Home झूठ का पर्दाफाश अधूरे आंकड़ों पर लिखी गई आईटी क्षेत्र में बेरोजगारी की झूठी कहानी

अधूरे आंकड़ों पर लिखी गई आईटी क्षेत्र में बेरोजगारी की झूठी कहानी

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आईटी क्षेत्र में हो रहे ऑटोमेशन और अमेरिका में ट्रंप प्रशासन की नीतियों में परिवर्तन के चलते देश की आईटी कंपनियां भी बदलाव के दौर से गुजर रहीं हैं। बदलाव का यह दौर पहली बार नहीं आया है। 2008 में अमेरिका में आयी आर्थिक मंदी के दौर को भी ये कंपनियां देख चुकी हैं। NASSCOM के अनुसार बदलाव का ये दौर ज्यादा वक्त तक नहीं रहने वाला है। ये तथ्य है कि ऐसे दौर में सबसे अधिक आघात नौकरियों पर होता है, फिर भी आज की स्थिति 2008 के आर्थिक मंदी के दौर से कहीं अच्छी है। लेकिन एक सोची-समझी रणनीति के तहत भ्रम फैलाने की कोशिश हो रही है और नौकरियों की स्थिति को लेकर झूठ का प्रचार हो रहा है।

बेरोजगारी का अधूरा गणित
रही बात देश में वर्तमान में रोजगार की स्थिति के बारे में तो इसकी स्थिति बताने वाली Labour Bureau की Quarterly Employment Survey( 2015-16) और 2011-12 में किये गये National Sample Survey Organization (NSSO) के आंकड़े यह बताने में सक्षम नहीं हैं कि देश की अर्थव्यवस्था में वर्तमान समय में कितने नये तरह के रोजगार के अवसर पैदा हो रहे हैं। क्योंकि ये दोनों ही सर्वेक्षण सालों पहले किये गये थे। एक अनुमान के अनुसार देश के श्रम बाजार में लगभग 47 करोड़ लोग हैं, जिसका लगभग 75 प्रतिशत कृषि कार्यों में और शेष 25 प्रतिशत ही आर्थिक क्षेत्र की अन्य गतिविधियों में काम कर रहा है।

पुराने सर्वे पर आधारित बेरोजगारी के झूठे दावे
Labour Bureau देश की अर्थव्यवस्था के आठ क्षेत्रों- Manufacturing, Construction, Trade, Health, Education, Restaurants & Accommodation, Information Technology, Transport और Business process outsourcing के उन उद्यमों का सर्वेक्षण करता है, जिनमें दस से ज्यादा लोग काम करते हैं। आर्थिक जनगणना के अनुसार देश में लगभग 11 करोड़ लोग गैर कृषि कार्यों का काम करते हैं, जिनमें से करीब 9 करोड़ लोग इन आठ क्षेत्रों से जुड़े हैं। लेकिन Labour Bureau की 2015-2016 की रिपोर्ट 1,936 उद्यमों में काम करने वाले सिर्फ 20 लाख कर्मचारियों पर आधारित थी। बड़ी बात ये है कि ये रिपोर्ट आम तौर पर कंपनियों के मालिकों से मिली सूचना पर आधारित होती हैं। इसीलिये ये पता चलना मुश्किल है कि इसमें कितने कॉन्ट्रैक्ट मजदूर थे या कितने पार्ट टाइम कर्मचारी ? हालांकि NSSO का सर्वेक्षण ज्यादा विश्वसनीय आंकड़ों पर आधारित होता है। लेकिन लंबे अंतराल की वजह से ये भी नौकरी के वर्तमान परिदृश्य को दिखाने में कारगर नहीं हो सकता।

वास्तविक आंकड़े जुटाने का कार्य शुरू
देश में विकास के इस तेज दौर में आर्थिक गतिविधि के हर क्षेत्र में सटीक आंकड़ों के आधार पर ही नौकरियों की वास्तविक स्थिति का अनुमान लगाया जा सकता है। इसलिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नीति आयोग से जुड़े एक स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया है, जो रोजगार के आंकड़ों को त्वरित ढंग से एकत्रित करने का काम कर रहा है।

आईटी सेक्टर में संभावनाएं अपार
154 करोड़ डॉलर का आईटी क्षेत्र देश के लगभग 40 लाख युवाओं को नौकरी देने की क्षमता रखता है। इस क्षेत्र में काम करने वाली देश की शीर्ष संस्था, NASSCOM का अनुमान है कि 2025 तक देश में आईटी क्षेत्र का कारोबार 350 करोड़ डॉलर का होगा और जिसमें 25 से 30 लाख और अधिक नौकरियों के अवसर पैदा होगें। NASSCOM की रिपोर्ट कहती है कि भारत के आईटी क्षेत्र को आज के ऑटोमेशन के दौर की चुनैतियों से निपटने के लिये कर्मचारियों को नये अवसरों के अनुसार प्रशिक्षित करना होगा। आईटी के नये क्षेत्रों जैसे साइबर सुरक्षा, मोबाइल एप, सोशल मीडिया प्लेटफार्म, इंजीनियरिंग, बिग डाटा ऐनालिटिक्स, रोबोटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंश, मशीन लर्निंग और नैचुरल लैग्वेंज प्रोसेसिंग के क्षेत्र में ज्यादा काम करना होगा।

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