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भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी पर कसा शिकंजा, 4 हजार करोड़ की विदेशी संपत्ति जब्त करने की तैयारी

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मोदी सरकार ने पंजाब नेशनल बैंक को करीब 13 हजार करोड़ का चूना लगाकर फरार हुए भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी पर शिकंजा कस दिया है। प्रवर्तन निदेशालय ने नीरव मोदी की विदेशों में मौजूद करीब 4 हजार करोड़ की संपत्ति चिन्हित कर ली है और इस संपत्ति को मनी लांड्रिंग निरोधक कानून (पीएमएलए) के तहत जल्द अटैच करने की तैयारी की जा रही है।

अमेरिका, ब्रिटेन, स्विटजरलैंड समेत कई देशों में है संपत्ति
ईडी अधिकारियों के अनुसार, मुंबई की एक स्थानीय अदालत से अमेरिका, ब्रिटेन, स्विट्जरलैंड, हांगकांग और सिंगापुर समेत कई अन्य देशों को नीरव मोदी व उसके परिवार से जुडे़ बैंक खातों, विला व घरों आदि को अटैच करने के लिए लैटर ऑफ रोगेटरीज जारी कराए हैं। कई अन्य लैटर ऑफ रोगेटरीज जारी करने की प्रक्रिया अभी जारी है। बता दें कि ईडी इससे पहले भी कई अन्य मामलों में ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में संपत्ति अटैच कराने में सफल रही है।

भारत की 700 करोड़ की संपत्ति अटैच
आपको बता दें कि भारत में भी नीरव मोदी और उसके परिवार की करीब 700 करोड़ रुपये की संपत्ति अभी तक अटैच कर चुकी है। इस साल फरवरी में फरार हो गए नीरव मोदी के खिलाफ हाल ही में इंटरपोल से गिरफ्तारी वारंट भी जारी कराया गया है। ईडी की तरफ से मोदी के खिलाफ दाखिल चार्जशीट में कुल 24 लोगों को आरोपी बनाया गया है।

आगे आपको बताते हैं कि पंजाब नेशनल बैंक को हजारों करोड़ का चूना लगाने वाले भगोड़े कारोबारी नीरव मोदी और इसी की तरह दूसरे आर्थिक भगोड़ों पर मोदी सरकार ने अब तक क्या-क्या कार्रवाई की है।

अब दुनिया के किसी भी देश में नहीं छिप सकेगा भगोड़ा नीरव
देश के गुनहगार और भगोड़े आर्थिक अपराधियों पर मोदी सरकार का शिकंजा सकता जा रहा है। कुछ दिन पहले ही दो अरब डॉलर के पीएनबी घोटाले की जांच कर रही सीबीआई के आग्रह पर इंटरपोल ने भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी, उसके भाई निशाल मोदी और उसके कर्मचारी सुभाष परब के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया है। अब इंटरपोल के 192 सदस्य देशों यानि पूरी दुनिया में भगोड़ा नीरव मोदी कहीं भी छिप नहीं पाएगा। रेड कॉर्नर नोटिस में इंटरपोल ने अपने 192 सदस्य देशों से कहा है कि अगर भगोड़ा नीरव मोदी और उसके साथी उनके देश में देखा जाता है तो उसे तत्काल गिरफ्तार कर लिया जाए या हिरासत में ले लिया जाए। इसके बाद उसके प्रत्यर्पण या निर्वासन की प्रक्रिया शुरू की जा सकेगी।

इंटरपोल ने यह रेड कॉर्नर नोटिस (आरसीएन) मुंबई की विशेष अदालत में दाखिल सीबीआई के आरोप पत्र और वहां के विशेष न्यायाधीश जे सी जगदाले द्वारा जारी गिरफ्तारी वॉरंट के आधार पर जारी किया है। जनवरी के पहले सप्ताह में नीरव मोदी अपनी पत्नी अमी मोदी जो अमेरिकी नागरिक हैं, भाई निशाल मोदी जो बेल्जियम का नागरिक है और मामा मेहुल चौकसी के साथ देश छोड़ कर भाग गया था।

रेड कॉर्नर नोटिस में इंटरपोल ने नीरव मोदी के सभी पांच पासपोर्ट की विस्तृत जानकारी दी है। ये पासपोर्ट उसे मई 2008 से मई 2017 के बीच जारी किए गए थे। इसमें यह जानकारी भी है कि भारत सरकार ने ये पासपोर्ट रद्द कर दिए हैं फिर भी वह इनके आधार पर यात्रा करने में सफल रहा है। सीबीआई ने इंटरपोल को नीरव मोदी के पांच पते भी दिए हैं जो न्यूयॉर्क के मेनहट्टन, ईस्ट चेस्टर और सेंट्रल के हैं और एक पता दुबई के अल बायान का है। सूत्रों के मुताबिक यह जानकारी भी दी गई है कि उसके हॉन्ग-कॉन्ग, यूनाइटेड किंगडम, बेलारूस, ब्रुसेल्स, न्यूयॉर्क, यूएई और अन्य स्थानों पर जाने की संभावना है।

