दिल्ली-एनसीआर के लोग जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं। आलम यह है कि लोगों के लिए घर से निकलना मुश्किल हो गया है। इस मुद्दे को लेकर दिल्ली सरकार भले ही पड़ोसी राज्यों को जिम्मेदार ठहरा रही है लेकिन हकीकत यह है कि दिल्ली को “गैस चैम्बर” बनाने के लिए अरविंद केजरीवाल की सरकार जिम्मेदार है।
RTI में हुआ खुलासा
एक RTI में खुलासा हुआ है कि केजरीवाल सरकार ने पिछले कई वर्षों में ग्रीन टैक्स के तहत एकत्रित किए गए अधिकतर धन राशि को खर्च नहीं किया है। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार ने पर्यावरणीय समस्याओं को कम करने के लिए एकत्र किए गए धन का लगभग 20 फीसदी ही खर्च किया।
टाइम्स नाउ के हवाले से ऑप इंडिया ने खबर दी है कि दिल्ली सरकार ने साल 2015 में कुल ₹1174.67 करोड़ का ग्रीन टैक्स जमा किया था, जिसमें से केवल ₹272.51 करोड़ ही खर्च किए गए। इस ₹272 करोड़ में से ₹265 करोड़ सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर खर्च किए गए।दिल्ली सरकार ने सड़कों की मरम्मत के लिए ग्रीन फंड के कुछ करोड़ रुपए ही खर्च किए।
ग्रीन टैक्स की राशि खर्च करने में नाकाम
RTI के जवाब में कहा गया है कि दिल्ली-मेरठ रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम पर ₹265 करोड़ खर्च किए गए। इसका मतलब यह है कि दिल्ली सरकार द्वारा ग्रीन टैक्स के रूप में एकत्र किए गए फंड में ₹902 करोड़ की बड़ी राशि का इस्तेमाल नहीं किया गया है। यह भारी भरकम रकम का 77 फीसदी है।
ग्रीन टैक्स की राशि खर्च करने में पहले भी असफल
ऑप इंडिया की खबर के अनुसार यह पहली बार नहीं है जब RTI के जवाब से पता चला है कि दिल्ली सरकार किस तरह से इकट्ठा किए गए ग्रीन टैक्स को खर्च करने में असफल रही है। 2017 में इसी तरह की एक और RTI के जवाब से पता चला था कि ₹787 करोड़ ग्रीन टैक्ट जमा किए गए थे, जिसमें से केवल ₹93 लाख खर्च किए गए थे। यह राशि टोल प्लाजा पर रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन सिस्टम के लिए दस्तावेज तैयार करने पर खर्च की गई थी।
इलेक्ट्रिक बस सेवा का वायदा खोखला
2017 में दिल्ली सरकार ने यह भी कहा था कि 500 इलेक्ट्रिक बसों को खरीदने के लिए अप्रयुक्त राशि का उपयोग किया जाएगा। इस साल मार्च में केजरीवाल सरकार ने 1000 इलेक्ट्रिक बसों की खरीद को मंजूरी दी थी, लेकिन अभी तक राजधानी में इलेक्ट्रिक बस सेवाएं शुरू नहीं हुई हैं।
प्रदूषण पर पीएम मोदी ने की बैठक
दिल्ली समेत उत्तर भारत के प्रदूषण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को एक बैठक की। इस बैठक के दौरान पीएम मोदी ने प्रदूषण रोकने के लिए किए गए उपायों की समीक्षा की। इसके साथ ही पीएम मोदी गुजरात में आने वाले साइक्लोन ‘महा’ की तैयारियों की भी समीक्षा की। इस बैठक में प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव के साथ कई सीनियर अधिकारी मौजूद रहे। प्रदूषण पर इससे पहले भी पीएमओ की नजर थी। 3 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव पीके मिश्रा ने प्रदूषण के हालात पर दिल्ली, पंजाब, हरियाणा के संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की थी।
PM @narendramodi chaired a meeting in which the situation arising due to pollution in various parts of Northern India was discussed.
PM also reviewed the situation arising due to cyclone conditions in parts of western India.
— PMO India (@PMOIndia) November 5, 2019
प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार
दिल्ली और आस पास फैले प्रदूषण के मसले पर देश की सर्वोच्च अदालत ने भी सख्ती दिखाई है। सोमवार को दिल्ली में फैले प्रदूषण पर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हर साल दिल्ली चोक हो जाती है और हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में लागू ऑड-ईवन पर सवाल खड़े कर दिए हैं और दिल्ली सरकार से पूछा है कि आखिर इसका फायदा क्या है?