Home विपक्ष विशेष ‘गरीबों के मसीहा’ के कारनामों ने खोली ‘छद्म समाजवाद’ की पोल

‘गरीबों के मसीहा’ के कारनामों ने खोली ‘छद्म समाजवाद’ की पोल

लालू प्रसाद यादव की बेनामी संपत्ति के खुलासे पर रिपोर्ट

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गरीब-गुरबों के नाम पर राजनीति करके जिस तरह लालू प्रसाद ने अरबों रुपये की संपत्ति बनाई है वो ‘छद्म समाजवाद’ का एक घिनौना चेहरा दिखा रहा है। 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव का परिवार भी अब उनके किए ‘पाप’ का साझीदार है। एक के बाद एक बेनामी संपत्ति का खुलासा हो रहा है। अरबों रुपये की संपत्ति कहां से आई इसका कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है। बेटी मीसा भारती की बेनामी संपत्ति पर आयकर विभाग की दबिश बढ़ी ही थी कि उनकी मां राबड़ी देवी के भी बेनामी संपत्ति का खुलासा हो गया है। बिहार भाजपा के नेता सुशील कुमार मोदी ने आरोप लगाया है कि राबड़ी देवी पटना में 18 फ्लैट्स और 18 पार्किंग की मालकिन हैं। सुशील मोदी ने सवाल किया कि अपने आपको गरीबों का मसीहा कहने वाली राबड़ी देवी के पास ये फ्लैट कैसे और कहां से आए?

राबड़ी देवी पर क्या है आरोप?
बिहार बीजेपी के नेता सुशील मोदी ने कहा है कि बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी पटना में 18 फ्लैट्स की मालकिन हैं। इन फ्लैट्स की कीमत लगभग 20 करोड़ रुपये है। सुशील मोदी के अनुसार राबड़ी देवी पटना में 18 पार्किंग प्लेस की भी मालकिन हैं। राबड़ी देवी जिन 18 फ्लैट्स की मालकिन हैं उसका कुल एरिया 18,652 वर्ग फुट है।


जमीन के बदले दी नौकरी !
सुशील मोदी ने आरोप लगाया कि लालू यादव जब देश के रेल मंत्री थे तो राबड़ी देवी ने पटना में दो जगहों पर जमीन की रजिस्ट्री करवाई। सुशील मोदी का आरोप है कि राबड़ी देवी ने 3 ऐसे लोगों से जमीन लिखवाई जिनके परिवार के लोगों को रेलवे में नौकरी दी गई या फिर जिन्हें लालू यादव ने रेल मंत्री रहते हुए मदद किया।

50-50 के फॉर्मूले के तहत हुई डील
मोदी ने कहा कि राबड़ी देवी ने पटना के मौजा जलालपुर और मौजा शेखपुरा में जमीन लिखवाई है। सुशील मोदी के मुताबिक इन दोनों जमीन पर फरवरी 2011 में 36 फ्लैट बनाई गई, इसमें से 50 हिस्सा बिल्डर का था और बाकी 50 प्रतिशत हिस्सा राबड़ी देवी का था, इस तरह राबड़ी देवी 18 फ्लैट और 18 पार्किंग प्लेस की मालकिन हैं।

कमर्शियल कम्पलेक्स का हो रहा निर्माण
सुशील मोदी के मुताबिक दानापुर के मौजा सगुना में भी कांति सिंह की ओर से पहले लीज में फिर बाद में राबड़ी देवी को जमीन बेची गई। इस प्लॉट पर भी कमर्शियल कॉम्पलेक्स का निर्माण किया जा रहा है। सुशील मोदी का कहना है कि वे अगले एक या दो दिन में इन जमीनों से जुड़े दस्तावेजों को आयकर विभाग में जमा करवाएंगे।

लालू एंड फैमिली की बेनामी संपत्ति अटैच
आयकर विभाग ने आरलालू यादव के परिवार की दिल्ली से लेकर बिहार तक की प्रापर्टी को अटैच करने आदेश दिए हैं। इसके लिए बाकायदा दिल्ली, पटना और दानापुर के रजिस्ट्रार को चिट्टी लिखकर लालू परिवार से जुड़ी चार संपत्तियों को अटैच करने लिए कहा है। आयकर विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 12 प्लाटों को अटैच किया है। ये प्लाट मीसा भारती, उनके पति शैलेश कुमार, बहन रागिनी चंदा, बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के साथ ही बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के नाम पर हैं। ये चार संपत्तियां है पटना के दानापुर का लारा मॉल प्रोजेक्ट, दिल्ली के बिजवासन का फार्म हाउस, दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में मौजूद घर और पटना की एक और प्रॉपर्टी को भी अटैच किया गया है। आयकर विभाग ने सभी के खिलाफ केस भी दर्ज किया है। आयकर विभाग ने चैप्टर 4 के तहत नोटिस भी जारी किया है।

