Home झूठ का पर्दाफाश LIES AGAINST MODI – कश्मीर नहीं संभल रहा

LIES AGAINST MODI – कश्मीर नहीं संभल रहा

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर विपक्ष आरोप लगाता है कि उनके कार्यकाल में जम्मू-कश्मीर की स्थिति और बिगड़ गई है। केंद्र की मोदी सरकार और राज्य में बीजेपी-पीडीपी की सरकार राज्य के हालात को कंट्रोल करने में असफल रहे हैं। आए दिन आतंकवादी घटनाएं होती है, सुरक्षा बलों पर हमले बढ़े हैं, पत्थरबाजी की घटनाओं में तेजी आई है, स्थिति एकदम हाथ से बाहर जा चुकी है। आइए इस बात की पड़ताल करते हैं कि क्या विपक्ष के लगाए जाने वाले आरोप सही हैं ? या फिर सच्चाई एकदम अलग है और विपक्ष राजनीति की रोटी सेंकने के लिए सिर्फ झूठ का प्रचार कर रहा है-

ग्राउंड जीरो पर तेजी से सुधर रहे हैं हालात

एक तरफ कश्मीर में शांति बहाली की प्रक्रिया तेज है तो दूसरी तरफ आतंकवाद पर मोदी सरकार की सख्ती का असर साफ दिख रहा है। दरअसल घाटी में बर्फ पिघलने के साथ ही घुसपैठ की कोशिशों में तेजी अवश्य आई है, लेकिन सुरक्षा बलों की सतर्कता से आतंकियों के सपने विफल होते जा रहे हैं। मोदी सरकार की कश्मीर नीति का नतीजा सामने आ रहा है। आतंक को मुंहतोड़ जवाब देने और अलगाववादियों से बात नहीं करने की नीति के साथ कश्मीर में जल्दी ही अमन लौटने की उम्मीद बढ़ गई है। घाटी का बहुत बड़ा वर्ग मुख्यधारा में शामिल हो चुका है। आतंकियों की भय के चलते जो कुछ लोग अभी तक डरे-सहमे रहे हैं वो भी तेजी से राष्ट्रविरोधी तत्वों की समाप्ति देखना चाहते हैं।

इस साल अबतक 43 आतंकी ढेर
9 जून, 2017 को उरी सेक्टर में लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पर घुसपैठ की एक बड़ी कोशिश विफल करने में सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली। एक के बाद एक करके 6 आतंकी ढेर कर दिए गए। इस साल अबतक 43 घुसपैठिये और आतंकियों को मार गिराया गया है, जबकि घुसपैठ की 23 कोशिशों को पूरी तरह से असफल कर दिया गया है। 

कश्मीरी आतंकियों की टूटी कमर
कश्मीर में अपने साथियों की हालत देखकर हिजबुल मुजाहिदीन का पूर्व कमांडर और अलकायदा का मौजूदा आतंकी जाकिर मूसा की चिंता जग- जाहिर हो चुकी है। अपनी कुंठा मिटाने के लिए वो भारतीय मुसलमानों पर गुस्सा निकाल रहा है। एक ऑडियो रिकॉर्डिंग के माध्यम से उस आतंकी ने भारतीय मुसलमानों के बारे में कहा है, “ये (भारतीय मुसलमान) दुनिया के सबसे रीढ़विहीन मुसलमान हैं, ये लोग दुनिया के सबसे बेशर्म मुस्लिम हैं। उनको खुद को मुस्लिम कहने में शर्म आनी चाहिए। भारतीय मुस्लिम चीख-चीखकर कह रहे हैं कि इस्लाम शांतिप्रिय धर्म है।” यही नहीं उसकी हेकड़ी देखिए कि उसने चेतावनी भरे अंदाज में भारतीय मुस्लिमों से कहा है, “आप लोगों के पास अब भी खड़े होने और हमारे साथ आने का समय है। आगे बढ़ो या फिर बहुत देर हो चुकेगी। मुस्लिम समुदाय की ताकत दिखाओ।”

यूं ही नहीं कहा जाता है कि बुझता हुआ दीया आखिरी वक्त में बहुत अधिक टिमटिमाने लगता है। आतंकी मूसा तो एक प्रतीक भर है, पाकिस्तान की सरपरस्ती में भारत में दहशत मचाने का इरादा रखने वाले हर आतंकी की इस समय ऐसी ही स्थिति है।

