Home पोल खोल अंदर से बेचैन हैं लालू ! परिवार और सत्ता दोनों पर संकट

अंदर से बेचैन हैं लालू ! परिवार और सत्ता दोनों पर संकट

SHARE

चारा घोटाले के सजायाफ्ता मुजरिम लालू यादव चाहे जितनी भी गीदड़ भभकी दें। अंदर ही अंदर उनके होश उड़े हुए हैं। खुद से तो जेल का पुराना नाता है, लेकिन अब उनकी पत्नी और बेटे पर भी जेल जाने की तलवार लटक गई है। लालू के नए कारनामें के दो पहलू हैं। पहला, उन्होंने रेलवे के दो हेरिटेज होटलों को कौड़ियों के भाव लीज पर दिया। दूसरा, औने-पौने दाम में लीज देने के बदले रिश्वत में जो बेनामी जमीन लिखाई उसके सौदे में भी कई तरह की धांधली की गई। चौंकाने वाली बात ये है कि इस पूरी साजिश को अंजाम देने का खेल 10 साल से भी अधिक समय तक चलता रहा। लालू जैसे भ्रष्टाचारी नेता के लिए तो सबसे बड़ी चपत तो ये है कि अगर मनी लॉन्ड्रिंग का केस बना तो उनकी सारी अवैध संपत्तियां तत्काल जब्त कर ली जाएंगी।

जब्त होगी लालू परिवार के मॉल की जमीन!
लालू यादव के परिवार के नाम की बहुचर्चित और विवादित मॉल की जमीन जब्त हो सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस केस में अब प्रवर्तन निदेशालय भी मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज करने की तैयारी में है। जानकारी के अनुसार अब निदेशालय (ED) प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डिंग एक्ट (PMLA) के तहत मॉल और उन दोनों होटलों को भी जब्त कर सकता है। गौरतलब है कि इस केस में सीबीआई ने लालू, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और उनके बेटे एवं बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के कई संगीन धाराओं में केस दर्ज किया है। 2002 में ये कानून बनने के बाद झारखंड के पूर्व सीएम मधु कोड़ा पहले नेता थे, जिसकी सैकड़ों करोड़ की अवैध संपत्ति जब्त हो चुकी है। जब लालू पर चारा घोटाले का दोष सिद्ध हुआ तब ये कानून नहीं था इसीलिए लालू की कोई संपत्ति जब्त नहीं हो पाई।

टेंडर घोटाले के आरोपी
सीबीआई ने रेलवे के होटलों के टेंडर घोटाले से लेकर बेनामी जमीन खरीद कांड में लालू यादव, बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, सरला गुप्ता, विजय कोचर, विनय कोचर, लारा प्रोजेक्ट्स और आईआरसीटीसी के पूर्व महानिदेशक पी के गोयल को नामजद आरोपी बनाया है। सीबीआई ने इन आरोपियों पर आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 120 बी (आपराधिक साजिश) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत FIR रजिस्टर किया है।

कब शुरू हुआ घोटाला ?
एबीपी न्यूज पोर्टल के अनुसार 2004 में IRCTC के गठन के बाद ही ये तय किया गया कि रांची और पुरी स्थित रेलवे के होटलों बीएनआर का संचालन उसी को दे दिया जाएगा। संयोग से उसी समय लालू यादव रेल मंत्री बने। सीबीआई के मुताबिक जैसे ही उन्हें रेलवे के फैसले की भनक लगी वो अपने कारनामे में जुट गए। आरोपों के मुताबिक इस साजिश में लालू यादव के अलावा सुजाता होटल्स के मालिक हर्ष कोचर एवं विनय कोचर, सरला गुप्ता और IRCTC के अधिकारी की शुरू से ही मिलीभगत रही। सीबीआई के अनुसार साजिश के तहत होटलों पर अधिकार पाने के लिए पूरी योजना बनाई गई और एक साथ कई खेलों को अंजाम दिया गया।

टेंडर में कैसे हुआ खेल ?
सबसे बड़ा खुलासा सीबीआई ने ये किया है कि, IRCTC को होटलों की कमान मिलने के बाद उसका प्रबंधन कोचर बंधुओं के हाथों में जाना पूरी तरह से संदिग्ध है। इसके लिए जिस टेंडर प्रक्रिया का प्रयोग किया गया उसमें भी कई तरह की खामियां पाई गई हैं। IRCTC के तत्कालीन डायरेक्टर पी के गोयल का नाम इसीलिए फंसा है। सीबीआई की मानें तो कोचर बंधु टेंडर की शर्तं को भी पूरी नहीं करते थे। सीबीआई ने साफ कहा है कि होटलों की सौदेबाजी की पूरी जानकारी लालू यादव को थी, क्योंकि वो रेलमंत्री थे। ऐसे ही पटना में जमीन के खेल में भी वो पूरी तरह संलिप्त रहे और जमीन के बदले में ही उन्होंने कोचर बंधुओं को होटलों पर कब्जा दिलाने में मदद की।

लालू के परिवार को मिला लाभ !
सीबीआई ने पता लगाया है कि पटना के सगुना मोड़ की जो जमीन 2005 में डिलाइट मार्केटिंग कंपनी की मालकिन सरला गुप्ता ने कोचर बंधुओं से खरीदी थी बाद में उसके शेयर लालू के परिवार के नाम कर दिए गए। बाद में डिलाइट कंपनी का नाम भी बदलकर लारा प्रोडेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड कर दिया गया। यानी इस सौदेबाजी का सीधा लाभ लालू के परिवार को मिला, जिसमें उनकी पत्नी और बेटे शामिल हैं। शेयरों के रूप में सरला गुप्ता ने 2010 से 2014 के बीच महज 65 लाख रुपये में जमीन लालू परिवार के नाम पर कर दिया। जबकि 2014 में मार्केट रेट पर उसकी कीमत 94 करोड़ रुपये थी और सर्किल रेटे के हिसाब से उसे 32 करोड़ का होना चाहिए था। चौंकाने वाली बात ये है कि 2005 में उसी जमीन की सौदेबाजी 1.47 करोड़ में शुरू हुई थी, जिसे कोचर बंधुओं ने डिलाइट कंपनी की मालकिन सरला गुप्ता को बेची थी। पता ये भी चला है कि वो जमीन शुरू से कॉमर्शियल थी, लेकिन उसे खेती की जमीन दिखाकर स्टैंप ड्यूटी में राज्य के खजाने को भी चूना लगाया गया।

Leave a Reply