राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद देश के अगले राष्ट्रपति हो सकते हैं। रामनाथ कोविंद का राजनीतिक जीवन बेदाग रहा है। सुर्खियों से दूर रहने वाले कोविंद शैक्षिक या प्रशासनिक योग्यता के पैमाने पर कहीं से भी कमजोर नहीं हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्दों और संबंधों पर भी उनका अनुभव अच्छा खासा है। 16 साल तक हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने की वजह से कोविंद को कानून का अच्छा जानकार माना जाता है। लो प्रोफाइल रहने वाले रामनाथ कोविंद को मजबूत व्यक्तित्व का नेता माना जाता है। राजनीति में होने के बाद भी वह कभी विवादों में नहीं रहे। इस सबके बावजूद कुछ पत्रकार और मीडिया संस्थान उनके खिलाफ दुष्प्रचार करने में लगे हुए हैं।
हफिंगटन पोस्ट के इंडिया संस्करण ‘हफपोस्ट इंडिया’ की राजनीतिक संपादक बेतवा शर्मा ने गलत जानकारी देकर लोगों को गुमराह करने की कोशिश की है। बेतवा शर्मा ने BJP’s Presidential Candidate Once Said ‘Islam And Christianity Are Alien To The Nation’ में बताया गया है कि वो धार्मिक अल्पसंख्यकों को आरक्षण दिए जाने का विरोध कर चुके हैं।
असल में बेतवा शर्मा ने यह टाइटल ही तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर सामने रखा है। इसमें कहा गया है कि ‘Islam And Christianity Are Alien To The Nation’ यानी इस्लाम और ईसाई देश के लिए विदेशी हैं… बाहरी हैं। जबकि रामनाथ कोविंद ने कहा था कि ‘Islam And Christianity Are Alien To The Notion’ यानी इस्लाम और ईसाई धर्म जाति की धारणा से परे हैं … इस्लाम और ईसाई धर्म में इस तरह का कोई विचार ही नहीं है’
बेतवा शर्मा लिखती हैं कि रामनाथ कोविंद ने इस्लाम और ईसाई को बाहरी बताते हुए आरक्षण का विरोध किया था। बेतबा आगे रंगनाथ मिश्रा आयोग का जिक्र कर गलतफहमी फैलाने की कोशिश कर रही है। जबकि कोविंद जी ने एक लेख में कहा था कि ‘धर्मांतरित मुस्लिमों और ईसाइयों को जब पिछड़ा वर्ग श्रेणी में पहले से आरक्षण प्राप्त हो रहा है तो वे अनुसूचित जाति वर्ग में आरक्षण क्यों चाहते हैं? इसका उत्तर साफ है। उनकी विशेष रूचि सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्राप्त करने की नहीं है, बल्कि ग्राम पंचायतों से लेकर लोकसभा तक के चुनाव लड़ने के लिए अनुसूचित जाति की श्रेणी में आरक्षण चाहते हैं। अगर सरकार रंगनाथ मिश्र की सिफारिशों को स्वीकार कर लेती है, तो धर्मांतरित ईसाई और मुस्लिम अनुसूचित जातियों हेतु आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ने के पात्र हो जाएंगे। इस प्रकार, अनुसूचित जाति के लोगों को सरकारी नौकरियों और राजनीतिक क्षेत्रों में अपने शेयर को धर्मांतरित ईसाइयों और मुस्लिमों के साथ बांटना पड़ेगा। अत: अनुसूचित जातियों को सभी कोणों से नुकसान उठाना पड़ेगा। इसके अतिरिक्त, इससे धर्मांतरण को और अधिक बढ़ावा मिलेगा तथा भारतीय समाज का ताना-बाना पूरी तरह छिन्न-भिन्न हो जाएगा’
आप समझ सकते हैं कि किस तरह से कुछ पत्रकार किसी भी तरह बीजेपी और पार्टी नेताओं को बदनाम करने के अभियान में लगे हुए हैं। सोशल मीडिया पर भी इसको लेकर चर्चा है। देखिए-
Boom!! Did #RamNathKovind say “NOTION” that @HuffPostIndia change to “NATION” and stir a controversy? @Krittivasm @SonaChele1 https://t.co/bxWGE6akVh
— GhoseSpot (@SandipGhose) June 20, 2017
एक अखबार ने तो अपना ठीकरा न्यूज एजेंसी आईएएनएस पर फोड़ दिया। अगर ऐसा है तो इस अभियान में पीटीआई के साथ आईएएनएस भी शामिल है।
From this IANS copy carried by @htTweets 7yrs ago it seems he said “nation”. https://t.co/BqYNn8T8n5
— Krittivas Mukherjee (@Krittivasm) June 20, 2017
If you are a dalit,converted to Xtianity due to caste oppression,how can you claim quota now?Its turning the reason v conversion on its head
— SonaChele (@SonaChele1) June 19, 2017
What Kovind said is simple logic.
— SonaChele (@SonaChele1) June 19, 2017
If one wants to speak the lie ,speak in a manner that can’t be caught
— indu malhotra (@indumalhotra3) June 20, 2017