देश के बड़े पत्रकार जो अभी तक बीजेपी और खास तौर पर नरेंद्र मोदी के खिलाफ लिखने के लिए जाने जाते थे, वे भी अब मानने लगे हैं कि उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में मोदी लहर है। सीनियर जर्नलिस्ट सागरिका घोष भी अब मानने लगी हैं कि यूपी में बीजेपी आगे चल रही है।
Sticking my neck out here: @BJP4India ahead of the rest in UP at the moment. In contention in all seats
— Sagarika Ghose (@sagarikaghose) February 27, 2017
पत्रकार राणा अयूब ने भी सागरिका की बात का समर्थन किया है।
I second that https://t.co/TWLsjsbDrd
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) February 27, 2017
अब तक हर मोर्चे पर पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी की मुखालिफत करती रही वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त ने भी ट्वीट कर कहा कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी 2017 विधानसभा चुनाव में अपनी हसरत के मुताबिक सोने की डाल पर बैठी हुई दिख रही है।
Picked up fascinating nuggets on BJP thinking in #UPElection2017.Sharing in some tweets. First 2 phases not good; 3rd phase changed game 1/5
— barkha dutt (@BDUTT) February 23, 2017
बरखा दत्त ने कहा कि बीजेपी की स्थिति इसलिए भी मजबूत हो गयी क्योंकि मुस्लिम वोट में बीएसपी की सेंधमारी को कम करके आंका गया। वहीं, एसपी में भितरघात से भी एसपी को दोहरा नुकसान हुआ।
There was Underestimation of BSP & its cutting Muslim votes; also damage to SP by some factionalism. Both lent some advantage to BJP 3/5
— barkha dutt (@BDUTT) February 23, 2017
हालांकि बरखा को अभी से चिंता सता रही है कि बीजेपी जीती, तो सीएम कौन होगा? उन्हें लगता है कि हरियाणा के खट्टर की तरह यूपी में भी कोई डार्क हॉर्स सामने आएगा।
A Khattar type dark horse CM choice if BJP wins clear majority, Senior consensus building leader if scraping through &alliance required 4/5
— barkha dutt (@BDUTT) February 23, 2017
इसके पहले द प्रिंट के संस्थापक शेखर गुप्ता, इंडिया टुडे ग्रुप के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई के साथ हफिंगटन पोस्ट के डिप्टी एडिटर शिवम विज भी मानने लगे हैं कि अखिलेश यादव की पकड़ ढीली पड़ रही है और यूपी में कमल खिलता दिख रहा है।
रेस में आगे बीजेपी
राजदीप सरदेसाई ने एक आर्टिकल में माना है कि अब तक हुए वोट में बीजेपी बढ़त बनाती हुई दिख रही है और प्रधानमंत्री अब भी सबसे लोकप्रिय नेता बने हुए हैं। राजदीप ने लिखा है कि समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन में कांग्रेस कमजोर कड़ी साबित हो रही है। शहरी इलाकों में कानून-व्यवस्था सबसे बड़ी चिंता है और विधायकों को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने यह भी लिखा है कि नोटबंदी के बावजूद बीजेपी का परंपरागत वोट बैंक कायम है।
मोदी सबसे लोकप्रिय
इंडियन एक्सप्रेस के पूर्व संपादक शेखर गुप्ता ने सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर लिखा है कि प्रधानमंत्री मोदी सबसे लोकप्रिय नेता हैं और अगर अभी लोकसभा चुनाव हुए तो बीजेपी आसानी से 2014 की तरह जीत दर्ज करेगी।
Day3 Findings #UPElection2017 Modi’s own popularity is mostly intact. BJP will easily sweep a fresh Lok Sabha poll more or less as in 2014
