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मोदी सरकार ने डीबीटी से अबतक बचाए 75 हजार करोड़, इस साल किया 1 लाख करोड़ का पेमेंट

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डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के मामले में केंद्र सरकार ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है। इस वित्त वर्ष में 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम को सीधे लाभार्थी के खाते में ट्रांसफर किया गया है। सरकारी योजनाओं और सब्सिडी का पैसा सीधे खातों में भेजकर यानी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) से सरकार ने 2014 से लेकर अबतक करीब 75 हजार करोड़ रुपये की बचत की है।

नवभारत टाइम्स की खबर के मुताबिक बुधवार को डीबीटी पेमेंट इस वित्त वर्ष में 1,00,144 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। सरकार ने 2016-17 में डीबीटी के जरिए 74,707 करोड़ जारी किए थे जबकि 2013-14 में यूपीए के कार्यकाल के दौरान 7,367 करोड़ रुपये का डीबीटी हुआ था। खबर के अनुसार ग्रामीण रोजगार योजना और सब्सिडी वाली रसोई गैस के लिए इस वित्त वर्ष में 63 करोड़ से ज्यादा लोगों को डीबीटी पेमेंट मिला है जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 35 करोड़ का था। इस तरह डीबीटी से देश की आधी आबादी को बिना किसी बिचौलिए या लीकेज के सीधे भुगतान का फायदा मिल रहा है। खबर के अनुसार अनुसार योजना और सब्सिडी का पैसा गलत हाथों में जाने से रुकने से सरकार की कुल बचत लगभग 75,000 करोड़ रुपये तक हो सकती है।

सरकार सभी सरकारी योजनाओं ( करीब 450) को डीबीटी के तहत लाने जा रही है। अभी डीबीटी के तहत करीब 412 योजनाएं है। इस वित्त वर्ष में डीबीटी के जरिए सबसे ज्यादा भुगतान मनरेगा के लिए 28,623 करोड़ रुपये किया गया है, जबकि रसोई गैस पर सब्सिडी के लिए 20,610 करोड़ रुपये दिए हैं। खबर के अनुसार मोदी सरकार बनने के बाद 2014 से अब तक 2.83 लाख करोड़ रुपये का डीबीटी के जरिए भुगतान हुआ है। इससे सरकार को लगभग 75,000 करोड़ की बचत हुई है।

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