12 जून को नीरव के खिलाफ जारी हुआ था गैर जमानती वारंट
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार के सख्त रवैये से आर्थिक घोटालेबाजों की शामत आ गई है। जाहिर है कि सत्ता संभालने के बाद से ही प्रधानमंत्री मोदी की भ्रष्टाचार और आर्थिक घोटालों को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति रही है। यही वजह है कि घोटाले सामने आने के बाद जिस तेजी से मोदी सरकार ने कार्रवाई की है, उसकी मिसाल पहले कभी देखने को नहीं मिली। 12 जून को मुंबई की विशेष अदालत ने 13 हजार करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के आरोपी नीरव मोदी और उसके 10 परिजनों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। अदालत ने यह वारंट प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा पिछले महीने दायर आरोप पत्र पर संज्ञान लेते हुए जारी किया था।

प्रवर्तन निदेशालय ने जून की शुरुआत में विशेष अदालत से आरोपियों के खिलाफ वारंट जारी करने की मांग की थी। ये वारंट स्पेशल प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत जारी किए गए थे। उल्लेखनीय है कि मई महीने में ईडी ने नीरव मोदी और 23 अन्य के खिलाफ 12 हजार पन्नों का आरोप पत्र दाखिल किया था। इसमें उसके पिता दीपक मोदी, बहन पूर्वी मोदी, जीजा मयंक मेहता, भाई नीशल मोदी और एक अन्य रिश्तेदार नेहाल मोदी शामिल हैं।

मई में नीरव और उसके परिजनों पर दायर हुआ था आरोप पत्र
ईडी ने 24 मई को आरोपपत्र दायर किया था। इसमें नीरव मोदी और उसके सहयोगियों पर 6,400 करोड़ रुपये के बैंक कोष को कथित रूप से विदेश में दिखावटी कंपनियों में इधर-उधर करने का आरोप लगाया गया था। इस आरोपपत्र में कुल 24 आरोपितों के नाम हैं। इसमें नीरव मोदी, उसके पिता, भाई नीशल मोदी, बहन पूर्वी मोदी, रिश्तेदार मयंक मेहता और डिजाइनर आभूषण कंपनियां सोलर एक्सपो‌र्ट्स, स्टेलर डायमंड्स और डायमंड्स आर यू शामिल थे।

भारत से बाहर भी नीरव मोदी की संपत्ति होगी जब्त
नीरव मोदी के खिलाफ भगोड़ा आर्थिक अपराध अध्यादेश के प्रावधानों को लागू करने की अपील किये जाने की तैयारी हो चुकी है। उसके बाद नीरव मोदी की भारत और देश से बाहर की संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू होगी। आपको बता दें कि मोदी के खिलाफ पहले ही एक अदालत गैर-जमानती वारंट जारी कर चुकी है। ईडी ने कुछ समय पहले इंटरपोल से उसके खिलाफ वैश्विक गिरफ्तारी वारंट जारी करने की अपील की है।

नीरव मोदी की 6 हजार करोड़ की संपत्ति जब्त
देश का 11 हजार करोड़ रुपया लेकर विदेश में बैठै नीरव मोदी पर भी सरकार की सख्ती जारी है। अब तक 5 हजार 649 करोड़ की संपत्ति कब्जे में ले ली गई है। हैदराबाद में 3800 करोड़ की संपत्ति पर भी कब्जा कर लिया गया है। उनके सभी शो रूम को सील कर दिया गया है। विदेशों में उनके शो-रूम को भी बंद करने की कोशिश जारी है। इसके अतिरिक्त इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने नीरव और उनके परिवार की 29 संपत्तियां और 105 बैंक अकाउंट भी जब्त कर लिया है।

नीरव के अलावा दूसरे आर्थिक घोटालेबाजों पर भी कड़ी कार्रवाई की गई है। डालते हैं एक नजर-

मेहुल चोकसी की संपत्ति पर सरकार का कब्जा
मेहुल चोकसी को भी नीरव मोदी के साथ कांग्रेस की सरकार मे लोन दिए गए थे। हालांकि मोदी सरकार ने कार्रवाई करते हुए 86 करोड़ 72 लाख रुपये के शेयर और म्युचुअल फंड में निवेश को फ्रीज कर दिया। छत्तीसगढ़ के 12 आउटलेट्स पर छापे, 5,46 करोड़ के हीरे जब्त कर लिए गए। ईडी ने मेहुल चोकसी की 1217.20 करोड़ और 41 संपत्तियां भी अटैच कर ली हैं। इसके साथ ही मेहुल चोकसी के पासपोर्ट भी रद्द कर दिए गए हैं।

