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ममता बनर्जी की खुली पोल, रामनाथ कोविंद के साथ कर चुकी हैं कार्य

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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की एक बड़ी झूठ का पर्दाफाश हो गया है। अंग्रजी समाचार पोर्टल इंडियन एक्सप्रेस में छपे समाचार के अनुसार वो एनडीए के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को न सिर्फ जानती हैं बल्कि, उनके साथ लंबे समय तक काम भी किया है। इस खुलासे के बाद टीएमसी नेता की किरकिरी होनी स्वभाविक है। अगर राजनीतिक चालबाजियों के चक्कर में वो रामनाथ कोविंद को समर्थन नहीं करना चाहती थीं तो उसे साफ भी कहा जा सकता था। लेकिन उन्होंने जिस तरह से सरेआम झूठ बोला उससे उन्हीं की जग हंसाई हो रही है।

संसद के रिकॉर्ड से खुली पोल
तथ्यों के अनुसार ममता और बिहार के पूर्व गवर्नर रामनाथ कोविंद संसद की स्थाई समिति में लंबे समय तक साथ-साथ काम कर चुके हैं। संसद के रिकॉर्ड से साफ है कि दोनों उस स्थाई समिति के सदस्य थे, जिसने 2004 में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग (पद और सेवा में आरक्षण ) विधेयक, 2004 आठवीं रिपोर्ट दी थी। उस समिति में ममता निचले और कोविंद उपरी सदन का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।

ममता ने कहा क्या था ?
दरअसल रामनाथ कोविंद को एनडीए की ओर से राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाए जाने पर उन्होंने कहा था कि किसी को समर्थन करने के लिए उसे जानना भी आवश्यक होता है। यानी जब वो कोविंद को जानती ही नहीं तो समर्थन कैसे करेंगी ? समाचार पत्रों की सूचना के अनुसार जब बीजेपी ने राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर बिहार के तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविंद के नाम का एलान किया तो ममता ने कहा कि, “उन्होंने अपना उम्मीदवार किसे चुन लिया? हम उन्हें नहीं जान पा रहे, हम उन्हें नहीं पहचाते। आसमान से टपका दिया। क्या कोई और नहीं था?”

इतनी अज्ञानी हैं ममता ?
राम नाथ कोविंद कभी विवादों में नहीं रहे। उनका पूरा प्रोफेशनल और राजनीतिक करियर बेदाग रहा है। तीन साल तक बिहार जैसे बड़े राज्य के राज्यपाल के पद पर तैनात रहे। क्या ऐसे में कोई मान लेगा कि ममता इतनी अज्ञान राजनीतिज्ञ हैं कि उन्हें बिहार जैसे पड़ोसी राज्य के गवर्नर के बारे में भी नहीं पता। अगर उन्हें कोविंद जैसे निर्विवाद व्यक्तित्व की परवाह नहीं है, तो भी कम से कम राज्यपाल और राष्ट्रपति पद की मर्यादा का तो ख्याल रखना चाहिए। क्योंकि उनका पटना के राजभवन से निकलकर राष्ट्रपति भवन तक पहुंचना लगभग औपचारिकता भर है।

12 साल तक सांसद रहे हैं कोविंद
राम नाथ कोविंद अगर राष्ट्रपति भवन पहुंचने वाले हैं, तो इसके पीछे उनका एक लंबा और स्वच्छ सार्वजनिक जीवन रहा है। वो लगातार 12 साल तक राज्यसभा सांसद रहे हैं। उससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम के वकील के तौर पर उनका लंबा कार्यकाल रहा है। अगर इतने अनुभवी व्यक्ति को किसी पार्टी ने देश के राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाने का निर्यण किया है, तो ममता बनर्जी को ये बात खटक क्यों रही है? सवाल देश के लिए किए गए कोविंद के योगदान से है, जिसमें वो सोलह आने फिट बैठते हैं। ममता बनर्जी क्या सोचती हैं? देश की जनता को उससे उतना ही फर्क पड़ता है, जितना कि पश्चिम बंगाल के सीएम होने के नाते पड़ना चाहिए। बाकी उनके शासनकाल में पश्चिम बंगाल में क्या हो रहा है उससे देश के नागरिक भी अनजान नहीं हैं।

ममता बनर्जी का एक ही मकसद है- मोदी विरोध। इसके लिए वो किसी भी हद तक जा सकती हैं। उनकी सोच देखने के लिए ये अवश्य पढ़िये-

ममता का एजेंडा : मोदी विरोध के नाम पर ‘देश विरोध’ !

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