Home समाचार केजरीवाल सरकार – वो सवाल उठाते रहे, हम गुलछर्रे उड़ाते रहे

केजरीवाल सरकार – वो सवाल उठाते रहे, हम गुलछर्रे उड़ाते रहे

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कभी गाड़ी-बंगला का विरोध कर सत्ता में आई पार्टी क्या अब खुद सत्ता के मोह में फंस गई है? कभी नैतिकता को राजनीतिक शुचिता का आधार बनाने वाले नेता अब ऐशो आराम के लिए अनैतिक काम करने लगे हैं? कभी भ्रष्टाचार के खिलाफ कानून का राज लागू करने की बात करने वाले लोग क्या अब खुलेआम कानून की धज्जियां उड़ाने से भी बाज नहीं आते?

ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि देश की सत्ता पर आर्थिक निगरानी रखने वाली संवैधानिक संस्था सीएजी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर सनसनीखेज सवाल उठाए हैं। ये सवाल ऐसे हैं जिसके बाद  आम आदमी का इस देश की राजनीतिक मर्यादा से विश्वास उठ जाएगा।  आइये सीएजी के उठाए गए सवालों के बहाने केजरीवाल की पूरी कैबिनेट के आचरण का पोस्टमॉर्टम करते हैं।

सीएजी ने केजरीवाल सरकार के मंत्रियों के विदेश दौरे पर उठाए हैं सवाल, पूछा है मकसद।

AAP सरकार से CAG ने पूछे चार सवाल

-क्या था यात्रा का मकसद?

-सरकारी खजाने पर कितना असर पड़ा?

-गवर्नेंस और विकास की कसौटी पर कितनी खरी रही यात्रा?

-क्या एलजी की इजाजत से हुई यात्रा?

सीएजी को इन सवालों के जवाब मिल पाते हैं या नहीं, ये देखना दिलचस्प होगा। आम तौर पर आप नेता ऐसे सवालों के जवाब में दूसरों की ओर उंगलियां उठाते रहते हैं कि उनसे क्यों नहीं पूछा, कि उनसे क्यो नहीं सवाल किए।

डेढ़ साल में 10 विदेशी दौरे, सिसौदिया सबसे आगे

आप सरकार अब दो साल पूरा करने जा रही है लेकिन शुरुआती 18 महीने में ही मंत्रियों ने 10 विदेशी दौरे कर लिए। डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया ने अकेले 6 देशों की यात्राएं की हैं। हर तीसरे महीने एक विदेश दौरा। इन यात्राओं पर सिसौदिया ने 30 लाख 73 हजार रुपये खर्च किए।

1. सेमिनार 1 दिन 1 देश में, घूमे 5 दिन 5 जगह- सिसौदिया एथेंस, फिनलैंड और साओ पॉलो की यात्रा की। साओ पॉलो में एकदिवसीय सेमिनार के लिए सिसौदिया ने 11 अगस्त से 15 अगस्त 2015 तक विदेश में रहे। सम्मेलन से दो दिन पहले ब्राजील के रियो डि जेनेरियो गये। सम्मेलन के बाद दो दिन इग्वाजूजू फॉल्स घूमने अर्जेंटीना गये।

2. डेंगू चिकनगुनिया की चपेट में थी दिल्ली, टूर पर थी AAP सरकार
जब दिल्ली डेंगू की चपेट में था, लोग मर रहे थे तब डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया 11 सितंबर से 17 सितंबर तक फिनलैंड में थे।

3. बर्लिन से एम्सटर्डम और पेरिस भी पहुंच गये सिसोदिया- दिल्ली में न सीएम थे, दूसरे मंत्री और सिसौदिया ने भी अपना विदेश दौरा बढ़ा लिया। सिसौदिया जर्मन हैबिटेट फोरम अटेंड करने के लिए बर्लिन गये लेकिन अपने दौरे को एम्सटर्डम और पेरिस तक कर लिया।

4. तब दो मंत्रियों के भरोसे थी दिल्ली- न सीएम, न डिप्टी सीएम- वास्तव में दो मंत्रियों को छोड़कर पूरी कैबिनेट ही शहर से बाहर थी जब राजधानी डेंगू और चिकनगुनिया की चपेट में था। मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल समेत तीन मंत्री दिल्ली से बाहर थे, तो एक मंत्री धार्मिक यात्रा पर विदेश गये हुए थे। केजरीवाल अपने सहयोगी मंत्री सत्येंद्र जैन के साथ रोम में थे, लौटते ही पंजाब में खूंटा गाड़ लिया और लौटकर एक दिन बाद फिर गले के इलाज के लिए बैंगलुरू निकल गये, जबकि सत्येंद्र जैन गोवा पहुंच गये।

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन एलजी नजीब जंग ने राज्य सरकार से मंत्रियों, उनके स्टाफ और दूसरे अफसरों के विदेश दौरे के बारे में जानकारी मांगी थी। सिसौदिया के लौटने के बाद इस मामले की जांच हुई।

5. साल में तीन बार विदेश गये सत्येंद्र जैन- सत्येंद्र जैन ने एक साल में तीन बार विदेश का दौरा किया जिस पर 19 लाख का खर्च आया। मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के साथ 3 सितंबर से 5 सितंबर 2016 के बीच भी सत्येंद्र जैन थे जब मदर टेरेसा को संत की उपाधि दी जा रही थी। इस यात्रा पर 13.5 लाख का खर्च आया।

