Home विशेष अन्नदाताओं के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है मोदी सरकार

अन्नदाताओं के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है मोदी सरकार

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 16 जुलाई को पश्चिम बंगाल के मिदनापुर में किसान कल्याण रैली को संबोधित करते हुए देश के कृषक समाज के हित के लिए अपनी प्रतिबद्धता को एक बार फिर दोहराया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाकर देश के अन्नदाताओं की आमदनी बढ़ाने का काम किया है।

दरअसल बीते चार वर्षों में मोदी सरकार ने किसानों के हित में कई ऐसे निर्णय लिए हैं जो ऐतिहासिक हैं। आइये हम भी एक नजर डालते हैं किसानों के हित के लिए किए गए प्रयासों पर। 

एमएसपी में जबरदस्त बढ़ोतरी

मोदी सरकार ने खरीफ फसलों की लागत पर न्यूनतम समर्थन मूल्य डेढ़ गुना या उससे ज्यादा बढ़ा दिया है। एक क्विंटल धान के लिए 1550 रुपये के बदले अब 1750 रुपये दिए गए हैं। इसमें कपास, उड़द, ज्वार, बाजरा, रागी, मक्का, मूंगफली, सूरजमुखी बीज, सोयाबीन, तिल और  रामतिल जैसी फसलों को भी शामिल किया गया है।

गन्ना किसानों के लिए बड़ा पैकेज

मोदी सरकार ने हाल ही में देश के गन्ना किसानों को राहत देने के लिए 8,500 के पैकेज का ऐलान किया है। चीनी का 30 लाख टन का बफर स्टॉक बनाने के लिए 1200 करोड़ रुपये दिए जाएंगे। इससे पहले गन्ना किसानों को भुगतान में मिलों की मदद के लिए 1,540 करोड़ रुपये प्रोडक्शन-लिंक्ड सब्सिडी देने की घोषणा की गई थी।

खेती-किसानी का बजट हुआ दोगुना

प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों की आय को दोगुना करने के संकल्प को 2022 तक पूरा करने के लिए केंद्रीय बजट में खेती को दिए जाने वाले धन को भी दोगुना कर दिया है। यूपीए सरकार ने जहां 2009 से 2014 के दौरान मात्र 1 लाख 21 हजार 82 करोड़ रुपये बजट में आवंटित किए थे वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने 2014-18 के बीच, चार सालों में ही, 2 लाख 11 हजार 694 करोड़ रुपये दे दिए।

खेतिहरों को ऋण लेना हुआ आसान

सरकार ने वित्त वर्ष 2017-18 में 10 लाख करोड़ रुपये का ऋण वितरित किए हैं। जमीन पर मालिकाना हक रखने वाले किसानों के साथ बटाईदारों को भी बड़ी संख्या में ऋण दिया गया है। 10 लाख करोड़ के कृषि ऋण में से 6.8 लाख करोड़ रुपये छोटी अवधि के फसली ऋण में दिए गए हैं। इतना ही नहीं इस 6.8 लाख करोड़ रुपये में से आधी रकम छोटे और सीमांत किसानों को दी गई है।

खेत से ही फसल बेच रहे किसान

देश में सभी अनाज और फल-सब्जी मंडियों को इंटरनेट के माध्यम से जोड़ा जा रहा है। पूरे देश की अनाज और फल की मंडियों के एक हो जाने से कोई भी किसान देश में उपज कहीं भी बेच सकता है। 2022 तक यह पूरी तरह से व्यवस्थित हो जाएगा। अब तक 585 मंडियों को e-NAM से जोड़ा जा चुका है जिस पर 87.5 लाख किसान अपना उपज बेच रहे हैं।

यूरिया की कालाबाजारी पर लगी लगाम

प्रधानमंत्री मोदी ने नीम कोटिंग यूरिया का ऐतिहासिक फैसला लेकर खाद की कालाबजारी को पूरी तरह से बंद कर दिया। अब रासायनिक उर्वरकों का उपयोग केवल खेतों में ही हो सकता है, पहले की तरह उद्योगों में इसका उपयोग होना बंद हो गया है। इसके साथ ही सभी बंद पड़े उर्वरक संयंत्रों को उत्पादन के लायक बनाकर, देश में उर्वरक उत्पादन को बढ़ा दिया गया है।

फसल बीमा से चिंतामुक्त हो रहे किसान 

किसानों को खरीफ फसलों के लिए 2 प्रतिशत और रबी फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत के प्रीमियम पर बीमा मिल रहा है, शेष 98 प्रतिशत प्रीमियम राज्य और केन्द्र सरकारें देती हैं। फसल बीमा से खेती में अचानक हुए किसी भी तरह के नुकसान की भरपाई बैंक कर रहे हैं। फसल बीमा से किसानों को खेती की अनिश्चितता से होने वाली चिंता खत्म हुई है।

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