— Shekhar Gupta (@ShekharGupta) February 20, 2017
भेदभाव की राजनीति
उत्तर प्रदेश में 27 साल यूपी बेहाल का नारा देने वाली कांग्रेस, अब राज्य को बेहाल करने वाले लोगों के साथ ही चुनाव लड़ रही है। इसका कांग्रेसी मतदाताओं पर उल्टा असर पड़ा है। उत्तर प्रदेश के लोग कानून-व्यवस्था, गुंडागर्दी, अपराध, दंगे, अपहरण, रेप और महिलाओं के खिलाफ अपराध से परेशान हैं। लोग समाजवादी पार्टी की सरकार से तंग आ चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस के साथ आने से इनके मतदाताओं का रुख बीजेपी की ओर हुआ है। सपा-कांग्रेस और बसपा की नजर मुस्लिम वोटरों पर लगी हुई है लेकिन मुस्लिम धर्मगुरुओं के बसपा के पक्ष में अपील से अखिलेश को झटका लगा है। अखिलेश सरकार अब तक जिस तरह से भेदभाव की राजनीति कर रही थी, वोटर उससे भी नाराज हैं और सबक सिखाना चाहते हैं।
यादव गढ़ का किला ढहा
पत्रकार शिवम विज ने एक लेख में लिखा है कि अब तक हुए तीन चरण के चुनाव में बीजेपी की स्थिति अच्छी दिख रही है। बीजेपी को सबसे ज्यादा फायदा अवध क्षेत्र में दिख रहा है। यहां बीजेपी का कमल एक बार खिलता दिख रहा है। यहां तक कि मुलायम सिंह यादव के गढ़ में अखिलेश इस बार कमजोर दिख रहे हैं। बाप-बेटे और चाचा के बीच की लड़ाई से यादव गढ़ का किला ढहा है। अगर यहां के लोगों की बात माने तो सपा-कांग्रेस गठबंधन को भारी झटका झेलना पड़ सकता है।
शिवम विज का यह भी कहना है कि चुनाव में प्रचार का अहम रोल होता है और अखिलेश इसमें भी काफी पीछे हैं। फैमिली ड्रामे से लेकर चुनाव आयोग तक की लड़ाई में उलझे रहने के कारण मुख्यमंत्री अखिलेश यादव प्रचार के लिए ज्यादा समय निकाल ही नहीं पाए। इसके साथ ही कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर उहापोह ने और देर कर दी। कांग्रेस के साथ गठबंधन से लोगों में यह भी संदेश गया कि सपा अपने बल पर मैदान हारती दिख रही थी, इसलिए हाथ का साथ लिया।
काम बनाम कारनामे
हफिंगटन पोस्ट के शिवम का यह भी मानना है कि अखिलेश ने ‘काम बोलता है’ के नारे दिए लेकिन अपने विधायकों के कारनामे उजागर होने पर अब उन्हें माफ करने की अपील कर रहे हैं। अखिलेश यादव दिन में सात-सात रैली कर रहे हैं। चेहरे से साफ झलकता है कि वे हारी बाजी को किसी तरह जीतने की कोशिश कर रहे हैं। राज्य में सुशासन का हाल यह है कि कई जगहों पर सपाई कार्यकर्ताओं के हंगामे के कारण मुख्यमंत्री की पत्नी और सांसद डिंपल यादव ठीक से भाषण तक नहीं दे पाईं और ये शिकायत करती दिखीं कि भैयाजी को कह देंगे।
मतदाता नाराज
कांग्रेस के साथ गठबंधन से समाजवादी पार्टी के वे नेता नाराज हो गए जो पहले से टिकट की आस लगाए हुए थे। इस भितरघात का भी नुकसान पार्टी को उठाना पड़ सकता है, जिसका सीधा फायदा बीजेपी को होगा। शिवम का यह भी कहना है कि समाजवादी पार्टी के मौजूदा विधायकों की उदासीनता को लेकर भी मतदाताओं में गुस्सा है। अगर आप इलाके का दौरा करेंगे तो वोटरों का गुस्सा आपको साफ दिखाई देगा। उनका साफ कहना है कि इस बार सपा की सीटें घट रही हैं। उनका यह भी कहना है कि अगर हम 2014 के चुनाव को ध्यान में रखकर देखें तो बीजेपी को अपना दल के साथ मिलाकर कुल 43.3 प्रतिशत वोट मिले थे। अगर यह माने कि यह केंद्र में मोदी जी के लिए चुनाव नहीं है या फिर यूपीए सरकार के खिलाफ चुनाव नहीं है, तब भी बीजेपी आराम से 30 प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल कर लेगी, जो उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने के लिए काफी है।