विजय माल्या से वसूले जाएंगे 10,000 करोड़ रुपये
ब्रिटेन और भारत में विजय माल्‍या पर करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है। इनमें से एक मामले में विजय माल्या की याचिका को लंदन की एक कोर्ट ने खारिज कर दिया है। गौरतलब है कि भारत के 13 बैंकों के समूह ने माल्या से 1.55 अरब डॉलर से अधिक की वसूली के लिए यहां एक मामला दर्ज कराया था। अदालत के इस आदेश से 10, 000 करोड़ रुपये से अधिक राशि वसूले जाने का रास्ता साफ हो गया है।

विजय माल्या की पीठ पर कांग्रेस नेताओं का हाथ
गौरतलब है कि विजय माल्या की पीठ पर कांग्रेस के शीर्ष नेताओं हाथ था, इसलिए वे एक के बाद एक घोटाला करने में सफल होते चले गए। 2008 से जारी घोटाले की रकम जब 9000 करोड़ तक पहुंची तो मोदी सरकार ने शिकंजा कस दिया। हालांकि वे लंदन भाग गए, लेकिन केंद्र की मोदी सरकार की सख्ती के चलते वे वहां भी चैन से नहीं रह पा रहे हैं। अक्टूबर, 2017 में जब पहली बार माल्या को लंदन में गिरफ्तार किया गया, तभी साफ हो गया था कि मोदी सरकार इस भगोड़े को छोड़ने वाली नहीं है।

विजय माल्या की संपत्ति को अटैच करने का आदेश
08 मई, 2018 को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने फ़ॉरेन एक्सचेंज रेग्युलेशन ऐक्ट (FERA) उल्लंघन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में विजय माल्या की संपत्तियों को अटैच करने का आदेश दिया है। गौरतलब है कि 9,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में भारत के ‘भगोड़े’ हैं और मार्च 2016 से लंदन में रह रहे हैं। पिछले साल अप्रैल में स्कॉटलैंड यार्ड के प्रत्यर्पण वॉरंट पर गिरफ्तारी के बाद से वह जमानत पर हैं।

मोदी सरकार ने ब्रिटेन से माल्‍या, नीरव और ललित मोदी के जल्द प्रत्यर्पण को कहा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार आर्थिक अपराधियों, घोटालेबाजों और बैंक की रकम लूटने वालों को किसी भी कीमत पर छोड़ने वाली नहीं है। आर्थिक अपराधियों पर शिकंजा कसने के लिए जहां मोदी सरकार ने कानून को सख्त किया है, वहीं उनकी देश-विदेश में मौजूद संपत्ति जब्त की जा रही है। अब केंद्र सरकार ने देश का पैसा लूट कर फरार हुए नीरव मोदी, विजय माल्या, ललित मोदी जैसे भगोड़ों के प्रत्यर्पण की मांग की है।

हाल ही में भारत-ब्रिटेन गृह मामलों पर तीसरे दौर की वार्ता के दौरान भारत सरकार ने ब्रिटेन से भारतीय बैंकों का 9 हजार करोड़ रुपया गबन करने के आरोप में भगोड़ा घोषित किए जा चुके शराब किंग विजय माल्या और मनी लान्ड्रिंग के आरोपी पूर्व आईपीएल कमिश्नर ललित मोदी के जल्द प्रत्यर्पण की मांग की है। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने वहां छिपे हुए पीएनबी घोटाले के आरोपी नीरव मोदी का ठिकाना तलाशने में भी मदद मांगी है। बैठक के बाद गृह मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, वार्ता के दौरान दोनों पक्षों के बीच भारत के भगोड़े और आर्थिक अपराधियों के ब्रिटेन में रहने पर भी चर्चा हुई और भारत ब्रिटिश अधिकारियों को प्रत्यर्पण की प्रक्रिया जल्द पूरी करने की जरूरत समझाने में कामयाब रहा है।

पीएमओ के क्विक एक्शन से पकड़ा गया घोटालेबाज
इसी वर्ष 7 अप्रैल को जब एक और बड़े घोटालेबाज को सीबीआई ने धर दबोचा तो यह मामला भी 2008 से 2013 के बीच का निकला। यानि यह घोटाला भी कांग्रेस की यूपीए सरकार के दौरान ही हुआ था। दरअसल डायमंड पावर इंफ्रास्ट्रक्चर का प्रबंध निदेशक अमित भटनागर अलग-अलग बैंकों और गैर सरकारी बैंकों को करोड़ों का चूना लगा चुका है। वह विदेश भागने की तैयारी कर रहा था, लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय की सक्रियता ने उसके सारे प्लान पर पानी फेर दिया। सीबीआई ने उसपर आपराधिक षड्यंत्र, बैंक से धोखाधड़ी, जाली दस्तावेज और बैंक खाते के जरिए इस घोटाले को अंजाम देने का मामला दर्ज किया है।

