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कांग्रेस की अटकी, लटकी और भटकी परियोजनाओं को पूरा कर रहे हैं प्रधानमंत्री मोदी

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कांग्रेस पार्टी की नीति रही है अटकाना, लटकाना और भटकाना। कांग्रेस पार्टी ने देश में साठ वर्ष से ज्यादा शासन किया और इसी पॉलिसी के तहत देश के लोगों की आंखों में धूल झोंकी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार जबसे बनी है, कांग्रेस द्वारा अटकाई गईं परियोजनाओं को आगे बढ़ाया जा रहा है। मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी ने राजस्थान के बाड़मेर में रिफाइनरी परियोजना का शिलान्यास किया। इस रिफाइनरी का चार साल पहले तत्कालीन यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने शिलान्यास किया था, तब राज्य में कांग्रेस पार्टी की सरकार थी, लेकिन इस परियोजना पर कोई काम नहीं किया गया। इसी प्रकार गुजरात की सरदार सरोवर बांध परियोजना हो या फिर गोरखपुर और बरौनी में वर्षों से बंद पड़ी फर्टिलाइजर यूनिटों को दोबारा चालू करना, ऐसे तमाम प्रोजेक्ट हैं, जिन्हें मोदी सरकार ने शुरू किया है। सिलसिलेवार विश्लेषण करते हैं ऐसी तमाम परियोजनाओं का, जो वर्षों से अटकी पड़ी थीं, और अब उन पर तेजी से काम हो रहा है।

वर्षों से बंद बाड़मेर रिफाइनरी का काम शुरू कराया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राजस्थान के बाड़मेर के पचपरदा में पेट्रोलियम रिफाइनरी के कार्य का शुभारंभ किया। यह रिफाइनरी कांग्रेस पार्टी की अटकाना, लटकाना और भटकाना की नीति का सबसे सटीक उदाहरण है। कांग्रेस पार्टी परियोजनाओं के जरिए कैसे लोगों की आंखों में धूल झोंकती है, यह इस रिफाइनरी की कहानी से समझा जा सकता है। इस रिफाइनरी का पहले शिलान्यास 2013 में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने किया था। दरअसल 2013 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राजस्थान की तत्काली कांग्रेस सरकार ने आनन-फानन में रिफाइनरी के शिलान्यास का कार्यक्रम बनाया था, क्योंकि कांग्रेस सरकार का मकसद रिफाइनरी का निर्माण कराना नहीं, बल्कि चुनाव में इसका फायदा उठाना था। तब बगैर किसी तैयारी के इसका एचपीसीएल से एमओयू साइन किया गया, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसका निर्माण शुरू नहीं करवा पाए। अब राज्य की वसुंधरा राजे सरकार ने उसी एचीपीसएल कंपनी के साथ फिर एमओयू किया है, और नए एमओयू में सरकार के चालीस हजार करोड़ रुपये भी बचा लिए गए हैं।

कांग्रेस सरकार में जो एमओयू साइन किया गया था, उसकी शर्तों के मुताबिक 15 वर्षों में 56 हजार करोड का ब्याजमुक्त लोन एचपीसीएल को देना था, और इस प्रोजेक्ट में राज्य सरकार की भागीदारी 26 फीसदी थी। 2013 में प्रोजेक्ट लागत 37,320 करोड़ आंकी गई थी। 2013 में वसुंधरा राजे सरकार ने इस एमओयू को रद्द कर दिया और उसी कंपनी से दोबारा एमओयू किया नई शर्तों के साथ। इसके मुताबिक अब राज्य सरकार को एचपीसीएल को हर साल 1123 करोड़, यानी 15 वर्षों में महज 16,885 करोड़ रुपये का ब्याजमुक्त लोन देना होगा। जाहिर है कि 15 वर्षों में सरकार के 39,165 करोड़ की बचत हुई है। रिफाइनरी में उत्पादन अब 2022 में शुरू होगा। ये रिफाइनरी ईको फ्रेंडली बीएस 6 के मानक पर आधारित है। जबकि चार साल पहले लगने वाली रिफाइनरी बीएस 3 के मानक पर थी। केंद्र और राज्य सरकार के मुताबिक इस रिफाइनरी के शुरू होने से बाड़मेर और जोधपुर में पेट्रोकेमिकल हब का निर्माण होगा। इससे पश्चिम राजस्थान में लोगों को रोजगार मिलेगा।

56 वर्षों से लटके सरदार सरोवर बांध का काम पूरा किया

गुजरात में नर्मदा नदी पर बने देश के सबसे बड़े और दुनिया के दूसरे सबसे बड़े सरदार सरोवर बांध की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। कांग्रेस सरकारों ने लटकाने, अटकाने और भटकाने की नीति के तहत आधी सदी तक इस बांध के निर्माण की बाधाओं को दूर करने में कोई रुचि नहीं दिखाई। यही वजह रही कि गुजरात, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की लाखों हेक्टेयर जमीन सिंचित नहीं हो सकी और दशकों तक लाखों किसान गरीबी और बदहाली के दौर में जीते रहे। गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए श्री मोदी ने कई बार तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से सरदार सरोवर डैम का काम तेजी से शुरू करवाने का निवेदन किया, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र में सरकार बनाते ही इस प्रोजेक्ट की अड़चनों को दूर किया, और पिछले वर्ष अपने जन्मदिन के मौके पर गुजरात का 56 साल लंबा इंतजार खत्म करते हुए सरदार सरोवर बांध का उद्घाटन कर दिया।

