नाउम्मीदी ने दिल में घर बना लिया था। चारो तरफ सिर्फ और सिर्फ अंधेरा ही नजर आ रहा था। ऐसा लगने लगा था कि जीवन की लड़ाई में अब जीत हासिल होना नामुमकिन होगा। हर तरफ सिर्फ मायूसी ही मायूसी थी। क्या अपने, क्या पराए सभी हार मान चुके थे… और फिर अचानक एक रोशनी नजर आई…जिसने न सिर्फ नई जिंदगी दी, बल्कि जीने का हौसला भी दिया… इस देश में ऐसी कई कहानियां मिलेंगी,जिनके तार सीधे-सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़े हैं। आइये आज हम आपको ऐसी ही कुछ कहानियों से परिचय कराते हैं।
पार्थ के सारथी बने मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 साल के पार्थ के सारथी बने। पार्थ जो कि डीजेनरेटिव ब्रेन नामक बीमारी से पीड़ित है। पार्थ के पिता अपने बच्चें की इस बीमारी के इलाज में अपनी पूरी जमा-पूंजी खर्च चुके थे, लेकिन फिर भी पार्थ को सही इलाज नहीं मिल पा रहा था। ऐसे में हर जगह हार मान चुके पार्थ के पिता को एक ही उपाय नजर आया और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेटर लिखा। श्री मोदी ने लैटर पढ़कर तुरंत स्वास्थ्य मंत्री को पार्थ के इलाज की उचित व्यवस्था कराने को कहा। अब एम्स में पार्थ का सही इलाज चल रहा है। पार्थ जिस डीजेरनेटिव ब्रेन बीमारी से पीड़ित है, इसमें बच्चें का विकास काफी धीमा हो जाता है, साथ ही उसकी समझ भी कम होने लगती है। इस बीमारी में बच्चे को झटका सा लगता है और वो चौंक जाता है, जिसे चिकित्सीय भाषा में मायोक्लोनिक जर्क कहते है। यह बीमारी जेनेटिक भी होती है साथ ही दूसरे कारणों की वजह से भी हो सकती है।
रोहित के लिए संकटमोचक बने पीएम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 साल के रोहित कुमार के लिए संकटमोचक बनकर सामने आए हैं। ऐसे समय में जब रोहित के परिवार को मदद की सख्त जरूरत थी, प्रधानमंत्री ने महज एक खबर का संज्ञान लेकर उन्हें ये मदद पहुंचाई। हिंदुस्तान टाइम्स अखबार में खबर आने पर प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एम्स में रोहित का इलाज कर रहे डॉक्टर से बात की। जिसके तुरंत बाद 13 फरवरी को रोहित के इलाज और पोर्टेबल वेंटिलेटर खरीदने के लिए प्रधानमंत्री राहत कोष से दो लाख रुपए जारी कर दिए गए। प्रधानमंत्री से मदद पाकर रोहित का परिवार बेहद खुश है।
डोरिस को दी आर्थिक मदद, डॉक्टरों से भी की बातचीत
दिल्ली से सटे गाजियाबाद जिले की डोरिस फ्रांसिस को प्रधानमंत्री कार्यालय से तीन लाख रुपए की मदद मिली। डोरिस एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और लंबे समय से नेशनल हाइवे 24 पर ट्रैफिक संभालती है। वह जहां ट्रैफिक संभालती हैं, वहीं उनकी 17 साल की बेटी का सड़क हादसे में निधन हो गया था। वह इन दिनों कैंसर से जूझ रहीं हैं।
हार्ट सर्जरी के लिए की नाबालिग को मदद
हार्ट की गंभीर समस्या से जूझ रहे 16 वर्षीय नाबालिग ने प्रधानमंत्री से आर्थिक मदद मांगी। मदद मांगने के बाद वह चंडीगढ़ में एक चोरी के केस में पकड़ा गया। इसके बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नाबालिग के इलाज के लिए 50 हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी है।
तैयबा का सहारा बने ‘मोदी अंकल’
आगरा की तैयबा का परिवार तो निराश हो चला था। महज 12 साल की उम्र में तैयबा के दिल का एक वॉल्व खराब हो गया। इलाज बेहद खर्चीला था। कैसे होगा इलाज। तभी तैयबा को मोदी अंकल का ध्यान आया। क्यों न उनसे मदद मांगी जाए। तैयबा ने पीएम को चिट्ठी लिखी और नतीजा दुनिया के सामने है। तैयबा का दिल्ली के गुरु तेग बहादुर अस्पताल में इलाज चल रहा है। तैयबा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखी चिट्ठी में कहा कि वह जन्म से ही दिल की बीमारी से पीड़ित है और उसके मजदूर पिता के पास 15 से 20 लाख रुपये नहीं कि इलाज करा सकें। तैयबा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा जब उन्हें पीएमओ से जवाबी चिट्ठी मिली। उसी खत में दिल्ली सरकार को निर्देश भी दिया गया था कि खर्च की परवाह किए बिना तैयबा का उचित इलाज करवाया जाए। दिल्ली सरकार ने भी इस पत्र पर कार्रवाई करते हुए गुरु तेग बहादुर अस्पताल को तैयबा के इलाज का निर्देश दिया और इलाज शुरू हो गया।
सांसद की अनुशंसा पर कैंसर पीड़ित की मदद
