसे समय पर की जब संसद सत्र चल रहा था, ऐसे में विपक्ष उनसे बहुत नाराज रहता था।
• 2004-14 के दौरान 73 विदेशी दौरों पर 794.84 करोड़ रुपये खर्च किये।
• मनमोहन सिंह किसी भी पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री से अधिक दिनों तक विदेश यात्राओं पर रहे। उनकी तुलना में अटल बिहारी वाजपेयी ने 31 देशों की यात्रा के लिए 131 दिनों का समय लगया और मात्र 144 करोड़ रुपये ही खर्च किये।
• मनमोहन सिंह की तुलना में मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले साल लगभग उनके बराबर ही विदेश यात्राएं कीं लेकिन उसके परिणाम मनमोहन सिह की यात्राओं की अपेक्षा अधिक सशक्त और धारदार साबित हुए।
• प्रधानमंत्री मोदी रात के समय किसी देश में आराम करने के लिए होटल में नहीं रुकते बल्कि उसमें यात्रा करते हैं। इस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समय और धन बचाने का पूरा प्रयास करते हैं।
• मनमोहन सिंह ने अपने पहले साल की विदेश यात्राओं में 37 द्विपक्षीय समझौते किये वहीं नरेंद्र मोदी ने ऐसे 57 समझौते किये। नरेंद्र मोदी ने इसी दौरान 5 बहुपक्षीय समझौते किये तो मनमोहन सिंह ने मात्र एक समझौता किया।