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किस मिट्टी के बने हैं केजरीवाल ? वोट की भी गंध लग जाती है!

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दिल्ली से सटे नोएडा की एक आपराधिक घटना को आम आदमी पार्टी सांप्रदायिक रंग देने की कोशिशों में जुट गई है। घटना एक हाउसिंग सोसाइटी में एक मेड के परिजनों की बुलाई भीड़ और वहां के निवासियों के बीच की है। जिसने दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के कूदने से सियासी मोड़ ले लिया है। मालीवाल की हरकत से एकबार फिर साफ हो गया है कि लगातार कई चुनावों में मिट्टी पलीद होने के बाद केजरीवाल की पार्टी ने फिर से पुराने हथकंडों को अपनाना शुरू कर दिया है।

क्या है मामला ?
घटना नोएडा के सेक्टर 78 के एक हाउसिंग सोसाइटी की है। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार यहां फ्लैट्स में काम करने वाली एक मेड के परिजनों की अगुवाई में लगभग 300 लोगों की हिंसक भीड़ ने सोसाइटी पर हमला कर दिया। उन्हें शक था कि जोहरा नाम की एक मेड को एक फ्लैट मालिक ने चोरी का आरोप लगाकर बंधक बना लिया है। हमलावर हिंसा पर इस तरह उतारू थे कि उन्होंने गार्ड्स पर डंडे बरसाते हुए पूरी सोसाइटी को तहस-नहस कर दिया। आखिरकार उन्होंने उस ग्राउंड फ्लोर की फ्लैट पर धावा बोल दिया जिसमें जोहरा को बंधक बनाए जाने का शक था। फ्लैट मालिक ने किसी तरह वॉशरूम में छिपकर अपनी पत्नी और 7 साल के बच्चे की जान बचाई। तीन घंटे के कोहराम के बाद पुलिस पहुंची। उसके बाद उन तीनों को सुरक्षित घर से निकाला गया। इसके बाद छानबीन से पता चला कि जोहरा दूसरी बिल्डिंग की 25वीं मंजिल पर किसी बुजुर्ग महिला के घर में सो रही थी। रिपोर्ट्स के अनुसार जोहरा ने फ्लैट मालिक के सामने उनके घर से 10 हजार रुपये चुराने की बात भी कबूल ली थी। इस मामले में पुलिस शिकायत भी दर्ज कराई गई है।

मालीवाल ने टांग क्यों अड़ाया ?
नोएडा, दिल्ली महिला आयोग के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। तब सवाल उठता है कि स्वाति मालीवाल किस हैसियत से इस मामले में दखल देने पहुंच गईं। जबकि इस मामले में पुलिस ने आपराधिक मुकदमा दर्ज किया है। बड़ी बात ये है कि पूरी घटना से लगता है कि मेड के परिजनों ने तथ्यों की छानबीन किए बिना फ्लैट मालिकों और उनके बच्चे की जान को जोखिम में डाला दिया। ये बात भी सामने आ चुकी है कि जोहरा को किसी ने बंधक नहीं बनाया था और वो निश्चिंत से दूसरे फ्लैट में सो रही थी। लेकिन मालीवाल एक तरफा जोहरा की वकालत करने में जुटी हैं। उनकी दलील है कि वो मानवीयता के नाते जोहरा की मदद करना चाहती हैं। जबकि प्राथमिक दृष्टि में इस घटना में फ्लैट मालिक ही पीड़ित नजर आते हैं। रही बात महिला होने की तो तीन घंटे तक पति और बेटे के साथ जिंदगी के लिए संघर्ष करते हुए फ्लैट मालकिन पर क्या गुजरी होगी ये भी सोचने वाली बात है। अगर मालीवाल में सही में मानवीयता बची है, तो उन्हें फ्लैट मालिकों का भी ख्याल पूछना चाहिए, जो फिलहाल दूसरी जगह रहने को मजबूर हुए हैं।

केजरीवाल को वोट की गंध लगती है!
स्वाति मालीवाल आम आदमी पार्टी से ताल्लुक रखती हैं। वो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की भी खासम खास मानी जाती हैं। जाहिर है कि वो अगर दूसरे के फटे में टांग डालने पहुंची हैं, तो उन्हें इशारा केजरीवाल से ही मिला होगा। क्योंकि उनके इशारे पर पार्टी में पत्ता भी हिलना नामुमकिन है। रही बात केजरीवाल की, तो उनका व्यक्तित्व ही अजीब है। मामला उनके अधिकार क्षेत्र में हो या न हो, वोट की गंध सूंघ कर वो कहीं भी पहुंच सकते हैं।

सांप्रदायिक रंग देना चाहते हैं केजरीवाल ?
नोएडा की उस आरोपी मेड के प्रति आम आदमी पार्टी की सहानुभूति यूं ही नहीं है। जोहरा, ये नाम सुनकर ही पार्टी नेतृत्व का सियासी लाड़ टपकने लगा है। बस उस नाम में ही वो सारी ताकत है जिसके बहाने दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल खुद को मानवता की देवी बनाने की कोशिश कर रही हैं। इसके उलट उनकी पार्टी को उस महिला और उसके मासूम बच्चे से कोई लेना-देना नहीं जिन्हें समाज के आपराधिक तत्वों की वजह से तीन घंटे तक वॉशरूम में छिपकर अपनी जान बचानी पड़ी। यही नहीं उनके भय का तो ये आलम है कि फिलहाल उन्हें अपना ही घर छोड़ कर जाने को मजबूर होना पड़ा है।

वोट के लिए कितना नीचे गिरेंगे केजरीवाल ?
केजरीवाल अबतक लाशों की राजनीति करते आए हैं। दादरी की घटना हो या OROP के नाम पर आंदोलन कर रहे एक पूर्व सैनिक की खुदकुशी की। केजरीवाल ने सबको तूल देकर राजनीतिक रोटियां सेकीं हैं। एक बार तो उनके सामने ही उनके ही कार्यक्रम में एक व्यक्ति फांसी तक से झूल चुका है। लेकिन केजरीवाली की वोट की भूख शांत नहीं हुई है।

अबकी बार वो एक निहायत ही आपराधिक मामले का साथ देकर समाज विरोधियों का साथ दे रहे हैं। हिंसक भीड़ ने नोएडा की उस सोसाइटी को जिस तरह से निशाना बनाया उससे आशंका है कि उसमें कुछ असामाजिक तत्व भी शामिल रहे होंगे। इस घटना के बाद से इलाके में आसपास की सोसाइटी के लाखों लोगों में भय का माहौल है। लेकिन केजरीवाल को इन सबसे क्या लेना-देना। वो अपनी आदत नहीं बदलेंगे। वो समाज और देश को तोड़ने की अपनी नीति पर चलते ही रहेंगे।

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