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2022 तक गरीबी, गंदगी और भ्रष्टाचार से मुक्त होगा भारत: नीति आयोग

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भारत 2022 तक गरीबी, गंदगी, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, जातिवाद और सांप्रदायिकता से मुक्त एक न्यू इंडिया होगा। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने न्यू इंडिया @2022 दस्तावेज में नए भारत की यह परिकल्पना की है। इसमें यह भी कहा गया है कि हम साल 2022 तक ‘कुपोषण मुक्त भारत’ का सपना भी पूरा कर लेंगे। इस विजन डॉक्युमेंट में कहा गया है कि भारत अगर 8 प्रतिशत की वृद्धि दर से आगे बढ़ना जारी रखता है तो 2047 तक यह दुनिया की टॉप तीन इकॉनोमी में होगा। राजीव कुमार ने कहा है कि प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना (पीएमएजीवाई) के तहत चयनित सभी गांव 2022 तक आदर्श गांव का दर्जा प्राप्त कर सकते हैं। विजन डॉक्युमेंट में कहा गया है कि हमें 2022 तक भारत को गरीबी मुक्त बनाने का संकल्प लेना चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली सरकार की योजनाओं और नीतियों पर नजर डालें तो उनमें से अधिकतर गरीबों को ध्यान में रखकर बनाई गई हैं। मोदी सरकार के शासन काल में अबतक गरीबों, किसानों और समाज के दबे-कुचले लोगों के कल्याण के लिये जितने काम हुए और हो रहे हैं, बीते 70 साल में कभी नहीं हुए।

गरीबों को मुफ्त LPG कनेक्शन
प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत मोदी सरकार बीपीएल परिवारों को फ्री गैस कनेक्शन और चूल्हे दे रही है। इसके लिए 8 हजार करोड़ रुपये का बजट 3 साल के लिए बनाया गया है। अब तक तीन करोड़ से अधिक परिवारों को इसका लाभ मिला है। हर बीपीएल परिवार को LPG गैस कनेक्शन खरीदने के लिए 1600 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। इनमें बड़ी तादाद दलितों और पिछड़ों की है। इस योजना के तहत 5 करोड़ परिवारों को मुफ्त LPG कनेक्शन दिये जाने हैं।

गरीबों को पक्के मकान
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत 2019 तक एक करोड़ गरीबों को पक्के मकान देने की तैयारी है। जबकि शहरों में 2022 तक दो करोड़ गरीबों को पक्का घर बना के दिया जाना है। प्रधानमंत्री मोदी की इस महत्त्वाकांक्षी योजना को युद्धस्तर पर क्रियान्वित किया जा रहा है। इसके लिये सरकार युद्धस्तर पर जुट गई है। जाहिर है कि प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना में मूल रूप से दलित, पिछड़े और आदिवासियों को ही इसका फायदा मिलेगा। 

31 करोड़ से अधिक गरीबों के खुले जनधन खाते
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में गरीबों को बैंकों से जोड़ने के लिए जन धन योजना की शुरुआत की। इस योजना के तहत न सिर्फ 31 करोड़ से ज्यादा गरीबों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ा गया, बल्कि 64,431 करोड़ रुपये से अधिक उनके खाते में जमा हो गये।

खुले में शौच से मुक्ति
खुले में शौच करने वालों में ज्यादातर गरीब और खासकर दलित व आदिवासी रहे हैं जिनके पास अपना शौचालय नहीं था। स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण इलाकों में 20 जुलाई, 2017 तक 4,39,21,270 घरों में शौचालय बनाए जा चुके थे। 2,06,441 गांवों को खुले में शौच से मुक्ति मिल चुकी है। 5 राज्य और 149 जिलों को खुले में शौच से मुक्ति मिल चुकी है। जबकि शहरों में 26,64,540 घरों में और 1,29,808 सामुदायिक और जन-शौचालय बनाये जा चुके हैं। इस अभियान में 2019 तक यानी महात्मा गांधी की 150वीं जयंती तक भारत को स्वच्छ बनाने का लक्ष्‍य किया गया है।

