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मोदी सरकार के 4 वर्ष: इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में खूब हुए काम, जीवन हुआ आसान

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की बागडोर थामने के साथ ही इन्फ्रास्ट्रक्चर को सशक्त बनाने का बीड़ा उठा लिया था। सड़क, हाईवे, रेलवे, वाटरवे और एयरपोर्ट से जुड़ी परियोजनाओं से लेकर आवास योजना तक में उनकी सरकार ने जो तेजी दिखाई है वह एक सक्षम और समर्थ भारत का भरोसा देती है। इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास का सबसे ताजा उदाहरण है 2 किलोमीटर लंबा जोजिला टनेल जिसका प्रधानमंत्री ने पिछले 19 मई को शिलान्यास किया है। 3100 मीटर की ऊंचाई पर बनने वाली इस सुरंग से श्रीनगर, कारगिल और लेह-लद्दाख के बीच हर मौसम में संपर्क बना रहेगा और जोजिला से गुजरने में लगने वाले 5 घंटे का समय घटकर महज 15 मिनट का रह जाएगा। यह न्यू इंडिया के निर्माण की सुनहरी तस्वीर है जो कई क्षेत्रों में दिख रही है। 

2019 तक हर गांव को रोड कनेक्टिविटी
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत देश के हर गांव को 2019 तक रोड कनेक्टिविटी प्रदान करना है। इस योजना की रफ्तार का पता इसी से चलता है कि 2014 में ग्रामीण क्षेत्रों में रोड कनेक्टिविटी 56 प्रतिशत थी, आज वो बढ़कर 82 प्रतिशत तक जा पहुंची है। शहरों और सड़कों की कनेक्टिविटी से गांवों तक आर्थिक और सामाजिक सेवाएं पहुंचे और रोजगार के लिए नए अवसर तैयार हो सके, इस योजना में सबसे बड़ा प्रयास यही रहा है। रोड कनेक्टिविटी गरीबी कम करने में भी मददगार होगी। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत पिछले तीन वर्षों में करीब 1,20,000 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया गया है।

धुआंधार गति से सड़कें और हाईवे निर्माण
अच्छी सड़कें अच्छे इन्फ्रास्ट्रक्चर का उदाहरण होती हैं। मोदी सरकार का सड़कों और हाईवे के निर्माण पर शुरू से जोर रहा है। यह इससे पता चलता है कि 2013-14 में यूपीए सरकार के सड़कों के निर्माण का बजट जहां 32,483 करोड़ रुपये था वो 2017-18 में मोदी सरकार में बढ़कर 1,16,324 करोड़ रुपये हो गया। 2013-14 में नेशनल हाईवे 92,851 किलोमीटर तक विस्तारित था जो 2017-18 में 1,20,543 किलोमीटर तक पहुंच गया। 2013-14 में कंस्ट्रक्शन की स्पीड 12 किलोमीटर प्रतिदिन थी जो 2017-18 में बढ़कर 27 किलोमीटर प्रतिदिन तक पहुंच गई। इसके साथ ही 2000 किलोमीटर के कोस्टल कनेक्टिविटी रोड की भी पहचान की गई है जिसका निर्माण और विकास किया जाना है।

सबसे लंबी सड़क सुरंग और पुल राष्ट्र को समर्पित
पिछले वर्ष सड़क पर देश की सबसे लंबी सुरंग चेनानी-नाशरी सुरंग राष्ट्र को समर्पित किया गया। असम में ब्रह्मपुत्र नदी पर बने देश के सबसे लंबे पुल को भी जनता को समर्पित किया गया। 9.15 किलोमीटर लंबे ढोला-सादिया पुल (भूपेन हजारिका पुल) ने ऊपरी असम और अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी हिस्से के बीच चौबीस घंटे की कनेक्टिविटी को सुनिश्चित किया है। इसके साथ ही भरुच में नर्मदा के ऊपर और कोटा में चंबल के ऊपर बने पुल भी जनता को समर्पित किए जा चुके हैं।

