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मोदी सरकार नौकरियों के ढांचे में करेगी बदलाव, खत्म होंगे बेकार पड़े पद

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार पुरानी प्रशासनिक व्यवस्था में बदलाव करके उसे मौजूदा समय के अनुसार बनाने की कोशिश कर रही है, ताकि नौकरशाही में नई प्रतिभाओं को लाकर उसे और प्रभावी और कुशल बनाया जा सके। सरकार ने पहले लेटरल एंट्री के जरिए निजी क्षेत्र के नौ विशेषज्ञों को विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिव के पद पर नियुक्त किया। अब केंद्र सरकार की नौकरियों में बड़ा बदलाव करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। इसके तहत आईएएस,आईपीएस और आईएफएस जैसे केंद्र सरकार की नौकरियों के ढांचे में भी बदलाव किया जा सकता है। इसके लिए केंद्र ने सभी मंत्रालयों को सेवाओं की एक विस्तृत सूची बनाने और उसे कार्मिक और प्रशिक्षण मंत्रालय(डीओपीटी) को सौंपने को कहा है।

सरकार ने जारी किया ऑफिस मेमोरेंडम

17 सितंबर, 2019 को जारी एक ऑफिस मेमोरेंडम के अनुसार डीओपीटी ने कहा कि पॉलिसी, सर्विस प्रोफाइल, कैडर, पोस्ट को नए तरीके से बनाने के लिए यह किया जा रहा है। इसके लिए सभी मंत्रालय और डिपार्टमेंट से आग्रह किया गया है कि वो सभी सेवाओं, पोस्ट, कैडर से जुड़ी जानकारी 30 सितंबर तक दें।

मंत्रालयों से मांगी गईं जानकारियां

सभी सरकारी सेवाओं के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए डीओपीटी ने सभी मंत्रालयों से जानकारी मांगी है। डीओपीटी ने मंत्रालय से कहा है कि वो सभी सेवाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दें। उसके बारे में और उसके बैकग्राउंड के बारे में भी जानकारी दें। सेवा का नाम, कैडर, सेवा की जिम्मेदारी किसके हाथ में है, सर्विस कब शुरू हुई, पिछली बार इसमें क्या बदलाव किया था, इसकी संरचना, पोस्टिंग की जगह कौन-कौन सी रही, अधिकारियों की जिम्मेदारियों के बारे में पूछा गया है। मंत्रालय से यह भी जानकारी मांगी है कि नियुक्ति का तरीका क्या है, नियुक्ति की योग्यता क्या रहती है, प्रमोशन से जुड़े क्या नियम हैं।

डीओपीटी ने विभिन्न विभागों से कैडर की संरचना, नियुक्ति किस प्रकार की जाती है, पदों को कैसे भरा जाता है, पे स्केल, कैडर में पोस्ट कितनी होती है, पिछली बार अधिकारियों को कब पदोन्नत किया गया था, कुल खाली पद कितने हैं यह सब जानकारी मांगी गई है। मंत्रालय को इन जानकारियों को इकट्ठा कर, ट्रेनिंग, प्रमोशन से जुड़ी जानकारी देने को कहा है।

पुरानी व्यवस्था में बदलाव की कोशिश

सरकारी पोस्ट और सेवाओं के बारे में दोबारा जांच और पुरानी व्यवस्था में बदलाव पिछले 30 सालों में पहली बार किया जा रहा है। डीओपीटी के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘इसके पीछे सोच यह है कि निष्क्रिय और खाली पड़े सभी सरकारी पोस्ट को हटाकर समयानुसार जिस पोस्ट की जरूरत है उसे स्थापित किया जाएगा।’ इससे पहले डीओपीटी ने अपने पांच साल के विजन दस्तावेज़ में सिविल सर्विसेज की सेवाओं के बारे में प्रस्ताव दिया था।

अधिकारियों की जिम्मेदारियां तय करना चाहती है सरकार

डीओपीटी अधिकारियों की जिम्मेदारियों को निश्चित करना चाहता है और जिससे सराकरी सुविधाओं का अच्छे से इस्तेमाल हो सकें। संयुक्त सचिव स्तर के एक अधिकारी के अनुसार अभी तक इस तरह की कोई सुविधा नहीं है जिसमें जिम्मेदारियों को तय किया जाए। डीओपीटी के अधिकारी के अनुसार सरकार सभी के कामों को तय करना चाहती है।

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