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मोदी सरकार के 4 वर्ष: महिला सशक्तिकरण के लिए हुए अनेक ऐतिहासिक प्रयास

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चार साल पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बनी सरकार का शुरू से यह प्रयास रहा है कि सामाजिक और आर्थिक जीवन में महिलाओं की बराबर की भागीदारी सुनिश्चित हो। मोदी सरकार ने इस दिशा में ना सिर्फ अनेक प्रकार के कदम उठाए हैं बल्कि उन्हें जमीन पर लागू करके दिखाया है। सबसे विशेष बात यह है कि सरकार ने गर्भधारण से लेकर प्रसव, बच्चों का जन्म, बच्चियों की पढ़ाई, करियर यानी जीवन के हर पड़ाव को ध्यान में रखते हुए योजनाओं को केंद्रित किया है। इन सबका नतीजा महिलाओं में उभरे नए आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता को लेकर बढ़ते रुझान के रूप में सामने आया है।

महिलाओं की सुरक्षा के लिए प्रभावी कदम

महिलाओं पर होने वाली हिंसा को रोकने के लिए मोदी सरकार कड़े से कड़े कदम उठाने में भी नहीं हिचकिचाई है। केंद्र सरकार ने महिला सुरक्षा से जुड़े कई कानूनों को सख्त करने का काम किया है। सरकार ने मासूमों पर होने वाले जघन्य अपराध से जुड़े 2012 के POCSO एक्ट (Protection of Children from Sexual Offences Act) में बदलाव कर बच्चियों से रेप के दोषियों के लिए फांसी तक की सजा का प्रावधान किया है। नए प्रावधानों के अनुसार 16 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों से रेप पर सजा अब 10 साल की जगह न्यूनतम 20 साल तक की होगी। 

महिला नेतृत्व में विकास पर बल

महिला सशक्तिकरण के लिए इस सरकार का मूल मंत्र है महिलाओं के नेतृत्व में विकास। अपनी अप्रोच में इसी पर सरकार का जोर भी रहा है। गौर करने वाली बात है कि खुद प्रधानमंत्री की कैबिनेट में कई महिलाओं ने प्रमुख विभागों की बागडोर थाम रखी है। मौजूदा सरकार की अनेक योजनाओं से आज देश भर में एक ऐसा माहौल तैयार हो चुका है जहां हर किसी के लिए कुछ कर दिखाने का अवसर है। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ से लेकर मुद्रा और उज्ज्वला जैसी योजनाओं ने महिलाओं को देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने का मंच प्रदान किया है।

‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का सफल क्रियान्वयन

इस अभियान ने उन क्षेत्रों में लिंगानुपात में काफी कमी लाई है जहां लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या बेहद कम थी। इस योजना का उद्देश्य ही है समाज में लड़कियों को लेकर भेदभाव का उन्मूलन हो और युवतियों के कल्याण से जुड़ी सेवाओं पर जागरूकता बढ़े। वैसी लड़कियां जिनकी पढ़ाई किसी भी कारण से छूट जाती है, उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए प्रेरित करना इस योजना का लक्ष्य रहा है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के 161 जिलों में सफल क्रियान्वयन के बाद 640 जिलों में इसका विस्तार किया गया है।

बेटियों के भविष्य के लिए सुकन्या समृद्धि योजना 

केंद्र सरकार ने बेटियों के सुरक्षित भविष्य के लिए 22 जनवरी 2015 को सुकन्या समृद्धि योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत देश में 1.26 करोड़ से अधिक बैंक खाते खुल चुके हैं, जिनमें 19,000 करोड़ रुपये से अधिक की रकम जमा हुई है। बेटियों के भविष्य के लिए पैसा जोड़ने को यह एक बेहतरीन योजना है। इस योजना में पीपीएफ की तुलना में ज्यादा ब्याज मिलता है। कोई भी व्यक्ति अपनी 10 साल तक की बेटी के लिए यह खाता खुलवा सकता है। इस पर अभी 8.1 प्रतिशत सालाना का ब्याज मिलता है। बेटी के 21 साल के होने पर अकाउंट मैच्योर हो जाता है।

तीन तलाक की कुप्रथा को समाप्त करने की पहल

मुस्लिम महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाने का साहस अगर किसी सरकार ने दिखाया तो वह मोदी सरकार ने ही दिखाया। सदियों से चली आ रही तीन तलाक की कुप्रथा के खात्मे की तैयारी शुरू हो गई। सरकार के प्रयासों से लोकसभा में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक लोकसभा में पारित भी हो चुका है। 

महिला ई-हाट से कारोबार को बढ़ावा

महिलाओं द्वारा अपने से तैयार किए गए उत्पादों के प्रदर्शन के लिए ये एक बेहतरीन मंच है। महिला उद्यमियों को प्रोत्साहन देने के इरादे से ही महिला ई-हाट की शुरुआत की गई है। इससे महिलाओं द्वारा निर्मित सामग्रियों के लिए मार्केटिंग का एक ई-प्लेटफॉर्म तैयार हुआ है। इसके जरिए महिलाओं को नई तकनीक के सहारे व्यापार के तरीके सीखने का अवसर भी मुहैया हो रहा है। जो महिलाएं अपने उत्पादों को बड़े बाजारों में नहीं बेच पाती थीं वे ई-हाट के जरिए उन्हें बेचने में सक्षम हैं। अब तक महिला ई-हाट से 26,000 सेल्फ हेल्प ग्रुप और 3.5 लाख महिलाएं लाभान्वित हो चुकी हैं। ई-हाट पर रजिस्टर्ड महिलाएं 30 लाख रुपये तक के उत्पाद बेच चुकी हैं।