भारतमाला परियोजना फेज-1  
भारतमाला परियोजना के तहत देश के पश्चिम से लेकर पूर्व तक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सड़कों का जाल बिछाने की योजना है। इसके लिए नेशनल हाईवे के 53,000 किलोमीटर के हिस्से की पहचान की गई है जिसके फेज-1 में 2017-18 से 2021-22 तक 24,800 किलोमीटर के काम को पूरा किया जाएगा। इसके दायरे में नेशनल कॉरिडोर के 5,000 किलोमीटर, इकोनॉमिक कॉरिडोर के 9,000 किलोमीटर, फीडर कॉरिडोर और इंटर-कॉरिडोर के 6,000 किलोमीटर, सीमावर्ती सड़कों के 2,000 किलोमीटर, 2,000 किलोमीटर कोस्टल और पोर्ट कनेक्टिविटी रोड और 800 किलोमीटर के ग्रीन-फील्ड एक्सप्रेसवे आते हैं। फेज-1 पर लगभग 5 लाख 35 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा। सबसे बड़ी बात यह है कि फेज-1 के इस पूरे कार्य के दौरान रोजगार के करीब 35 करोड़ श्रमदिवसों का सृजन होगा।

सेतु भारतम से सड़क पर सुरक्षा
मार्च 2016 में लॉन्च की गई इस योजना का मकसद है सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करना। इसके तहत 2019 तक सभी नेशनल हाईवे को रेलवे ओवरब्रिज और अंडरपास बनाकर रेलवे क्रॉसिंग से मुक्त करना है। 1500 पुराने और जीर्णशीर्ण पुलों को नए सिरे से मजबूती के साथ ढालना है और चौड़ा करना है। 20,800 करोड़ की लागत से 208 रेलवे ओवरब्रिज और अंडरब्रिज का निर्माण किया जाना है।

चारधाम महामार्ग विकास परियोजना
27 दिसंबर 2016 को लॉन्च की गई इस परियोजना का मकसद है हिमालय में स्थित चारधाम तीर्थ केंद्रों की कनेक्टिविटी को बेहतर करना। इससे तीर्थयात्रियों का सफर और अधिक सुरक्षित, तेज और सुविधाजनक होगा। नेशनल हाईवे के करीब 900 किलोमीटर के हिस्से के आसपास होने वाले इस कार्य की अनुमानित लागत है करीब 12,000 करोड़ रुपये। मार्च 2020 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

रेल सुरक्षा पर बल: यात्रा पहले से बेहतर और सुरक्षित
 2017-18 में देश ने रेल सुरक्षा के मामले में एक रिकॉर्ड बनाया। 2013-14 में देश में जहां 118 रेल दुर्घटनाएं दर्ज हुई थीं, वहीं 2017-18 में यह संख्या 73 पर आ गई। यानि मौजूदा सरकार के प्रयासों से रेल हादसों में चार साल पहले के मुकाबले 62 प्रतिशत तक की कमी आ चुकी है। इसके साथ ही कई ऐसे कार्य हो रहे हैं जिनसे रेलवे की सुरक्षा को और मजबूत मिलेगी:

  • ट्रैकों के रिन्यूअल में 50 प्रतिशत तक की तेजी आई है। 2013-14 में जहां 2,926 किलोमीटर ट्रैक का रिन्यूअल हुआ था, वहीं 2017-18 में यह 4,405 किलोमीटर पर आ चुका है।
  • रेलवे में 1.1 लाख नई बहाली हो रही है, जिससे सुरक्षा को और मजबूती मिलेगी।
  • पिछले चार वर्षों में मानवरिहत 5,469 रेलवे क्रॉसिंग खत्म किए जा चुके हैं। 2009-14 के दौरान जिस रफ्तार से रेलवे क्रॉसिंग को खत्म किया जा रहा था उससे करीब 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
  • बड़ी लाइन के रेलवे रूटों पर 2020 तक सभी मानवरहित रेलवे क्रॉसिंग को खत्म किए जाने का लक्ष्य है।
  • रेल सुरक्षा पर पांच वर्षों के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का राष्ट्रीय रेल संरक्षा कोष (RRSK) बनाया गया है।

भविष्य की क्षमताओं का विस्तार
देश में बड़ी लाइन के विस्तार में भी तेजी आई है। अप्रैल 2014 से मार्च 2018 के चार वर्षों में 9,528 किलोमीटर की बड़ी लाइन पर काम हुआ जबकि यूपीए के 2009-14 के पांच वर्षों में 7,600 किलोमीटर पर काम हुआ था।

पूर्वोत्तर के राज्यों की कनेक्टिविटी
पूरे रेल नेटवर्क को बड़ी लाइन में कन्वर्ट किए जाने से देश के पूर्वोत्तर के राज्य भी अब बाकी हिस्सों के साथ पूरी तरह से जुड़ चुके हैं। मेघालय (दुधनोई-मेंदीपाथर), त्रिपुरा (कुमारघाट-अगरतला) और मिजोरम (कटखल-भैराबी) के बीच रेल कनेक्टिविटी स्थापित की जा चुकी है। इटानगर और सिलचर से दिल्ली के लिए ट्रेन कनेक्विटी हो चुकी है।