कालेधन को सफेेद करने के आरोपों से घिरे लालू
लालू प्रसाद और उनके परिवार ने बिहार में 15 वर्षों तक एकछत्र राज किया। लालू प्रसाद का कार्यकाल बिहार में लूट-खसोट का कार्यकाल कहा जाता है। हाईकोर्ट ने खराब कानून-व्यवस्था का हवाला देकर जंगलराज भी कहा था। चारा घोटाला से तो सभी वाकिफ हैं… उनके कार्यकाल में अपरहण उद्योग भी चरम पर था। इन सबसे कमाई हुई दौलत का अब रोज खुलासा हो रहा है। लालू प्रसाद के दोनों बेटे तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव अभी बिहार में मंत्री हैं और बेटी मीसा भारती राज्यसभा में सांसद हैं। लेकिन केंद्र के बेनामी संपत्ति से संबंधित नये कानून के तहत लालू एंड फैमिला का कच्चा चिट्ठा खुलता जा रहा है। आलम यह है कि लालू के परिवार को उपहारों के नाम पर लाखों-करोड़ों की संपत्ति मिलने का सिलसिला थम नहीं रहा है। दरअसल ये खेल है कालाधन को सफेद करने का।

राबड़ी को नौकर ने मुफ्त में दे दी लाखों की जमीन !
बिहार बीजेपी के नेता और राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने आरोप लगाए हैं कि राबड़ी के एक नौकर ने जनवरी, 2014 में उन्हें पटना के सगुना मोड़ में 1,088 वर्ग फीट की एक जमीन मुफ्त में दी, जिसकी कीमत तब करीब 31 लाख रुपये थी। चौंकाने वाली बात ये है कि ललन चौधरी नाम के राबड़ी के उस नौकर ने मार्च, 2009 में वो जमीन मकान के साथ सिर्फ 3.90 लाख रुपये में खरीदी थी। 5 साल में ही उसकी कीमत जब 10 गुना बढ़ गई, तो उसने राबड़ी देवी को इसीलिए दे दिया क्योंकि उन्होंने ललन को समय-समय पर आर्थिक और बाकी तरहों से मदद की थी। सवाल यही उठ रहा है कि आखिर राबड़ी ने ऐसी कौन सी मदद की थी कि उसने लाखों की जमीन यूं हीं दे दी ?

नौकर से पहले यूपीए के मंत्रियों ने भी मुफ्त में दी थी जमीन 
लालू यादव पर आरोप है कि यूपीए- 1 के दौरान उन्होंने मनमोहन सरकार में मंत्री बनवाने के एवज में जमीन का सौदा किया था। लालू से जिन लोगों से जमीन लेकर मंत्री बनवाने का आरोप है वो हैं रघुनाथ झा और कांति सिंह। ये दोनों मनमोहन सरकार में मंत्री रह चुके हैं। दोनों नेताओं ने माना भी है कि उन्होंने लालू यादव के परिवार को जमीनें दी हैं। लेकिन वो ये कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं कि वो सब मंत्री के लिए रिश्वत के तौर पर दिया गया था। उनका कहना है कि उन्होंने लालू को गिफ्ट में जमीन दी है। ये मामला इसीलिए और भी गंभीर हो जाता है कि केंद्र में मंत्री बनाने का अघिकार संविधान ने प्रधानमंत्री को दिया है, लेकिन मनमोहन सरकार ने कुर्सी बचाने के लिए लालू जैसे भ्रष्ट नेताओं के सामने भी सरेंडर कर रखा था। कुल मिलाकर लालू ने ऐसा तरीका निकाल था जिससे कालाधन भी सफेद हो रहा था और अपनी पसंद की जमीन के मालिक भी बन रहे थे।