कश्मीर में आक्रामक नीति का नतीजा 

कश्मीर की स्थिति रातों-रात नहीं बदली है। तीन साल में पीएम मोदी की सरकार ने जो कदम उठाए हैं उसका परिणाम सामने दिख रहा है। जैसे सीमा पार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से घुसपैठ कमी हुई है, तो हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडरों को एक-एक कर ढेर करने से भी आतंकियों के होश गुम हैं। वहीं, पत्थरबाजों को मिल रही फंडिंग के स्रोत पर भी कार्रवाई शुरू है। अलगाववादियों को फंडिंग की जांच चल रही है। इन सब कार्रवाईयों के बीच विकास की गाड़ी को भी मोदी सरकार स्थानीय महबूबा सरकार की मदद से आगे बढ़ा रही है। अब खुद पाकिस्तान भी कश्मीर के राग अलापने के मामले में अलग-थलग पड़ चुका है। आतंकवाद को विश्वस्तर पर जवाब दिया जा रहा है।

15 साल बाद कश्मीर में ‘कासो’ अभियान
कश्मीर में सक्रिय आतंकियों को घेरने के लिए फिर से कार्डन एंड सर्च ऑपरेशन यानी ‘कासो’ अभियान शुरू किया गया है। 15 साल बाद शुरू किए गए इस ऑपरेशन के तहत शोपियां, त्राल समेत आतंकवादियों की सक्रियता वाले इलाकों की घेराबंदी कर बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया जा रहा है। कुलगाम के जंगलों में आतंकी ठिकानों को नष्ट कर सेना ने साफ कर दिया है कि अब आतंकवाद को टिकने नहीं दिया जाएगा।

आतंकियों को मारने में गोलियों की गिनती नहीं
मोदी सरकार ने साफ कर दिया है कि आतंक को चाहे देश के भीतर से समर्थन हो या फिर बाहर से, सख्त एक्शन होते रहेंगे। बीते एक महीने में एक के बाद एक 20 से अधिक आतंकियों को मारा जा चुका है। इतना ही नहीं पाकिस्तान की हिंसात्मक कार्रवाई का जवाब भी भारत की तरफ से उसी अंदाज में दिया जा रहा है। सेना को इस नीति पर चलने की छूट दी गई है कि देश के दुश्मनों को मारने के समय वो गोलियों की चिंता न करें। यही कारण है कि विपक्षी दलों के हौंसले पस्त हो रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि पीएम मोदी हमेशा-हमेशा के लिए कश्मीर संकट का समाधान ढूंढ निकाल लेंगे। इसी के चलते वो राज्य के माहौल को बिगाड़ने वाले तत्तवों को भड़काने की कोई कोशिश नहीं छोड़ रहे हैं।

पत्थरबाजों पर नकेल कसने की छूट
कश्मीर घाटी में पत्थरबाजी की साजिश की सच्चाई दुनिया के सामने पहले ही आ चुकी है। ये साफ है कि पत्थरबाजों को अलगावादी नेताओं द्वारा फंडिंग की जाती है और बेरोजगार नौजवानों को गुमराह कर पत्थरबाजी करवाई जाती है। पाकिस्तान इसके लिए बाकायदा फंडिंग भी करता है। लेकिन अब अलगाववादियों पर एक्शन के साथ पत्थरबाजों के खिलाफ एक्शन की भी छूट है। पत्थरबाज को जीप के बोनट पर बांधने वाले मेजर गोगोई को सम्मान देने जैसे कदम मोदी सरकार की नीति को साफ बता रहे हैं।

कश्मीर की हालात में सुधार देखकर बौखलाया विपक्ष 

सबसे दुख की बात ये है कि घाटी में सेना के मनोबल को बढ़ाने के बजाय मोदी विरोध के नाम पर विपक्ष ने पाकिस्तान की भाषा बोलना शुरू कर दिया है। पहले वामपंथी विचारक पार्था चटर्जी ने सेना प्रमुख बिपिन रावत की तुलना जालियांवाला कांड के सरगना जनरल डायर से करने का पाप किया। बाद में कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने उन्हें सड़क का गुंडा बताकर अपमानित करने का काम किया। अब अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि विपक्ष, मोदी सरकार की कश्मीर नीति पर हमला क्यों करता है। क्योंकि उसे पता है कि कश्मीर समस्या के स्थाई समाधान ढूंढने की शक्ति अगर किसी में है तो वो प्रधानमंत्री मोदी में है। 

