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दामाद के बाद केजरीवाल के साढ़ू भी करप्शन में फंसे

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सत्ता के खिलाफ लड़ाई में देश से भ्रष्टाचार मिटाने का दंभ भरने वाले अरविंद केजरीवाल एक चेहरा बनकर उभरे थे लेकिन राजनीति में उतरने के बाद यह चेहरा तेजी से दागदार होता गया। आज आलम यह है कि आम आदमी पार्टी इकलौती ऐसी पार्टी है जिसके ज्यादातर नेता जेल का मुंह देख चुके हैं और रिश्तेदारों पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा पर सवाल उठाने वाले केजरीवाल खुद अपने रिश्ते के दामाद के भ्रष्टाचार में घिर गए और अब तो साढू के खिलाफ भी जांच शुरू हो गई है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल के साढू सुरेंद्र कुमार बंसल के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। उन पर दिल्ली सरकार से गलत ढंग से टेंडर हासिल करने का आरोप है। जिससे दिल्ली सरकार को करीब 10 करोड़ रुपए का घाटा हुआ।

क्या है मामला
एक एनजीओ रोड्स एंटी करप्शन ऑर्गेनाइजेशन के संस्थापक राहुल शर्मा ने आरोप लगाया है कि केजरीवाल ने अपने साढ़ू सुरेंद्र कुमार बंसल को 2014 से 2016 के बीच कई निर्माण कार्यों का सरकारी काम दिया। जिनमें कई डमी कंपनी बनाकर करोड़ो का काम दिखाया गया और फिर कागजों पर ही काम दिखलाकर पैसे हड़प लिए गए। उनके खिलाफ शिकायत में कहा गया है कि केजरीवाल ने नियमों को ताक पर रखकर बंसल को टेंडर जारी किए।

बताया जाता है कि बंसल ने रेणू कंस्ट्रक्शन के नाम से कंपनी बनाई और फिर महादेव इम्पेक्स से सामान खरीदा हुआ दिखाया। जबकि महादेव इम्पेक्स ने सेल टैक्स विभाग को दी जानकारी में कोई कारोबार नहीं दिखाया है। यानी कंस्ट्रक्शन का सारा काम सिर्फ कागजों पर हुआ और पैसा सरकार के फंड से दिया गया।

शिकायत में यह भी कहा गया है कि बंसल ने कागज पर कई कंपनियां बनाईं। उनके नाम पर फर्जी बिल हासिल कर लिए जबकि वास्तव में कुछ खरीदा ही नहीं गया था। आरोप है कि बंसल ने इस कार्य के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के संबंध का फायदा उठाते हुए अधिकारियों को प्रभावित किया।

एनजीओ की शिकायत के बाद दिल्‍ली पुलिस ने अपनी आर्थिक अपराध शाखा को शुरुआती जांच के आदेश दिए हैं। एनजीओ का कहना है कि जिन्होंने खुद अपने रिश्तेदारों को रेवड़ी बांटी हों उनसे किसी निष्पक्ष जांच और इंसाफ की उम्मीद कैसे की जा सकती है।

दामाद के लिए धांधली
ईमानदारी का ढोंग रचने वाले अरविंद केजरीवाल रिश्ते के अपने एक दामाद डॉक्टर निकुंज अग्रवाल के कारण भी आरोपों के घेरे में हैं। केजरीवाल राज में निकुंज सत्ता का पूरा मजा वैसे ही ले रहे थे, जैसे यूपीए राज में वाड्रा ने लिया। लोगों को दामाद होने के बारे में पता ना चले इसके लिए केजरीवाल ने निकुंज को अपने साथ रखने के बजाय सत्येद्र जैन के साथ लगाया।

केजरीवाल पर आरोप है कि दामाद को नौकरी दिलाने के लिए उन्होंने बड़े स्तर पर धांधली की। निकुंज ने फर्जी तरीके से ना सिर्फ सरकारी अस्पताल में नौकरी पाई बल्कि सरकारी खर्चे पर चीन सहित कई जगहों की यात्रा भी की। फर्जीवाड़े की बानगी यह देखिए कि चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में जॉब के लिए निकुंज अग्रवाल ने 6 अगस्त 2015 को हाथ से लिखकर आवेदन किया। अस्पताल डायरेक्टर को लिखे पत्र में खुद को डीएनबी ऑर्थोपेडिक सर्जन बताते हुए सीनियर रेसीडेंट पद पर काम करने की इच्छा जताई। लेकिन अस्पताल में कोई वैकेंसी ना होने के बावजूद चार दिन के अंदर 10 अगस्त 2015 को एडहॉक पर नियुक्त भी कर लिया गया। जबकि इस पोस्ट के लिए कोई विज्ञापन भी नहीं निकाला गया था।

इसके साथ ही कई योग्य अधिकारियों को नजरअंदाज कर, सभी नियमों को ताक पर रखते हुए अगले महीने 4 सितंबर 2015 को निकुंज को सत्येंद्र जैन का ओएसडी बना दिया गया। इतना ही नहीं सत्येंद्र जैन ने निकुंज को ओएसडी पद पर चार बार सेवा विस्तार भी दिया।

साथ ही कंट्रेंक्ट पर होने के बाद भी सरकारी खर्च पर आईआईएम अहमदाबाद में मैनेजमेंट डेवलेपमेंट प्रोग्राम के लिए भेजा गया। पांच दिन की इस कोर्स की फीस करीब सवा लाख रुपए है। आप समझ सकते हैं कि दामादजी ने आम आदमी के पैसे पर मैनेजमेंट की पढ़ाई की। बताया यह भी जा रहा है कि चाचा नेहरु बाल चिकित्सालय में किसी चिकित्सक को सरकारी खर्च पर मैनेजमेंट पढ़ाई का कोई प्रावधान नहीं है।

अब आप समझ सकते हैं कि सिर्फ केजरीवाल का दामाद होने के कारण निकुंज की सरकारी डॉक्टर के लिए नियुक्ति हाथ से लिखी अप्लीकेशन के आधार पर हुई। और भाई-भतीजावाद के कारण ही हेल्थ मिनिस्टर का ओएसडी बनाया गया।

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