ED ने जब्त की रोटोमैक की 177 करोड़ रुपये की संपत्ति
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार बैंकों का पैसा हड़पने वालों और आर्थिक घोटाला करने वालों को ढिलाई देने के मूड में नहीं है। बैंकों को चूना लगाने वाले चाहे बड़े-बड़े उद्योगपति हों या फिर कंपनियां, हर कोई मोदी सरकार की सख्ती से बेचैन है। अब प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में विक्रम कोठारी के स्वामित्व वाले कानपुर की रोटोमैक ग्लोबल की 177 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है। रोटोमैक ग्रुप पर बैंकों से 3,695 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप है। वित्तीय जांच एजेंसी के अधिकारियों के मुताबिक कंपनी और उसके निदेशक की जब्त संपत्तियां कानपुर, अहमदाबाद, गांधीनगर, देहरादून और मुंबई में हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने यह कार्रवाई सीबीआई की प्राथमिकी के आधार पर प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (पीएमएलए) 2002 के तहत की है। जांच से पता चला था कि अभियुक्तों ने बिना किसी वास्तविक लेनदेन के अपने व्यापार को बढ़ाचढ़ा कर दिखाया और कर्ज का भुगतान नहीं किया।

ईडी की जांच में पता चला है कि रोटोमैक ग्लोबल प्रा. लि. ने मर्चेटिंग ट्रेड  के जरिये कुछ चुनिंदा लोगों के साथ कारोबार किया और उनसे 1.5 व 2 फीसद के कमीशन पर लैटर्स ऑफ क्रेडिट (एलसी) हासिल किए। इन्हें या तो रोटोमैक के खातों में जमा कराया गया या फिर विक्रम कोठारी के विदेशों में स्थित खातों में। एलसी का इस्तेमाल दूसरे कारोबार जैसे लौह अयस्क की खरीद व रियल स्टेट में किया गया था। यानि कोठारी ने गलत तरीके से बैंकों से हासिल ऋण को दूसरे धंधों में लगाया। 

आपको बता दें कि बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा उदोगपति विक्रम कोठारी, उसकी पत्नी साधना, उसके बेटे राहुल और कुछ अज्ञात बैंक अधिकारियों और अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के बाद फरवरी में ईडी और सीबीआई ने मामला दर्ज किया था। कोठारी रोटोमैक समूह का अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं, जबकि उसकी पत्नी और बेटे निदेशक हैं। सीबीआई एफआईआर के मुताबिक, कोठारी ने बैंक ऑफ इंडिया (754.77 करोड़ रुपये), बैंक ऑफ बड़ौदा (456.63 करोड़ रुपये), इंडियन ओवरसीज बैंक (771.07 करोड़ रुपये), यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (458.9 5 करोड़ रुपये), इलाहाबाद बैंक (330.68 करोड़ रुपये), बैंक ऑफ महाराष्ट्र (49.82 करोड़ रुपये), और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (97.47 करोड़ रुपये) सहित विभिन्न बैंकों से कुल 2,919 करोड़ रुपये प्राप्त किए थे। कोठारी पर बैंकों के कंर्सोटियम से 3,695 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप है। इसमें प्रिंसिपल अमाउंट 2,919 करोड़ रुपये है। गौरतलब है कि हाल के समय में यह दूसरा बड़ा बैंक फ्रॉड का मामला है।

भ्रष्टाचार पर सख्ती के लिए बनाए गए कई कानून
मोदी सरकार ने हर बार यह साबित किया है कि भ्रष्टाचार के मामले में कोई कितना भी बड़ा क्यों ना हो बख्शा नहीं जाएगा। सरकार हर स्तर पर देश के आर्थिक अपराधियों को कानून के दायरे में लाने की कोशिश कर रही है और इसके लिए कई सख्त कानून भी बनाए हैं, आइये डालते हैं एक नजर-

  • फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ऑफेंडर्स ऑर्डिनेंस
  • राष्ट्रीय वित्तीय सूचना प्राधिकरण को मंजूरी
  • संपत्ति गुणवत्ता की समीक्षा
  • इंसोल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड
  • अनरेग्युलेटेड डिपॉजिट स्कीम पर रोक विधेयक
  • पीएसबी पुनर्पूंजीकरण
  • एफआरडीआई विधेयक
  • बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम

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