गांवों में दूर हुआ अंधेरा
मोदी सरकार ने आते ही यह पता लगाया कि 18, 452 गांवों में आजादी के बाद से अब तक बिजली नहीं पहुंची है। 1 मई, 2018 तक हर गांव में बिजली पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया है। इस पर 75, 600 करोड़ रुपये खर्च करना तय हुआ। बीते तीन सालों में 03 नवंबर, 2017 तक 14, 805 से ज्यादा गांवों में बिजली पहुंचा दी गयी है। दलित-आदिवासी और पिछड़े जो अब तक अंधेरे में रहने को मजबूर थे, उन्हें रोशनी मिल गयी है। ये लोकप्रियता के लिये नहीं हो रहा है, ये गरीबों के कल्याण के लिये है।

सबसे पिछड़े जिलों के उत्थान की सोच
पिछड़ों और गरीबों के कल्याण के लिये मोदी सरकार कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इसी से लगता है कि सरकार ने सबसे पहले देश के सबसे पिछड़े 100 जिलों में ही पहले विकास की योजना बनाई है। इस योजना पर नीति आयोग बाकी संबंधित मंत्रालयों के सहयोग से काम करेगा। ये बात किसी से छिपी नहीं कि सबसे पिछड़े जिलों का मतलब क्या है? ये वो जिले होते हैं जहां आम तौर पर दलित और आदिवासियों की तादाद अधिक होती है। यानी मोदी सरकार की नजर जरूरतमंदों के उत्थान पर है, अपनी लोकप्रियता पर नहीं।

ग्रामीण युवाओं को रोजगार के अवसर
दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना के तहत ग्रामीण युवाओं को रोजगार के अवसर मुहैया करवाया जा रहा है। इसके तहत 18 साल से 35 साल के ग्रामीण युवाओं को रोजगार के अवसर दिए जाने के लिए कौशल प्रशिक्षण का इंतजाम किया गया है। इस योजना के तहत इस साल 30 जून तक 655 केंद्रों में 329 ट्रेड के लिये 38,057 युवा प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं, इनमें से 24,103 युवाओं को रोजगार भी मिल चुका है। वहीं पिछले साल कुल 84,900 युवाओं को प्रशिक्षण मिलने के बाद रोजगार प्राप्त हो गया था।

स्टैंड अप इंडिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस कदम से देशभर में रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं। इस योजना के अंतर्गत 10 लाख रुपये से 100 लाख रुपये तक की सीमा में ऋणों के लिए अनुसूचित जाति/अनुसूचित जन जाति और महिलाओं के बीच उद्यमशीलता को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। हर बैंक को कहा गया है कि वह यह सुनिश्चित करे कि दलित, पिछड़े और महिलाओ को खोज कर इस स्कीम से उन्हें जोड़ें। 20 जुलाई, 2017 तक इस स्कीम के तहत 26,542 आवेदनों के लिये 4,369 करोड़ रुपये जारी किये जा चुके हैं।

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना
गरीबी के खिलाफ लड़ाई और बेहतर रोजगार अवसर के लिए युवाओं को कुशल बनाने के लिए इस योजना की शुरुआत की गई। जनजातीय कार्य मंत्रालय जनजातीय लोगों की जरूरतों और आवश्‍यकताओं के अनुरूप ढांचा तैयार करने के लिए कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के साथ मिलकर कार्य कर रहा है। 163 प्राथमिकता वाले जिलों (जनजातीय बहुल) में से प्रत्‍येक में एक बहु-कौशल संस्‍थान की स्‍थापना की योजना बनाई गई है। इसके तहत अबतक 398,164 को कम समय का प्रशिक्षण देकर रोजगार का अवसर उपलब्ध कराया गया है।

अटल पेंशन योजना
सरकार की यह एक और अहम योजना है। इससे किसी भी नागरिक को बीमारी, दुर्घटना या वृद्धावस्था में अभाव की चिंता नहीं करनी पड़ेगी। इस योजना का उद्देश्य असंगठित क्षेत्र के 18 से 40 साल के लोगों को पेंशन फायदों के दायरे में लाना है। इससे उन्हें हर महीने न्यूनतम भागीदारी के साथ सामाजिक सुरक्षा का लाभ उठाने की अनुमति मिलेगी।

