Home तीन साल बेमिसाल देश-दुनिया की उम्मीदों को पंख दे रहा मोदी विजन

देश-दुनिया की उम्मीदों को पंख दे रहा मोदी विजन

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के तीन साल पूरे हुए। अर्थव्यवस्था हो या विदेश नीति, शिक्षा क्षेत्र हो या सामाजिक क्षेत्र, महंगाई हो या बेरोजगारी, भ्रष्टाचार हो या फिर सीमा पार की चुनौतियां सभी क्षेत्रों में मोदी सरकार के किए गए काम की सराहना हो रही है। सबका साथ-सबका विकास नीति के जरिये समाज के हर तबके के समावेशी विकास के लक्ष्य के साथ बढ़ रही मोदी सरकार की लोकप्रियता का ग्राफ भी तेजी से बढ़ रहा है। हाल-फिलहाल के सर्वे के आंकड़े देखें तो आम लोग अगले टर्म में भी नरेंद्र मोदी को ही प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं। यानी पीएम मोदी पर आम लोगों का भरोसा और उम्मीद कायम है। न सिर्फ भारत के लोग, बल्कि दुनिया के लोगों को भी पीएम मोदी से बड़ी उम्मीद है। पीएम मोदी ने इन तीन सालों में कई ऐसे कार्य किए जिससे देश-दुनिया में उनकी साख बढ़ती चली गई और वे सवा सौ करोड़ लोगों की आकांक्षाओं के दुनिया की भी उम्मीद बन गए हैं।

आतंकवाद पर सख्त रूख
पीएम मोदी का साफ मानना है कि आतंकवाद दुनिया के लिए खतरा है और दुनिया के देशों को इसके खिलाफ एकजुट होने की जरूरत है। उन्होंने सभी अतंर्राष्ट्रीय मंचों पर इस बात को जोर-शोर से उठाया है और लगातार उठाते जा रहे हैं। जी-20 हो या हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन, ब्रिक्स हो या सार्क समिट, अमेरिका दौरा हो या फिर जर्मनी का दौरा… पीएम मोदी ने आतंकवाद पर प्रहार किया है और इसे मानवता का दुश्मन बताते हुए दुनिया को इसके खिलाफ एक होने का आह्वान किया है।

दुनिया की सबसे तेज रफ्तार अर्थव्यवस्था
मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों से भारत आज दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन गया है। जिस देश में तीन साल पहले यानी 2013-14 में आर्थिक वृद्धि दर 4.7 थी जो कि अब सात से पार है। 2014-15 में ये रफ्तार 7.2 थी, 2015-16 में ये गति 7.6 थी, जबकि 2017 की पहली तिमाही में ये रफ्तार 7.1 रही। बीते साल नोटबंदी के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था पर ज्यादा असर नहीं पड़ा और बाजार ने पीएम मोदी पर भरोसा बरकरार रखा।

रिफॉर्म से अर्थव्यवस्था में आई तेजी
देश में एक जुलाई से ‘वन नेशन, वन टैक्स’ का कानून लागू हो जाएगा। वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम के लागू यानी जीएसटी के लागू होने की उम्मीद में ही शेयर बाजार का सूचकांक 30 हजार के पार है। वहीं विश्व की आर्थिक शक्तियां मोदी सरकार की इस साहस भरी पहल की सराहना कर रही हैं। अमेरिका, जापान और स्वीडन जैसे देशों ने जीएसटी को गेमचेंजर कहा है वहीं यूरोपीय देशों ने भारत के कदम की तारीफ की है। यहां तक कि चीन ने भी जीएसटी को बड़ा कर सुधार बताया है।

‘इज ऑफ डूइंग बिजनेस’ नीति से बढ़ा निवेश
वित्त वर्ष 2016-17 में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के दौरान (एफडीआई) में पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। ये बढ़कर अब 60.08 अरब डॉलर की नई ऊंचाई पर पहुंच गई है। दरअसल एफडीआई नीति में बदलाव तथा विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) द्वारा मंजूरी की सीमा में वृद्धि और देश में ‘इज ऑफ डूइंग बिजनेस’ नीति को बढ़ावा देने से एफडीआई में बढ़ोतरी हुई है। एफडीआई इक्विटी प्रवाह वित्त वर्ष 2016-17 में 43.48 अरब डॉलर रहा, जो किसी एक वित्त वर्ष में यह सर्वाधिक है।