पटना के बीएम दास रोड निवासी सुमित रंजन सिन्हा को कैंसर इलाज के लिए प्रधानमंत्री राहत कोष से दो लाख रुपए दिए गए। राज्यसभा सांसद आरके सिन्हा की अनुशंसा पर पीएम नरेंद्र मोदी ने सहायता राशि को स्वीकृति दी। पीएम ने सुमित को एक शुभकामना संदेश भी भेजा, जिसमें उनके रोगमुक्त होने की कामना की। इसके अलावा सांसद की अनुशंसा पर कुर्जी के सना अर्फी को कैंसर के इलाज के लिए तीन लाख रुपए जबकि दिल्ली के प्रमोद जैन को भी पीएम राहत कोष से गंभीर बीमारी के इलाज के लिए 50 हजार रुपए दिए।
नन्ही परी रिद्धि को 3 लाख की मदद
बुलंदशहर की कैंसर पीड़ित नन्ही बच्ची रिद्धि को प्रधानमंत्री ने 3 लाख रुपए की मदद दी है। बुलंदशहर के हाजीपुर गांव के रहने वाले रिद्धि के पिता प्रयमेंद्र दिल्ली की एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे, लेकिन अपनी इकलौती बेटी को कैंसर से निजात दिलाने के संघर्ष में उनकी नौकरी चली गई। लाखों रुपए की जमापूंजी और गांव का खेतीबाड़ी बेचकर प्रयमेंद्र ने अपनी बेटी का इलाज कराया। दिल्ली के धर्मशिला अस्पताल में रिद्धि की 5 बार कीमियोथैरेपी हुई और फिर बोनमैरो ट्रांसप्लांट हुआ। लेकिन महज दो महीने बाद जांच में पता चला कि रिद्धि का कैंसर फिर से लौट आया है। अपने रिश्तेदार, दोस्तों से उधार लेकर रिद्धि के इलाज में लगा चुके प्रयमेंद्र की पीएम नरेंद्र मोदी ने 3 लाख रुपए से मदद की।
वाराणसी के कैंसर पीड़िता को मिली नयी जिन्दगी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एक महिला अपनी बेटी का इलाज कराने की गुहार लगाई। इस महिला की बेटी की दोनों किडनियां भी खराब है। प्रधानमंत्री ने पीड़िता को वाराणसी के रविंद्रपुरी स्थित दफ्तर में मुलाकात की। यह दफ्तर उनके संसदीय क्षेत्र के लोगों की समस्याएं इकट्ठा करने के लिए ही बनाया गया था। मोदी से मिलकर आईं कल्याणी मिश्रा ने बताया कि उन्होंने प्रधानमंत्री से अपनी बेटी का इलाज कराने की गुहार लगाई। प्रधानमंत्री ने तुरंत ही प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अधिकारियों का नंबर लगाया और उन्हें कहा कि मुझे पहली प्राथमिकता देते हुए मेरी सहायता की जाए। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि प्रधानमंत्री इतना विनम्र और मददगार हो सकता है।
पीएम की मदद से छह साल की वैशाली की हुई ओपन हार्ट सर्जरी
मोदी सरकार की तत्परता का अनुभव पुणे की सात साल की वैशाली यादव नाम की छोटी बच्ची ने लिया। वह पुणे में हडपसर के पास भेकराई नगर में रहती है। पहली कक्षा में पढ़ने वाली वैशाली के दिल में होल होने की वजह से वो हमेशा बीमार रहती थी। डॉक्टर सर्जरी अनिवार्य बताया। बच्ची के चाचा मजदूरी करते है। बहादुर बेटी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर अपने मन की बात बताई। खत मिलने पर पीएमओ ऑफिस से पुणे के कलेक्टर को वैशाली की मदद करने कहा गया और पुणे के रुबी हॉल क्लिनिक में वैशाली की ओपन हार्ट सर्जरी भी पूरी हो गई। वो अपने घर पर सुरक्षित है। वैशाली के घरवालों के लिए यही अच्छे दिन है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के आदेश पर मिली मदद
नोटबंदी की वजह से सारनाथ की ज्योति साहू को दुल्हन बनना मुश्किल लगने लगा तो प्रधानमंत्री को खत लिखा। प्रधानमंत्री दफ़्तर के निर्देश पर बीस हज़ार रुपए की मदद मिली।
प्रधानमंत्री की मदद से डीएवी में पढ़ेगा बच्चा
मुजफ्फरपुर बिहार जिले के प्रखंड मुरौल के शांभा के छात्र दिव्यांशु ने रेडियो पर प्रधानमंत्री के मन की बात सुनी। उसके बाद उसने अपने मन की बात कहने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा। उसने लिखा कि
उसका सपना डॉक्टर बनने का है। पापा जैसे-तैसे घर संभालते हैं। दादा जी के इलाज में बहुत सारे पैसे खत्म हो जाते हैं। इतने पैसे नहीं कि अच्छे स्कूल में पढ़ाई कर सके। उसने लिखा कि वह डॉक्टर बनकर जरूरतमंदों का इलाज करना चाहता है।
पीएम नरेंद्र मोदी की पहल पर केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय (एमएचआरडी) ने उसके नामांकन की सिफारिश सीबीएसई बोर्ड से की। फिर, बच्चे की इच्छानुसार सीबीएसई ने मुजफ्फरपुर के डीएवी पब्लिक स्कूल (मालीघाट) में उसके नामांकन के लिए स्कूल के प्राचार्य को पत्र लिखा। उसके बाद छात्र का सपना पूरा हो गया।