Home पोल खोल केजरीवाल की ‘कूड़ा’ राजनीति और उनकी ‘कर्मपत्री’

केजरीवाल की ‘कूड़ा’ राजनीति और उनकी ‘कर्मपत्री’

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दिल्ली की जनता की दरियादिली से आम आदमी पार्टी 2013 और 2015 में सत्ता में आई, लेकिन इन्होंने दिल्ली की जनता को दगा दिया। इनकी सरकार की कर्मपत्री खंगालिए तो पता चलेगा कि इन्होंने दिल्ली को कैसे कूड़ा घर बना डाला। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल बयानों की तरह उनके इस वादे में भी सुर्खियां बटोरने का पूरा दम तो है, लेकिन मतदाताओं का क्या मन है, ये तो राजौरी गार्डन के नतीजे से साफ पता चल रहा है। दिल्ली की जनता ने AAP की जमानत जब्त करवाई और तीन नंबरी पार्टी बना दिया। जाहिर है ये गुस्सा बीते दो सालों में दिल्ली की जनता से किए वादे पूरे नहीं करने का है। ये गुस्सा झूठ और फरेब की राजनीति को आइना दिखाने का है। ये गुस्सा दो सालों में दिल्ली को ‘कूड़ा’ घर बना देने का है।

केजरीवाल की चुनावी चाल, एमसीडी में हड़ताल ही हड़ताल
सालाना करीब 33 हजार करोड़ रुपये के बजट वाले एमसीडी चुनाव को आम आदमी पार्टी हर हाल में जीतना चाहती है। इसके लिए AAP ने 2015 में सत्ता संभालने के बाद से ही चुनावी चाल चलनी शुरू कर दी थी। पहले नगर निगमों के कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने के लिए यह कहकर मजबूर किया कि सरकार के पास बकाया सैलरी देने के लिए पैसे नहीं हैं। फिर केन्द्र सरकार पर आरोप लगाया कि वो पैसे नहीं दे रही है। हो-हल्ला होता रहा, दिल्ली कूड़ा घर बनता रहा, फिर नगर निगमों को जनता में पूरी तरह बदनाम करने के बाद अपने ही खजाने से बकाया सैलरी दे दिया। नगर निगमों में आप की सरकार आने के बाद से हर साल हड़ताल हुई और केजरीवाल ने राज्य सरकार के फंड से एमसीडी कर्मियों को सैलरी रिलीज की। यानी केंद्र सरकार पर उनका आरोप झूठा था। जाहिर है केजरीवाल ने दिल्ली की जनता के साथ दगा किया। बार-बार दिल्ली को कूड़े के ढेर में तब्दील किया। यानी सत्ता के लिए केजरीवाल ने कूड़े पर भी राजनीति करनी नहीं छोड़ी।

साजिश के तहत करवाई हड़ताल
एमसीडी चुनाव से ठीक पहले पूर्वी नगर निगम के 17 हजार कर्माचारियों की सैलरी रोक दी। कर्माचारियों के बार-बार गुहार के बाद जब सैलरी नहीं दी तो 5 जनवरी, 2017 को सभी कर्मी हड़ताल पर जाने को मजबूर हो गए। ये हड़ताल तब खत्म हुई जब केजरीवाल ने 119 करोड़ रुपये बकाया सैलरी देने के लिए दिये।

डेढ़ लाख कर्मियों को किया बेहाल
दिल्ली के तीनों नगर निगम के कर्मचारियों के करीब डेढ़ लाख कर्मियों का वेतन रोक दिया। कर्मचारी दिल्ली सरकार से सैलरी देने की अपील करते रहे, लेकिन केजरीवाल की हठधर्मी की वजह से 27 जनवरी, 2016 को सभी कर्मचारी हड़ताल पर चले गए। दिल्ली की जनता त्राहि-त्राहि कर रही थी लेकिन केजरीवाल इसे अनसुना करते हुए केंद्र पर आरोप लगाते रहे। ये हड़ताल खत्म हुई जब केजरीवाल ने दबाये हुए 550 करोड़ रुपये नगर निगमों को बकाया सैलरी देने के लिए दिया।

पूर्वी और उत्तरी निगमों में हड़ताल
दिल्ली में जबरदस्त जीत हासिल करने के बाद आम आदमी पार्टी की सरकार यहां मनमानी करना चाहती थी। इसी मुगालते में उन्होंने पूर्वी और उत्तरी नगर निगमों के 60 हजार कर्मियों की सैलरी रोक दी। कर्मियों ने जब केजरीवाल से कारण पूछा तो आरोप केंद्र सरकार पर मढ़ दिया। थक हार कर सभी कर्मी 2 जून, 2015 से हड़ताल पर जाने को मजबूर हो गए। जून 2015 की हड़ताल तब खत्म हुई जब दिल्ली उच्च न्यायलय ने दिल्ली की केजरीवाल सरकार को बकाया सैलरी देने के लिए पूर्वी नगर निगम को 180 करोड़ रुपये और उत्तरी नगरनिगम को 333 करोड़ रुपये देने के आदेश दिए।

जाहिर है दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने हर हड़ताल में सोची समझी साजिश के तहत इस पूरे वाकये में केंद्र सरकार को घसीटा, एमसीडी को बदनाम किया और फिर सैलरी रिलीज कर दी। लेकिन दिल्ली की जनता ने केजरीवाल की इस चाल को समझ लिया है। राजौरी गार्डन उपचुनाव का नतीजा तो यही कुछ कहता है।

वादे तेरे वादे
दिल्ली के मुख्यमंत्री आम लोगों के बीच गजब आत्मविश्वास के साथ इस तरह के हवा हवाई वादे करते हैं। लेकिन बड़ा सवाल ये कि क्या आम आदमी पार्टी की सरकार ने 2013 और 2015 में दिल्ली की जनता से किए गए वादों को पूरा किया है?

अनाधिकृत कॉलोनियों को अपने हाल पर छोड़ा
चुनावी घोषणापत्र में आम आदमी पार्टी ने वादा किया था कि वह दिल्ली में अनाधिकृत कालोनियों को नियमित करेगी और वहां रहने वालों को जमीन का मालिकाना हक दिया जाएगा। लेकिन सरकार को बने दो साल हो गए हैं अभी तक कुछ नहीं हुआ। 50 लाख लोगों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया है। झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले 20 लाख लोगों का भी यही हाल है। यही नहीं इन इलाकों में बुनियादी सुविधाओं की हालत बदतरीन है।

फ्री वाईफाई और मार्शल का वादा अधूरा
फ्री वाई-फाई, सेफ्टी के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाने, बसों में मार्शल तैनात कर महिलाओं को सुरक्षा देने, सार्वजनिक परिवहन के बेहतर बनाने, 500 बिस्तरों वाला अस्पताल खोलने जैसे वादे भी पूरे नहीं किए गए।

बहरहाल दिल्ली की जनता ने इन्हें सबक तो सिखा दिया है लेकिन सीएम केजरीवाल दिल्ली वासियों के सामने वादों की फेहरिस्त लेकर जनता के दर पर खड़े हैं। अब तो वे एमसीडी कर्मियों को भी हर महीने की सात तारीख को सैलरी देने का वादा कर रहे हैं। जाहिर है वे एमसीडी चुनाव को हर हाल में जीतना चाहते हैं, लेकिन बड़ा सवाल ये कि क्या दिल्ली की जनता केजरीवाल की ‘कूड़ा’ राजनीति को एक बार फिर स्वीकार करेगी।

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