विकासशील देशों के साथ सहयोग बढ़ाया
तीसरी दुनिया के देश विकास की गति में पिछड़ न जाएं इस चिंता के साथ पीएम मोदी ने इन देशों की अर्थव्यवस्था को ताकत देने का काम किया है। अफ्रीकन देशों से दालों का आयात करने का समझौते से उन देशों को फायदा होगा। वहीं पीएम मोदी ने पड़ोसी देशों के साथ आर्थिक सहयोग का एक नया अध्याय शुरू किया है जिसके तहत श्रीलंका, भूटान, नेपाल, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार को गति दी है।

पड़ोसी देशों से बढ़ाया सहयोग
मोदी सरकार का कार्यकाल के पहले ही साल में 27 अप्रैल 2015 को नेपाल की धरती में हलचल हुई और आठ हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई, तब भारत ने नेपाल के बड़े भाई की भूमिका निभाते हुए मदद की जिसकी विश्व भर में सराहना हुई। दिसंबर 2014 में मालदीव में पानी की किल्लत हो या अक्टूबर 2015 में अफगानिस्तान में भकंप या फिर चंद दिनों पर पहले श्रीलंका में भू-स्खलन से हुआ नुकसान, सब में मोदी सरकार ने पूरा सहयोग किया और पड़ोसी धर्म का निर्वहन किया।

शांति की पहल को दुनिया की सराहना
भारत विश्व शांति का सबसे बड़ा पैरोकार देश है। यूनाइटेड नेशन ने भी माना है कि इस दिशा में भारत का प्रयास अन्य देशों की तुलना में ज्यादा है। लेकिन सब जानते हैं कि भारत की शांति की पहल को पाकिस्तान हमेशा नकारता रहा है। बावजूद इसके पीएम मोदी ने अपनी तरफ से हर कोशिश की कि पाकिस्तान भारत के साथ सहयोग की मुख्यधारा में रहे। 25 दिसंबर 2015 को प्रधानमंत्री जब लाहौर पहुंच गए तो दुनिया ने देखा कि पीएम मोदी ने शांति की पहल की। 26 मई 2014 को जब पीएम मोदी ने सार्क देशों के नेताओं को आमंत्रण भेजा था तो ये पड़ोसी देशों के साथ शांति और सहयोग की पहल ही थी। हालांकि पाकिस्तान अब भी शांति की राह में रोड़ा बना हुआ है।

खाड़ी देशों से बढ़ाया सहयोग
अगस्त, 2015 में पीएम मोदी ने सऊदी अरब का दौरा किया तो किसी भारतीय पीएम का 34 साल बाद ये दौरा हुआ था। इससे दोनों देशों में न सिर्फ आपसी विश्वास को बढ़ावा मिला बल्कि आर्थिक गतिविधियों को भी गति मिली। पश्चिम एशिया के अन्य देश कतर, ईरान और जॉर्डन जैसे देशों से भी संबंधों में ठहराव को खत्म करने का काम किया।

लोकतंत्र के आधार को मजबूत किया
”लोकतंत्र हमारी शक्ति है और हमें साथ मिलकर अपने लोकतांत्रिक तानेबाने को मजबूत बनाना है।” ये कहने वाले पीएम मोदी का स्पष्ट मानना है कि अगर लोकतंत्र की ताकत न होती तो गरीब मां का यह बेटा देश का प्रधानमंत्री नहीं बन पाता। पीएम मोदी ने अपनी कार्यशैली में भी लोकतांत्रिक मर्यादाओं को निभाया है। ट्वीटर, फेसबुक जैसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिये लोगों से सीधा संवाद स्थापित करना हो या फिर जनभागीदारी से सरकार चलाने की बात हो, पीएम मोदी ने इसे अपनी योजनाओं और कार्यक्रमों में बखूबी उतारा है। मीडिया में रचनात्मक आलोचना को उन्होंने सर्वोच्च स्थान दिया है, जिससे लोकतांत्रिक प्रणाली को मजबूती मिलती है। 

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