अलगाववादियों और उसके सरपरस्तों में भी हड़कंप
पाकिस्तान की फंडिंग से घाटी में पत्थरबाजी कराने की अलगाववादियों की रणनीति का एक निजी चैनल पर खुलासा होने के बाद कई अलगाववादी नेता एनआईए की जांच के दायरे में आ गए हैं। एनआईए अलगाववादियों से पूछताछ कर रही है। उनके कनेक्शन खंगाले जा रहे हैं, हवाला के खुलासे किए जा रहे हैं। इसके चलते भी अलगावादियों के हितैषी विपक्षी नेताओं की चिंताएं बढ़ गई हैं। स्थिति ये आ गई है कि नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के नेता खुलकर देश विरोधी शक्तियों के समर्थन में बयानबाजी करने लगे हैं। कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर तो जम्मू-कश्मीर में आतंकियों का सफाया होता देख अलगाववादियों और उनके पाकिस्तानी आकाओं तक के पास जाकर राष्ट्रविरोधी बयानबाजी कर रहे हैं। 

अलगाववादियों से बात नहीं की नीति
दरअसल मोदी सरकार ने पहले साल ही साफ कर दिया था कि देश विरोधी तत्वों से वो कोई बात नहीं करेगी। ये संदेश कश्मीर के अलगाववादी नेताओं के लिए भी था। पाकिस्तानी उच्चायुक्त के डिनर में अलगाववादी नेताओं को न्योता देने के मामले पर भी मोदी सरकार ने साफ विरोध जता कर पाकिस्तान को कश्मीर मामले से दूर रहने के लिए आगाह कर दिया था। पाकिस्तान परस्तों को साफ संदेश है कि पहले मुख्यधारा में शामिल हों, फिर अपनी बात रखें, क्योंकि अब उनकी हेकड़ी के दिन लद चुके हैं। उन्हें भारतीय संविधान के दायरे में रहकर ही कोई भी मांग सरकार के सामने रखनी पड़ेगी, अन्यथा कानून के दायरे में ही अंजाम भुगतने को भी तैयार रहें।

आतंकवाद का मुखौटा उतारने की मोदी नीति
जहां कश्मीर मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर उठाने की पाकिस्तान की कोशिशों को भारत ने जहां विफल किया है वहीं आतंकवाद पर पाकिस्तान की दोहरी नीति को भी उजागर करने का काम किया है। बीते 26 मई को जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सऊदी अरब के दौरे पर थे तो नवाज शरीफ की मौजूदगी में भारत को आतंकवाद से पीड़ित देश बताया और पाकिस्तान जैसे आतंकवाद के मददगार देशों को सीधी चेतावनी दी।

अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत का आक्रामक रुख
बीते वर्ष विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र के मंच पर कश्मीर समेत देश के दूसरे भू-भाग में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने को लेकर पाकिस्तान के विरोध में खुला हमला बोला था। अमेरिकी सीनेट ने भी अपनी रिपोर्ट में इस बार माना है कि पाकिस्तान की ओर से आतंकी तत्वों को मिल रही मदद के कारण भारत अब सबक सिखाने की कार्रवाई करने की तैयारी में है। ब्रिक्स हो या जी-20 जैसे कोई भी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, भारत ने पाकिस्तान को हर जगह एक्सपोज किया है।

SAARC में भी अलग-थलग पड़ा पाकिस्तान
वर्ष 2016 में पाकिस्तान में होने वाले सार्क सम्मेलन में जब भारत ने शामिल नहीं होने की घोषणा की तो संगठन के अन्य कई देशों, जैसे – श्रीलंका, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल और अफगानिस्तान ने भी हिस्सा लेने से इनकार कर दिया। हालांकि पाकिस्तान ने अन्य देशों को बुलाने की कोशिश की लेकिन वो विफल रहा और अंत में सार्क सम्मेलन रद्द करने को मजबूर होना पड़ा। भारत का ये विरोध पाकिस्तान की आतंकवाद परस्त नीति के विरोध में थी।