जन धन योजना के खाताधारियों में अधिकतर महिलाएं

आजादी के दशकों बाद तक देश की करीब आधी फीसदी आबादी के पास अपने बैंक खाते नहीं थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस सामाजिक अन्याय को दूर करने के लिए कदम उठाया। 28 अगस्त 2014 को शुरू की गई प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत अब तक 31.5 करोड़ ऐसे खाते खुल चुके हैं। जन धन योजना में 16.5 करोड़ महिलाओं को लाभ मिल रहा है। जन धन के अंतर्गत खुले खातों में अब तक 75 हजार करोड़ रुपये से अधिक जमा भी हो चुके हैं।

मुद्रा के लाभान्वितों में करीब 75 प्रतिशत महिलाएं

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत करीब 12 करोड़ लोगों को बगैर बैंक गारंटी के 5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का लोन दिया गया है। लोन पाने वालों में 70 प्रतिशत से अधिक यानि करीब 9 करोड़ महिलाएं हैं। इस साल के बजट में सरकार ने मुद्रा योजना के तहत 3 लाख करोड़ का कर्ज देने का लक्ष्य रखा है।

स्टैंडअप इंडिया योजना में आत्मनिर्भरता की शक्ति

इसके तहत महिला उद्यमियों को 50 हजार से एक करोड़ रुपये तक का कर्ज दिया जा रहा है। इस योजना के तहत महिलाओं को 8,000 करोड़ से अधिक का लोन दिया गया है। प्रधानमंत्री कहते हैं, ‘’अब महिलाएं होम मेकर, जॉब सीकर या जॉब क्रिएटर जो भी बनना चाहें, सरकार उनके हर सपने के साथ खड़ी है।‘’

उज्ज्वला योजना ने दी जानलेवा धुएं से मुक्ति

महिलाओं के जीवन को धुआंमुक्त करने के लिए केंद्र सरकार ने उज्ज्वला योजना शुरू की, जिसके तहत देश में करोड़ों महिलाओं को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन दिए जा रहे हैं। गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली महिलाओं को रियायती एलपीजी उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है जिसकी संख्या 5 करोड़ से बढ़ाकर 8 करोड़ की जा चुकी है। अब तक लगभग 4 करोड़ मुफ्त एलपीजी कनेक्शन बांटे जा चुके हैं। यह योजना स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां, वायु प्रदूषण और जंगलों की कटाई को कम करने में भी कारगर है।

मातृत्व से संबंधित राहत के कई कदम

प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान – नवंबर 2016 में लॉन्च किए गए इस अभियान के तहत देशभर में एक करोड़ 16 लाख से अधिक प्रेगनेंसी चेकअप किए गए हैं। देश भर में करीब 12,900 स्वास्थ्य केंद्रों पर हर महीने की नौ तारीख को गर्भावस्था से जुड़ी नि:शुल्क जांच का प्रावधान है। 

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना – गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का स्वास्थ्य ठीक रहे, उन्हें पोषणयुक्त भोजन मिले, इसके लिए प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना शुरू की गई है। इसके तहत माताओं को 6,000 रुपये देने की व्यवस्था की गई है। प्रधानमंत्री मातृ वंदना का लाभ अब तक 22 लाख से अधिक महिलाओं को मिल चुका है।

मेटरनिटी लीव अब 26 हफ्ते का – मेटरनिटी लीव को 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते कर दिया गया है, इतना ही नहीं 50 से अधिक कर्मचारी वाले कार्यालयों में बच्चों के लिए क्रेच की सुविधा अनिवार्य की गई है।  

राष्ट्रीय पोषण मिशन – करीब 9,000 करोड़ रुपये के बजटीय प्रावधान के साथ राष्ट्रीय पोषण मिशन को लॉन्च किया गया है। इसमें शिशुओं के साथ माताओं के पोषण को सुनिश्चित करने का लक्ष्य है।

महिला सशक्तिकरण के प्रयासों की सफलता पर कुछ और उपलब्धियां भी मुहर लगाती हैं:

स्किल डेवलपमेंट योजना –  इसका लाभ पाने वालों में 50 प्रतिशत लड़कियां हैं।

मिशन इंद्रधनुष के तहत टीकाकरण – देशभर में 80 लाख से अधिक गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण इस योजना के तहत किया गया है।

केंद्रशासित प्रदेशों में पुलिस फोर्स में महिलाओं को आरक्षण – केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस फोर्स में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण का फैसला लिया जा चुका है।

मकान की रजिस्ट्री में महिलाओं को प्राथमिकता – सरकार की तरफ से मिलने वाले मकानों की रजिस्ट्री में महिलाओं को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया गया है।

पासपोर्ट नियमों में महिलाओं के लिए राहत – सरकार ने पासपोर्ट के नियम में बदलाव किया है, अब महिलाओं को पासपोर्ट बनावाते समय शादी या तलाक का सर्टिफिकेट देना जरूरी नहीं है।

प्रधानमंत्री महिला शक्ति केंद्र – महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार ने देश के 115 अति पिछड़े जिलों में प्रधानमंत्री महिला शक्ति केंद्र को मंजूरी दी। इन केंद्रों के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को केंद्र सरकार से जुड़ी योजनाओं की जानकारी दिए जाने का प्रावधान है।

महिला सशक्तिकरण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोच बिल्कुल स्पष्ट है। वे कहते हैं, ‘’जब देश में महिला का कंट्रीब्यूशन बढ़ता है, तब देश का विकास सुनिश्चित हो जाता है। आखिर हमारा न्यू इंडिया का सपना यही तो है, जहां नारी सशक्त हो, सबल हो और देश के समग्र विकास में बराबर की भागीदार हो।‘’

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