मुंबई-अहमदाबाद हाईस्पीड ट्रेन-देश की पहली बुलेट ट्रेन
हाईस्पीड ट्रेन से मुंबई अहमदाबाद के बीच का सफर आठ घंटों के बजाय दो घंटों में पूरा किया जा सकेगा। जापान की Shinkansen technology के सहारे यह पूरी तरह से सुरक्षित यात्रा होगी। हाईस्पीड कॉरिडोर के निर्माण के दौरान करीब 20,000 लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।

डेडिकेटेड फ्रेड कॉरिडोर
2019-20 तक अलग-अलग फेज में 2,822 किलोमीटर के वेस्टर्न और इस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर (DFCs) बनेंगे। इससे सामानों की ढुलाई के समय की बचत होगी, ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट कम होगा, साथ ही मौजूदा नेटवर्क पर लोड भी घटेगा। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर की फैक्ट्रियों, खेतों और बंदरगाहों से कनेक्टिविटी  होने से विकास और रोजगार की संभावनाएं भी बनेंगी।

नई ट्रेनें और कोच

  • अतिरिक्त सुरक्षा और आधुनिक फीचरों के साथ 700 से अधिक दीन दयाल कोच तैयार किए गए हैं।
  • जनरल सेकेंड क्लास बोगियों के साथ लंबी दूरी की 13 गैर आरक्षित अंत्योदय ट्रेनों को चलाया गया। ये आधुनिक तरीके से बनी LHB कोच वाली ट्रेनें हैं।
  • मुंबई और गोवा के बीच 200 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ्तार वाली और अत्याधुनिक फीचरों से लैस तेजस ट्रेन शुरू की गई।
  • नई दिल्ली-वाराणसी के बीच महामना एक्सप्रेस शुरू की गई।

एयरपोर्ट से जुड़े विस्तार और विकास में तेजी
भारत विश्व के तीसरे सबसे बड़े एविएशन मार्केट के रूप में उभरा है। पिछले तीन वर्षों में यहां के एयरपोर्ट से आने-जाने वाले हवाई मुसाफिरों की संख्या में 18 से 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। 2017 में घरेलू विमान यात्रियों की संख्या पहली बार 10 करोड़ के पार पहुंच गई।

UDAN योजना (उड़े देश का आम नागरिक)
यह एक रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम है जिसके तहत देश के Tier-II और Tier-III शहरों में उड़ानों को सामान्य नागरिक के लिए अफॉर्डेबल बनाना है। इसमें एक घंटे की उड़ान की कीमत सब्सिडी के साथ करीब 2,500 रुपये होगी।  UDAN के तहत पहली सेवा को पिछले साल 27 अप्रैल को शिमला-दिल्ली सेक्टर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लॉन्च किया। अब तक इस योजना से 109 एयरपोर्ट और हेलीपैड जोड़े जा चुके हैं।

नए एयरपोर्ट की कार्ययोजना 
न्यू ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट पॉलिसी के तहत नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर), मोपा (गोवा), पुरंदर एयरपोर्ट (पुणे) भोगापुरम एयरपोर्ट (विशाखापट्टनम), धोलेरा एयरपोर्ट (अहमदाबाद) और हिरासर एयरपोर्ट (राजकोट) को विकसित करने की योजना है। इसके साथ ही दिल्ली, बेंगलुरु और हैदराबाद एयरपोर्ट का अपग्रेड और विस्तार किया जा रहा है।

इनलैंड वाटरवे की संख्या में भारी बढ़ोतरी
पिछले तीस वर्षों से देश में सिर्फ 5 नेशनल वाटरवे थे। मौजूदा सरकार में 106 अन्य इनलैंड वाटरवे को मंजूरी दी गई जिससे नेशवल वाटरवे की संख्या बढ़कर 111 होने जा रही है। सरकार ने सेंट्रल रोड फंड (CRF) का 2.5% हिस्सा नेशनल वाटरवे के विकास के लिए देने की पहल की है। इसके लिए NH cess के शेयर को 41.5% से घटाकर 39% किया गया है।

सागरमाला प्रोजेक्ट

  • 8 लाख करोड़ रुपये से अधिक के इन्फ्रास्ट्रक्चर निवेश के साथ इस योजना के तहत 500 से अधिक प्रोजेक्ट हैं।
  • 2.17 लाख करोड़ के 289 प्रोजेक्ट पर काम शुरू भी हो चुका है।
  • कोस्टल शिपिंग को 80 MTPA से बढ़ाकर 2025 तक 200+ MTPA करने का लक्ष्य है।
  • सागरमाला प्रोजेक्ट 1 करोड़ नौकरियां पैदा करने वाला है जिनमें से 40 लाख तो सीधी नौकरियां हैं।

