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देश के एग्रीकल्चर सेक्टर में एक नया मार्केट आर्किटेक्चर विकसित कर रहे हैं- प्रधानमंत्री

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि केंद्र सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए हर तरह के प्रयास कर रही है। ‘नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन एग्रीकल्चर- 2022, डबलिंग फार्मर्स इनकम’ को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले साल देश में जितना खाद्यान उत्पादन हुआ उतना कभी नहीं हुआ। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने के लिए उनकी सरकार ने 4 चीजों पर फोकस किया है। उन्होंने कहा कि अगर राज्य सरकारों ने भी को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म के तहत इसमें हाथ बटाया तो किसानों को बहुत फायदा मिलेगा है।

किसानों की आय बढ़ाने के लिए 4 चीजों पर फोकस
सरकार का पहला प्रयास है कि किसानों को खेती में खर्च कम हो। दूसरा- किसानों को उसकी पैदावार की उचित कीमत मिले। तीसरा- खेत से बाजार तक पहुंचने में होने वाली उपज की बर्बादी को रोका जाय और चौथा- किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए अतिरिक्त आय की व्यवस्था होनी चाहिए। प्रधानमंत्री के अनुसार उनकी सरकार के सारे नीतिगत, तकनीकी और कानूनी फैसले इन्हीं चार चीजों पर आधारित हैं। प्रधानमंत्री के अनुसार धीरे-धीरे इसका विस्तार एक बड़े कृषि आंदोलन में बदलता हुआ दिख रहा है। इसी के कारण अब सकारात्मक नतीजे मिलने लगे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार, “ये हमारे देश के किसानों का सामर्थ्य है, कि सिर्फ एक साल में देश में दाल का उत्पादन लगभग 17 मिलियन टन से बढ़कर, लगभग 23 मिलियन टन हो गया है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बजट में किसानों को उनकी उपज का उचित कीमत दिलाने के लिए ही लागत के ऊपर 50% मूल्य यानी डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य करने का फैसला लिया गया है।

25-30 वर्षों से अटकी परियोजनाओं को 25-30 महीनों में पूरा करने का प्रयास
प्रधानमंत्री के अनुसार उनकी सरकार देश की एग्रीचलर पॉलिसी को नई दिशा देने का प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत दो अलग-अलग एरिया पर एक साथ काम हो रहा है। माइक्रो इरीगेशन का दायरा बढ़ाने और दूसरा मौजूदा सिंचाई नेटवर्क को मजबूत करने पर फोकस है। कई दशकों से अटकी हुई 99 सिंचाई परियोजनाओं को तय समय पर पूरा करना तय किया है। इसके लिए 80 हजार करोड़ से अधिक का प्रावधान है। इस साल के अंत तक लगभग 50 योजनाएं पूरी हो जाएंगी और बाकी अगले साल तक पूरा करने का लक्ष्य है। 25-30 साल से अटके काम को 25-30 महीने में पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं। खेती पर पहले से खर्च कम हो रहा है। 20 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन को माइक्रो इरीगेशन के दायरे में लाया जा चुका है।

नई कृषि बाजार व्यवस्था का बीजारोपण
प्रधानमंत्री ने कहा है कि, “हमारी सरकार देश के एग्रीकल्चर सेक्टर में एक नया मार्केट आर्किटेक्चर विकसित कर रही है।” अगर इसमें राज्य सरकारें भी मिलकर काम करेंगी तो किसानों का बहुत भला हो सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार एग्रीकल्चर प्रोड्यूस और लाइव स्टॉक मार्केटिंग के माध्यम से किसानों को सशक्त करने का काम कर रही है। इसके तहत उपज बर्बाद न हो इसके लिए ‘प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना’ शुरू की गई है। इस सेक्टर के लॉजिस्टिक को मजबूत करने पर विशेष जोर है। पूरी सप्लाई चेन को मजबूत किया जा रहा है। इस बजट में जिस ऑपरेशन ग्रीन्स का ऐलान किया है, वो भी नई सप्लाई चेन व्यवस्था से जुड़ा है। ये फल और सब्जियां पैदा करने वाले किसानों के लिए बहुत उपयोगी साबित होगा। TOP यानी टोमैटो, अनियन और पोटैटो उगाने वाले किसानों के लिए लाभकारी रहेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि 100 वर्ष पहले सोची गई स्थानीय ग्रामीण मंडियों को लागू करने का उन्हें सौभाग्य मिला है। उन्होंने कहा कि इसके तहत 22 हजार ग्रामीण हाटों को जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ अपग्रेड किया जाएगा, ताकि किसान अपने उत्पादों को सीधे उपभोक्ताओं के हाथों बेच सके। आने वाले दिनों में ये किसानों की आय बढ़ाने और रोजगार के नए अवसर पैदा करेंगे। यही नहीं हाल के बजट में किसानों को संघ बनाकर खरीद-बिक्री करने का भी इंतजाम है, जिसमें उन्हें टैक्स पर भी राहत मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि समय की मांग है, कि ग्रीन रिवॉल्यूशन और व्हाइट रिवॉल्यूशन के साथ-साथ वॉटर रिवॉल्यूशन, ब्लू रिवॉल्यूशन, स्वीट रिवॉल्यूशन और ऑर्गेनिक रिवॉल्यूशन को भी बढ़ावा दिया जाय। ये क्षेत्र किसानों की अतिरिक्त आय और आय के मुख्य श्रोत भी हो सकते हैं। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने बताया कि नीम कोटिंग यूरिया के इस्तेमाल से किसानों का खर्च काफी कम हुआ है, उपयोगिता बढ़ी है और उत्पादन बढ़ने से कमाई भी बढ़ी है। 11 करोड़ सॉइल कार्ड बांटे जाने के चलते उर्वरक का इस्तेमाल 8-10% घटा है और उत्पादन में 5-6% की बढ़ोत्तरी हुई है। उन्होंने कहा कि इस योजना को एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कोर्स के अलाव स्किल डेवलपमेंट स्कीम और मुद्रा योजना से भी जोड़ा जाना चाहिए, ताकि छात्र गांव में भी सॉइल टेस्टिंग लैब खोल सकें। बाद में उसे सेंट्रल पोर्टल से जोड़ा जा सकता है, जिससे वैज्ञानिक अनुसंधान में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत पिछले वर्ष 11 हजार करोड़ का क्लेम किसानों को दिया गया है, जो कि पहले के मुकाबले दो गुना है। इससे किसानों का जीवन बच रहा है, लेकिन मीडिया उसे हेडलाइन नहीं बनाता। प्रधानमंत्री ने बताया कि सरकार का लक्ष्य 2018-19 में कम से कम 50 प्रतिशत बोई गई फसल को इस योजना के दायरे में लाने का है।

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