कश्मीर समस्या कांग्रेस की देन! समाधान निकालने में जुटे हैं पीएम मोदी
मोदी सरकार की कश्मीर नीति के विरोध में कांग्रेस ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में एक वर्किंग ग्रुप तक बना डाला है। कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार के तीन साल में कश्मीर में शांति के लिए मनमोहन सरकार के प्रयास भी बेकार हो गए। लेकिन ये कौन नहीं जानता कि पंडित जवाहर लाल नेहरू की गलत नीतियों के चलते ही जम्मू-कश्मीर में संकट की नींव पड़ी। अपना उल्लू सीधा करने के लिए कांग्रेस हुर्रियत जैसे भ्रष्ट संगठनों को प्रश्रय देने में भी पीछे नहीं रही। कांग्रेस ने तो कश्मीर को अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बनाने की भी कोई कसर नहीं छोड़ी थी। आरोप तो यहां तक लगाए जा चुके हैं कि मनमोहन सरकार ने सियाचीन को भी पाकिस्तान के हवाले करने की साजिश रच डाली थी। यही कारण है कि जब जम्मू-कश्मीर के संकट का स्थाई समाधान निकलने की ओर है तो विपक्ष सरकार को घेरने के प्रयासों में जुटा है।

कश्मीर में बाढ़ पीड़ितों की मदद
सितंबर 2014 में कश्मीर में भयंकर बाढ़ आई। बारिश, बाढ़ और भू-स्खलन ने तबाही मचा रखी थी। सड़कें, पुल, घर, फसलें बुरी तरह तबाह हो गईं थीं। घाटी में कई स्थानों पर 30 से 40 फुट तक पानी जमा हो गया था। हाहाकार मच गया, लोगों की जान पर बन आई थी। बाढ़ के पहले दिन ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हवाई सर्वेक्षण किया किया और तुरंत धरती के स्वर्ग को बाढ़ के संकट से मुक्ति दिलाने का निर्णय किया। पीएम मोदी ने इस कार्य में सेना को लगा दिया और सेना ने देवदूत बनकर लगभग पांच लाख लोगों की जान बचाई।

सियाचिन में जवानों के साथ पीएम ने मनाई दीवाली
पीएम मोदी शायद दुनिया के पहले शासनाध्यक्ष होंगे, जिन्होंने अपने देश का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार जवानों के साथ मनाई हो। प्रधानमंत्री बनने के बाद अपनी पहली ही दीवाली में पीएम मोदी सियाचिन पहुंचे और जवानों के बीच मिठाइयां बांटीं। वो पीएम मोदी ही हैं जिन्होंने दुनिया के सबसे ऊंचे रणक्षेत्र में वीरों के साथ त्योहार मनाने का निर्णय लिया। पीएम मोदी के इस पहल ने जहां हमारी सशस्त्र सेना का मनोबल गौरव से ऊंचा कर दिया, वहीं जम्मू-कश्मीर की जनता भी पीएम को अपनी धरती पर देखकर गदगद हो उठी। इन सबके बीच प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान और उनके पिच्छलग्गुओं को भी स्पष्ट चेतावनी दी कि कश्मीर भारत के लिए मुकुट की तरह है, जिसपर तनिक आंच भी वो बर्दाश्त नहीं कर सकता।

सेना में भर्ती के लिए उमड़ रहे हैं कश्मीरी युवक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुरू से कोशिश की है कि जम्मू-कश्मीर के लिए विकास के रास्ते खुले रहें और उसमें कोई रुकावट न आए। इसके लिए पीएम मोदी कोई कदम उठाने से नहीं चूके। राज्य के विकास के लिए प्रधानमंत्री ने 80 हजार करोड़ रुपये का विशेष पैकेज भी दिया। जिसके तहत वहां तमाम विकास कार्य हो रहे हैं। सेना और सुरक्षा बलों में भर्ती के लिए विशेष अभियान चलाये जा रहे हैं। कश्मीर के युवक हजारों की संख्या में इन कैंपों में भर्ती के लिए आ रहे हैं। इसके अलावा खेल और शिक्षा की योजनाओं को मजबूती से लागू किया जा रहा है ताकि युवाओं के पास जीवन में आगे बढ़ने के लिए रास्तों की कमी न हो। इन सब बातों से स्पष्ट है कि कुछ मुट्ठी भर लोगों को छोड़कर कोई भी पाकिस्तान की बातों से गुमराह नहीं हो रहा है। यही वजह है कि पाकिस्तान परस्त हुर्रियत, कुछ पाकिस्तान परस्त नेता बौखलाए हुए हैं और मोदी सरकार की कश्मीर नीति के विरोध का रोना रो रहे हैं।

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