Home पोल खोल मायावती की सियासी नौटंकी, राज्यसभा से इस्तीफे की दी धमकी

मायावती की सियासी नौटंकी, राज्यसभा से इस्तीफे की दी धमकी

SHARE

बीएसपी सुप्रीमो मायावती पूरी तरह से हताश और निराश हो चुकी हैं। जब से उत्तर प्रदेश के मतदाताओं ने उनकी जातिवादी और छद्म धर्मनिरपेक्ष राजनीति को नकारा है, वो पूरी तरह से विचलित हैं। यही वजह है कि खुद को सियासी तौर पर जीवित रखने के लिए उन्होंने नई नौटंकी शुरू कर दी है। मंगलवार को उन्होंने राज्यसभा के अंदर इस्तीफे की नौटंकी से सदन और आसन को अपमानित किया। मायावती का इतिहास टटोलें तो ये कोई पहली बार नहीं है जब उन्होंने संसद में आसन का अपमान किया है, इससे पहले भी वो सदन में ड्रामा करने की अभ्यस्त रही हैं।

क्या है पूरा मामला ?

  •  उनका आरोप था कि वो दलितों से जुड़े सहारनपुर मुद्दे पर बोलना चाहती हैं, लेकिन उन्हें बोलने नहीं दिया जा रहा। जबकि सच्चाई ये है कि उपसभापति ने उन्हें बोलने के लिए तीन मिनट का समय दिया था।
  • सरकार की ओर से मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि, वो जिस तरह से सियासी हताशा में उपसभापति पर हमला कर रही हैं बिल्कुल सही नहीं है। उन्होंने साफ किया कि, माया किसी समाज की बात नहीं रख रहीं बल्कि सिर्फ सियासत कर रही हैं।

इस्तीफे के ड्रामे की वजह ?

  • 2 अप्रैल, 2018 के बाद उनकी राज्यसभा सदस्यता का कार्यकाल पूरा हो रहा है। उन्हें दोबारा राज्यसभा में निर्वाचित होने के लिए कम से कम 37 विधायकों की आवश्यकता है। लेकिन, यूपी विधानसभा में उनकी पार्टी के सिर्फ 19 विधायक हैं। यानी अपने विधायकों के बूते वो राज्यसभा के लिये वैसे भी नहीं चुनी जा सकतीं।
  • मायावती की बौखलाहट इससे भी समझी जा सकती है कि राज्यसभा तो दूर, उत्तरप्रदेश विधान परिषद में भी घुसने लायक उनके पास विधायक मौजूद नहीं हैं। इसके लिए भी उन्हें कम से कम 29 विधायकों की आवश्यकता पड़ेगी।
  • उन्हें ये भी पता है कि उनको राज्यसभा या विधान परिषद में भेजने के लिए आसानी से कोई दल तैयार नहीं होगा। क्योंकि उनकी नौटंकी का अंदाजा सभी पार्टियों को है।
  • यही कारण है कि उन्होंने सहारनपुर में दलितों के मुद्दे के बहाने इस्तीफा देकर नया राजनीतियक दांव चलने की कोशिश की है। शायद उन्हें लगता है कि इसकी सहानुभूति बटोरकर वो एकबार फिर भविष्य के लिए वोटों की फसल तैयार कर सकेंगी।
  • मायावती की राजनीति अंतिम पड़ाव पर है इसलिए ये इस्तीफे का ड्रामा रचा जा रहा है।

राज्यसभा में मायावती का रिकॉर्ड बहुत खराब

  • ये पहला मामला नहीं है जब मायावती ने राज्यसभा में उपराष्ट्रपति को अपमानित किया हो। वो सभापति हामिद अंसारी तक को भी अपमानित कर चुकी हैं।

11 दिसंबर, 2012 का ये वीडियो आपकी आंखें खोल देगा-

  • मायावती मुख्यमंत्री और सांसद होते हुए भी दलितों के लिए तो कुछ कर नहीं पाईं, अब देश का माहौल खराब करने के लिए दलित याद आ रहे हैं।

गलत वजहों से ही चर्चित रहती हैं मायावती

  • आरोपों के अनुसार दलित की आड़ में भ्रष्टाचार का खुल्ला खेल मायावती का धंधा रहा है। दलित महापुरुषों के नाम पर स्मारकों के निर्माण में लूट का मामला जगजाहिर है।
  • लखनऊ के अंबेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल, काशी राम स्मारक स्थल, गौतम बुद्ध उपवन इको पार्क, नोएडा के अंबेडकर पार्क को लेकर भ्रष्टाचार की जांच चल रही है।
  • सबसे बड़ी बात ये है कि शायद वो पहली ऐसी नेता हैं जिन्होंने सरकारी खर्चे पर खुद ही अपनी मूर्तियां बनवा लीं।

  • वो अकेली ऐसी नेता हैं, जिन्होंने 2008-2009 के लिए करीब 15 करोड़ रूपये का एडवांस टैक्स चुकाया।
  • उन्होंने अधिकतर संपत्ति समर्थकों से मिले उपहारों के नाम पर बनाई हैं।
  • दलितों की राजनीतिक करने वाली इस नेता के पास आय से अधिक संपत्ति, आलीशान बंगले और उनकी विलासितापूर्ण जीवन को लेकर तरह-तरह के सवाल उठते रहे हैं।

मायावती से असंतुष्ट होकर अलग हुए उनके कई पुराने साथी ही उनपर तानाशाही प्रवृत्ति के होने का आरोप लगा चुके हैं। उनकी अनुमति के बिना बीएसपी में कोई पत्ता भी हिलना असंभव है। उनके साथ किसी भी पार्टी नेता को बैठने तक की अनुमति नहीं मिलती। लेकिन वो खुद को दबी-कुचली और शोषित साबित करने का कुचक्र रचती रहती हैं।

Leave a Reply