प्रधानमंत्री जीवन ज्‍योति बीमा योजना
यह सरकार के सहयोग से चलने वाली जीवन बीमा योजना है। इसमें 18 साल से 50 साल तक के भारतीय नागरिक को 2 लाख रुपये का बीमा कवर सिर्फ 330 रुपये के सलाना प्रीमियम पर उपलब्‍ध है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
इसके तहत किसान अपनी फसल का बीमा करवा सकते हैं। यदि मौसम के प्रकोप से या किसी अन्‍य कारण से फसल को नुकसान पहुंचता है तो यह योजना किसानों की मदद करती है। 2016 में खरीफ की फसल  के लिये 390.02 लाख किसानों का बीमा कराया गया, जबकि 2016-17 में रबी की फसल के लिये 167.14 लाख किसानों का कम प्रीमियम में बीमा किया गया।

मिट्टी की सेहत के लिए सॉयल हेल्थ कार्ड
किस जमीन पर कौन सी फसल होगी, किस जमीन की उर्वरा शक्ति कैसी है इसकी जानकारी किसान को उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने सॉयल हेल्थ कार्ड शुरू किया। मोदी सरकार ने फसलों के अनुसार इस योजना शुरुआत की है। इसकी मदद से किसानों को पता चल जाता है कि उन्हें किस फसल के लिए कितना और किस क्वालिटी का खाद उपयोग करना है। फसल की उपज पर इसका सकारात्मक असर पड़ा है।

हर खेत में पानी
प्रधानमंत्री ग्राम सिंचाई योजना के तहत सरकार का लक्ष्य देश के हर खेत तक पानी पहुंचाना। इसमें पांच सालों (2015-16 से 2019-20) के लिए 50 हजार करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान किया गया है।

किसानों के लिए ऋण सुविधा बढ़ी
खेती के लिए ऋण लेने की सुविधा बढ़ायी गयी है। अब 10 लाख करोड़ ऋण किसानों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इसके साथ-साथ जिन राज्यों में किसानों की आर्थिक स्थिति खराब है और ऋण लौटाने में दिक्कत हो रही है वहां स्थानीय सरकार से बातचीत कर रास्ता निकालने की कोशिश बढ़ी है। यूपी जैसे राज्यों ने किसानों के लिए बड़े पैमाने पर ऋण माफ कर दिया है।

2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार किसानों की आय बढ़ाने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है। इसके तहत नई तकनीकों के उपयोग को बढ़ाने, फसल चक्र में परिवर्तन करने और कम लागत में खेती की जाए की जानकारी किसानों को दी जा रही है। सरकार ने लक्ष्य रखा है कि 2022 तक किसानों की आय को दोगुनी की जाए। इस संकल्प के साथ कई आधारभूत योजनाओं को जमीन पर उतारा गया है जो खेती-किसानी में सहायक सिद्ध हो रहा है।

मातृत्‍व लाभ कार्यक्रम का विस्‍तार
एक कुपोषित महिला अधिकांश तौर पर कम वजन वाले बच्‍चे को जन्‍म देती है। उन्हीं की मदद के लिये ये योजना शुरू की गई है। इस योजना के अंतर्गत गर्भवती और स्‍तनपान कराने वाली माताओं को पहले दो जीवित शिशुओं के जन्‍म के लिए तीन किस्‍तों में 6000 रुपये का नकद प्रोत्‍साहन दिया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 31 दिसम्‍बर, 2016 को राष्‍ट्र को दिये गये अपने संबोधन में सभी जिलों में मातृत्‍व लाभ कार्यक्रम के अखिल भारतीय विस्‍तार की घोषणा की थी और यह 1 जनवरी 2017 से लागू है। इससे करीब 51.70 लाख लाभार्थियों को प्रतिवर्ष लाभ मिलने की उम्‍मीद है।

मिशन इंद्रधनुष
इस योजना का उद्देश्‍य बच्‍चों में रोग-प्रतिरक्षण की प्रक्रिया को तेज गति देना है। इसमें 2020 तक बच्‍चों को सात बीमारियों- डिप्थीरिया, काली खांसी, टिटनेस, पोलियो, टीबी, खसरा और हेपेटाइटिस बी से लड़ने के लिए वैक्‍सनेशन की व्‍यवस्‍था की गई है। इस योजना के तहत अबतक 2.8 करोड़ बच्चों और 55.4 करोड़ गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण कराया जा चुका है।