उद्घाटन के मौके पर पीएम मोदी ने बांद परियोजना में हुई देरी पर कहा था कि “वह इसे राजनीति से नहीं जोड़ रहे हैं, अन्यथा उनके पास उन सभी लोगों का कच्चा चिट्ठा है, जिन्होंने इस परियोजना में बाधाएं उत्पन्न की, आरोप लगाए और षडयंत्र किया। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि जब-जब नर्मदा नदी का सम्मान करने वाली सरकारें आईं तब-तब इस परियोजना के कार्य में काफी गति आई और बाकी समय इस परियोजना का काम तेजी से नहीं बढ़ा।” यह बांध लौह पुरुष सरदार बल्लभभाई पटेल का सपना था, और 5 अप्रैल 1961 को पूर्व पीएम जवाहर लाल नेहरू ने इस बांध का शिलान्यास किया था। इस बांद से प्रतिवर्ष करीब 100 करोड़ यूनिट पनबिजली पैदा होगी। बिजली का सबसे अधिक 57 प्रतिशत हिस्सा मध्य प्रदेश को, 27 प्रतिशत महाराष्ट्र को, जबकि गुजरात को 16 प्रतिशत बिजली मिलेगी। साथ ही गुजरात के 15 जिलों के 3137 गांवों के 18.45 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा सकेगी।

26 वर्षों से बंद पड़े गोरखपुर फर्टिलाइजर प्लांट को शुरू कराया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जुलाई, 2016 को गोरखपुर में 26 वर्षों से बंद पड़े फर्टिलाइजर प्लांट को दोबारा शुरू करने का एलान किया। इसके साथ ही उन्होंने बिहार के बरौनी और सिंदरी के फर्टिलाइजर प्लांट भी शुरू करने की घोषणा की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि “26 वर्षों से यह फर्टिलाइजर कारखाना हमारी वजह से बंद नहीं पड़ा था। पहले की सरकारों ने जनहित से जुडे ऐसा काम नहीं किए, अब दिल्‍ली में आप लोगों के ‍लिए काम करने वाली सरकार बनी है, इसलिए ये काम हो रहा है। अगर आप अपने हितों को ध्‍यान में रख करके सरकार चुनते है तो सरकार भी आपके लिए काम करने के लिए दौड़ती है।“ जाहिर है कि कांग्रेस के राज में किसानों, गरीबों, अदिवासियों, महिलाओं के विकास से जुड़ी योजनाओं पर ध्यान नहीं जाता था।

असम में अटकी रिफाइनरी परियोजना को पूरा कराया

असम के डिब्रूगढ़ में 5 फरवरी, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रिफाइनरी प्‍लांट का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने कांग्रेस और गांधी परिवार पर हमला बोलते हुए प्रोजेक्‍ट में देरी पर अफसोस जताया और कहा कि यह प्रोजेक्ट 25 साल पहले बन जाना चाहिए था। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने अटकी हुई कई परियोजनाओं को मुक्त किया है, और वह प्रगति की निगरानी और अड़चनें दूर करने के लिए हर महीने राज्यों के मुख्य सचिवों से व्यक्तिगत तौर पर बातचीत कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने असम में 10,000 करोड़ रुपये के पेट्रोरसायान संयंत्र का उद्घाटन किया जो कच्चे तेल की रिफाइनरी में प्लास्टिक के लिए कच्चा माल और वैक्स बनाने वाली इकाई बनाएगा। जाहिर है कि ब्रह्मपुत्र क्रैकर एंड पॉलीमर लिमिटेड की परिकल्पना असम शांति प्रस्ताव के अंग के तौर पर की गई थी जिस पर समझौता तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में हुआ था और इसकी बुनियाद 2007 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रखी थी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यदि परियोजना की स्थापना 25 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री कर देते तो मुझे इस परियोजना का उद्घाटन करने का मौका नहीं मिला होता। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने असम में नुमालीगढ़ रिफाइनरी की वैक्स उत्पादन इकाई का भी उद्घाटन किया, जिसकी सालाना क्षमता 50,000 टन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारी सरकार सभी अटकी परियोजनाओं को पूरा करने और लोगों के सपने पूरा करने का प्रयास कर रही है।

मोदी सरकार में कांग्रेस शासन के अटके प्रोजेक्ट को पूरा करने की फेहरिस्त काफी लंबी है। इन परियोजनाओं के आलवा भी आधार को सब्सिडी से जोड़ना, डीबीटी, स्वच्छता मिशन, घर-घर शौचालय, गंगा सफाई, गरीबों को गैस कनेक्शन, मिड डे मील, जीएसटी, बेनामी संपत्ति पर शिकंजा जैसे तमाम काम हैं जिन्हे यूपीए सरकार के कार्यकाल में आधे-आधूरे तरीके से शुरू किया था। प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शिता की वजह से इन योजनाओं को नया मकाम हासिल हुआ और सही मायने में देश के लोगों को फायदा भी हुआ।

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