मॉल और मिट्टी घोटाला का भी आरोप
लालू यादव पर पटना में सबसे बड़ा मॉल बनवाने के लिए परिवार के नाम पर 200 करोड़ की जमीन भी भ्रष्ट तरीके से हड़पने का आरोप लग चुका है। आरोपों के अनुसार पटना में सगुना मोड़ के पास बन रहे सबसे बड़े मॉल का मालिकाना हक लालू के परिवार के पास है। ये जमीन लालू ने रेलमंत्री रहते हुए रांची और पुरी में एक व्यवसायी को रेलवे के दो होटल लीज पर देने के एवज में गैर-कानूनी तरीके से हथियाई है। जिस कंपनी के नाम जमीन का मालिकाना हक है उसके डायरेक्टर लालू के बेटे और बेटियां हैं। लालू यादव और उनके परिवार पर पटना में 80 लाख रुपये के मिट्टी घोटाले का भी आरोप लगा है। इसके अनुसार लालू के दबाव में पटना के चिड़िया घर को लालू की उसी प्रॉपर्टी से निकली मिट्टी जबरन बेची गई, जिसपर मॉल बन रहा है। लेकिन सारे दस्तावेज होने के बावजूद नीतीश सरकार में एक्शन लेने की हिम्मत नहीं है। यानि पहले जमीन घोटाला किया और फिर घोटाले वाली जमीन से निकली मिट्टी से भी घोटाला कर लिया।

कई जमीन घोटाले को दबा गए लालू
लालू प्रसाद यादव जब रेल मंत्री थे तब उनपर लोगों से जमीन के बदले नौकरी देने का आरोप लगा था। ग्रुप सी और डी की कई नौकरियां रेवड़ियों की तरह बांटी गई थी, लेकिन तत्कालीन यूपीए सरकार ने आंखें मूंद रखीं थी। लालू एंड परिवार पर इसके साथ ही कई जमीन गलत कागजात के आधार पर खरीदने का आरोप है। करोड़ों रुपये की इन जमीनों की खरीद की जांच करवाने से बिहार सरकार मुंह चुरा रही है।

औरंगाबाद में भी लालू के बेटे के नाम पर जमीन
लालू यादव के बड़े बेटे और अब बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव पर शेयर की जानकारी छिपाने का आरोप है। 2010 में लारा डिस्ट्रीब्यूटर्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से 45 डेसि‍मल जमीन, 53.34 लाख रुपये में खरीदी और इस जमीन पर एक मोटरसाइकिल कंपनी का शोरूम भी शुरू किया गया। इस शोरूम को शुरू करने के लिए 2.29 करोड़ रुपये कर्ज लिए गए, तब तेजप्रताप इस कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर थे। हालांकि 2015 में विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद तेजप्रताप यादव ने इस कंपनी के प्रबंध निदेशक के पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन चुनाव आयोग को दिए गए ब्योरे में तेजप्रताप यादव ने न अपने शेयर की जानकारी दी और न कर्ज का कोई उल्लेख किया।

मवेशियों का 950 करोड़ का चारा खा गए लालू
90 के दशक में जब लालू प्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने बिहार की जनता के खून पसीने की कमाई लूट ली। 950 करोड़ चारा घोटाला के नाम से मशहूर इस स्कैम का डायरेक्ट कनेक्शन लालू प्रसाद से निकला और अदालत ने उन्हें सजा भी सुनाई है। सजायाफ्ता लालू प्रसाद चुनाव तो नहीं लड़ सकते, लेकिन बिहार की नीतीश सरकार के फैसले में उन्हीं की मनमानी चलती है और नीतीश तो अब रबर स्टांप की भूमिका में नजर आने लगे हैं।

देश में अगर भ्रष्ट नेताओं का जिक्र हो तो लालू यादव का नाम जुबान पर सबसे पहले आ जाता है। चारा घोटाले के एक केस में लालू को सजा मिली हुई है। कानूनी पेचीदगियों का लाभ उठाकर वो अभी जमानत पर घूम रहे हैं। अभी चारा घोटाले से जुड़े कई और मामलों की सुनवाई होनी है। लेकिन भी फिर भी उनके घोटालों के खुलासे का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। अगर बाकी मामलों में भी उन्हें सजा मिल जाए तो उन्हें के लिए पूरी उम्र जेल से निकलना मुश्किल हो जाएगा। लेकिन अब लालू के भ्रष्टाचार की  विरासत उनके बच्चों ने भी संभाल लिया है। बड़ा सवाल है कि भारत की कानूनी प्रक्रिया में इनके करतूतों की उचित सजा मिल पाएगी ?

 

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