गरीबी उन्मूलन के लिए नई योजना
मोदी सरकार ने गरीबी उन्मूलन के लिए एक ऐसी योजना की रूपरेखा तैयार की है, जो वर्ष 2019 से पहले-पहले ही साकार रूप ले लेगी। 1.2 लाख करोड़ की लागत वाली इस योजना का लक्ष्य देश के सबसे गरीब व्यक्ति तक की आर्थिक सुदृढ़ता सुनिश्चित करना है। सरकार ‘यूनिवर्सल सोशल सिक्योरिटी कवरेज’  नाम से बन रही इस योजना को अगले वित्त वर्ष 2018-19 के लिए महत्वपूर्ण एवं अनिवार्य, एक कल्याणकारी योजना के रूप में वित्त मंत्रालय को भेजने की तैयारी में है। यह योजना देश में इस समय मौजूद 17 सामाजिक सुरक्षा कानूनों की लक्ष्य-सिद्धि में भी सहायक होगी। वर्तमान में भारत में कुल कर्मचारियों की संख्या 45 करोड़ है। इनमें से 10 प्रतिशत से अधिक संख्या संगठित क्षेत्रों के कर्मियों की है, जिन्हें किसी न किसी रूप में आर्थिक सुरक्षा कवच प्राप्त है।

हाशिये पर पड़े मजदूर का हित
असंगठित क्षेत्र के कामगारों की बात करें तो इनकी सामाजिक सुरक्षा को लेकर कुछ भी तय नहीं। यूनिवर्सल सोशल सिक्योरिटी योजना के अंतर्गत इन कामगारों को भी कवर किये जाने की योजना है। एकत्रित किए जाने वाले फंड को उप योजनाओं में विभक्त कर दिया जाएगा। योजना दो स्तरों में विभक्त होगी। इसमें अनिवार्य पेंशन, बीमा [मृत्यु एवं दुर्घटना की स्थिति में], मातृत्व कवरेज, वैकल्पिक चिकित्सा, बीमारी, बेरोजगारी कवरेज आदि शामिल होंगे। वर्तमान कार्यान्वित प्रणाली के अंतर्गत कर्मचारी और नियोक्ता योगदानों सहित मूल वेतन का 25 प्रतिशत कर्मचारी भविष्य निधि में जाता है। इसके अतिरिक्त 6 प्रतिशत बीमा के लिए तय है।

घरेलू श्रमिकों के श्रम का मूल्य
घरेलू श्रमिक न्यूनतम मजदूरी, काम के अनिश्चित घंटे, कोई साप्ताहिक अवकाश न होना जैसी स्थितियों का सामना करने को मजबूर रहते हैं। दूसरी सरकारों ने तो इस वर्ग के हितों को शायद ही कभी समझा हो, मगर जीवन के कठोरतम दिन देखने वाले पीएम नरेंद्र मोदी ने इस वर्ग के अधिकारों के हितों की अनदेखी कभी नहीं की। उन्होंने अपने जीवन में संघर्ष को बहुत करीब से देखा है। यही कारण है कि मोदी सरकार जल्दी ही ऐसी योजना लाने जा रही है, जिसमें 30 लाख महिलाओं समेत, 47.5 लाख घरेलू कामगारों के कार्यों को कानूनी मान्यता दी जाएगी।

काम का सम्मान और सुरक्षा
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय से संबद्ध इस प्रस्तावित नीति के अंतर्गत इन श्रमिकों के अधिकारों को दूसरे श्रमिक वर्ग के समान ही महत्त्व एवं विस्तार देना शामिल है। साथ ही तय न्यूनतम मजदूरी, समान पारिश्रमिक, काम के घंटे आदि भी सुनिश्चित किए जाएंगे। श्रमिक कानूनी अधिकार दिलाना भी इस योजना का एक अंग है। सामाजिक सुरक्षा कवर, रोजगार का उचित स्वरूप, शिकायत निवारण और घरेलू कामगारों के विवादों को समाधान प्रदान करने हेतु संस्थागत तंत्र स्थापित किया जाएगा।

प्रयास होगा कि हर तरह के शोषण से इस वर्ग को बचाया जा सके। अंशकालिक, पूर्णकालिक, लाइव इन श्रमिक नियोक्ता, निजी प्लेसमेंट एजेंसियों की भी स्पष्ट पहचान की जाएगी। इस नीति के उद्देश्यों में बुढ़ापे में पेंशन, मातृत्व अवकाश लाभ, स्वास्थ्य बीमा जैसी सुविधाओं पर भी ध्यान दिया गया है, जैसी व्यवस्था अभी तक केंद्रीय और राज्य सरकारों द्वारा दी जाती रही है।

 

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