अक्टूबर 2015 में आप का 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल स्वीडन गया जिसमें गोपाल राय और सत्येंद्र जैन भी थे। दिल्ली डायलॉग कमीशन के अध्यक्ष आशीष खेतान मार्च 2016 में इंग्लैंड के मैनचेस्टर गये।

आप सरकार के विज्ञापनों पर भी सवाल उठा चुकी है CAG

प्रधानमंत्री से अपील करता दिल्ली सरकार का विवादास्पद विज्ञापन। फाइल फोटो।

सीएजी ने सरकारी विज्ञापनों पर गलत खर्च के साथ-साथ मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का नाम चमकाने, सरकारी खर्च पर पार्टी और चुनाव चिन्ह का प्रचार करने, दिल्ली सरकार का पैसा दिल्ली से बाहर खर्च करने समेत कई सवाल उठाए हैं। इन सवालों का कभी केजरीवाल सरकार ने जवाब नहीं दिया।

1. एक ही विज्ञापन अभियान पर 33.4 करोड़ खर्च- सीएजी ने पिछले साल आम आदमी पार्टी सरकार पर एक ही विज्ञापन अभियान पर 33.4 करोड़ रुपये खर्च करने पर भी सवाल उठाए थे। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में फरवरी 14,15, 16 और 17 को 26 राष्ट्रीय अखबार, 14 राज्यों के 37 क्षेत्रीय अखबारों समेत 89 टीवी चैनलों पर प्रसारित 9 टीवी क्लिप्स और एफ एम चैनलों पर 7 रेडियो चैनलों पर खर्च पर भी सवाल उठाए।

2. विज्ञापन का 85 फीसदी दिल्ली से बाहर हुए खर्च- सवाल इस बात पर भी था कि अभियान का 85 फीसदी हिस्सा दिल्ली के बाहर खर्च किया गया। 33.4 करोड़ में से 28 करोड़ दिल्ली से बाहर खर्च किए गये।

3. सरकार की उपलब्धियों को ‘केजरीवाल की उपलब्धि’ बताने पर आपत्ति- सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में पिछले साल पाया था कि अरविन्द केजरीवाल सरकार ने कई दावे ऐसे किए जो गलत पाए गये। रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि राज्य सरकार की कई उपलब्धियों को मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के व्यक्तिगत प्रयासों का परिणाम बताया गया।

4. 526 के बजाए महज 100 करोड़ का सरकार दे सकी हिसाब- सीएजी ने यह भी कहा कि आप सरकार महज 100 करोड़ रुपये का हिसाब दे सकी जबकि 526 करोड़ रुपये खर्च किए गये।

5. केंद्र पर दोष मढ़ने के लिए केजरीवाल सरकार ने 70 लाख खर्च किए- 70 लाख रुपये उन विज्ञापनों पर खर्च किए गये जिनमें कानून-व्यवस्था की बिगड़ती हालत के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया गया।

CAG ने केजरीवाल के दावों पर भी उठाए थे सवाल’

विकासपुरी-मीराबाग एलिवेटेड पुल 4 महीने ही टेढ़ा हो गया, CM का दावा था- 100 करोड़ बचाने का।

1. केजरीवाल ने अधूरे पुल को बताया पूरा- CAG ने मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के उस दावे को भी झूठा बताया जिसमें तीन पुलों का निर्माण समय से पहले पूरा कर लेने और आवंटित 350 करोड़ रुपये कम खर्च किया गया। सीएजी ने कहा कि पुलों पर अभी काफी काम होना बाकी है।

मधुबन चौक से मुकरबा तक बने फ्लाईओवर में दरार, सीएम केजरीवाल ने किया था उद्घाटन।

2. सस्ती डिस्पेंसरी बनाने के भी नहीं मिले सबूत- 20 लाख रुपये में डिस्पेंसरी बनवा देने का भी कोई सबूत सीएजी को नहीं मिला जिस बारे में आप सरकार ने विज्ञापनों में दावे किए थे। पिछली सरकारें इस पर 5 करोड़ रुपये खर्च किया करती थी.

विज्ञापन के नाम पर सार्वजनिक धन का दुरुपयोग

सरकार के एक साल पूरे होने पर दिल्ली सरकार की ओर से 18.47 करोड़ रुपये खर्च करने को सीएजी ने ‘अन्यायपूर्ण’, ‘अनियमितता’ और सार्वजनिक धन का ‘दुरुपयोग’ बताया।

1. सरकारी विज्ञापनों में पार्टी व चुनाव चिन्ह का प्रयोग गलत- सरकारी विज्ञापनों में AAP का नाम और चुनाव चिन्ह के प्रयोग को भी सीएजी ने गलत ठहराया।

2. सरकार मतलब ‘केजरीवाल सरकार’ नहीं- सरकार के बदले ‘केजरीवाल सरकार’ का इस्तेमाल करने को भी सीएजी ने गलत ठहराया। सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देश के हवाले से सीएजी ने कहा कि नेताओं का नाम चमकाने के लिए सरकारी विज्ञापनों का उपयोग नहीं किया जा सकता।

भ्रष्टाचार का विरोध करने के नाम पर जो पार्टी व्यवस्था बदलने उतरी थी, उनके नेता अब मुंह छिपाते फिर रहे हैं। जो सवाल उठ रहे हैं उनका जवाब देना उनके लिए मुश्किल हो रहा है, इसलिए दूसरों पर सवाल दाग रहे हैं। इसी सीएजी की रिपोर्ट पर मनमोहन और शीला सरकार पर सवाल उठाते रहे अरविन्द केजरीवाल और उनकी पार्टी क्या आज प्रेस कान्फ्रेन्स करेगी, सवालों के जवाब देगी?

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