प्रधानमंत्री आवास योजना (अपना घर अपनी छत)
इस योजना के अंतर्गत सन् 2022 तक हर किसी के पास ‘अपना घर’ का लक्ष्य रखा गया है। 2022 में ही देश की आजादी के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं। पिछले करीब साढ़े तीन वर्षों में सरकार ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में इस योजना के तहत 93 लाख से अधिक मकान बनवाए हैं। इस आवास योजना में उन लोगों के लिए सस्ती दरों पर होम लोन का भी प्रावधान है जो पैसों की कमी के चलते अपने घर का सपना पूरा नहीं कर पाते। आवास योजना होम लोन के तहत 12 लाख रुपये तक की सालाना आय वालों के लिए 9 लाख रुपये तक के लोन पर 4 प्रतिशत और 18 लाख रुपये तक सालाना आय वालों के लिए 12 लाख रुपये तक के लोन पर ब्याज में 3 प्रतिशत की सब्सिडी का प्रावधान है। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत 2019 तक 1 करोड़ घरों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। ग्रामीण आवास योजना का मकसद गांवों में रहने वाले सभी गरीबों को ऐसे घर मुहैया कराना है जहां अन्य सुविधाओं के अलावा टॉयलेट का होना अनिवार्य होगा।

स्मार्ट सिटी मिशन से करोड़ों लोगों के जीवन में आएगा बदलाव
25 जून 2015 को लॉन्च हुई इस योजना के तहत देश के सौ शहरों को विकास के आधुनिक पैमाने के अनुरूप ढालने का लक्ष्य है। यहां के पूरे इन्फ्रास्ट्रक्चर को इस प्रकार से विकसित करना है ताकि लोगों की क्वालिटी ऑफ लाइफ में बढ़ोतरी हो। इसके तहत जिन कदमों पर बल देना है उनमें हाऊसिंग के अवसरों का सभी के लिए विस्‍तार करना, भीड़भाड, वायु प्रदूषण और संसाधनों की कमी को कम करने के साथ स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है। कॉम्पीटिशन के जरिये 99 शहरों को चिन्हित किया जा चुका है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट से करीब 9.9 करोड़ लोगों के जीवन में बदलाव आएगा और इसके लिए 2,01,979 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया है।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी Rurban Mission से बदलेगा ग्रामीण जीवन
देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले भी शहरी जीवन जीने का अनुभव करें और शहरी सुविधाओं से वंचित न रहें इसके लिए मोदी सरकार ने एक ऐसी योजना लॉन्च की जिसका लक्ष्य है गांवों की तस्वीरों को बेहतर करना। 21 फरवरी 2016 को लॉन्च हुई इस योजना के तहत शहरों के पास के सभी गांवो को समूह यानि की क्लस्टर में वर्गीकृत किया गया है। प्रत्येक क्लस्टर में आसपास बसे पांच से छह गांव हैं और हर क्लस्टर की आबादी 25 से 50 हजार तक की रखी गई है। मिशन के जरिए वर्ष 2019-20 तक गांवों के 300 समूह यानि की क्लस्टर का विकास करने का निश्चय किया गया है। अब तक इस मिशन के तहत 267 क्लस्टर चिन्हित किए जा चुके हैं। 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नागर हवेली के लिए 153 Integrated Cluster Action Plans (ICAPs) को मंजूरी दी जा चुकी है।

बेहतर पर्यावरण के लिए उठाए कदम
मोदी सरकार पर्यावरण की बेहतरी की दिशा में कदम उठाती रही है। बढ़ते प्रदूषण  और लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य पर होने वाले बुरे असर को देखते हुए उसने चौपहिया वाहनों के लिए 1 अप्रैल 2017 से BS-IV मानकों को लागू करने का निर्णय लिया। वहीं अप्रैल 2020 से BS-V को ना अपनाकर सीधा BS–VI मानकों को भी लागू करने की तैयारी है। BS–VI लागू करने के लिए पहले अप्रैल 2021 का लक्ष्य रखा गया था। स्वास्थ्य के लिहाज से ये गाड़ियां पहले की अपेक्षा बेहतर साबित होंगी। हाइब्रिड गाड़ियों को लॉन्च करने के साथ ही इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि प्रदूषण कम से कम स्तर पर आए।

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