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केजरीवाल ने फिर तोड़ा अन्ना का दिल-बोले अन्ना

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अरविन्द केजरीवाल ने अन्ना हजारे का एक बार फिर दिल तोड़ दिया है। भ्रष्टाचार के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन का नेतृत्व करने वाले अन्ना हजारे के निकटतम सहयोगी थे अरविन्द केजरीवाल, लेकिन आज उनके ही मुताबिक केजरीवाल ने निराश कर दिया है। सीएजी की रिपोर्ट में लगे गंभीर आरोपों ने के बाद अन्ना ने कहा, “मुझे बड़ा दुख हुआ। मैंने बड़ी आशा की थी।”

शुंगलू समिति की रिपोर्ट से कठघरे में केजरीवाल

  • सत्येन्द्र जैन की बेटी सौम्या जैन को मोहल्ला क्लीनिक मिशन का डायरेक्टर बनाने का तरीका गलत
  • दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल को घर मुहैया कराने को भी गलत ठहराया
  • आप विधायक अखिलेश त्रिपाठी को गलत तरीके से टाइप 5 बंगला आवंटित हुआ।
  • केजरीवाल के रिश्तेदार निकुंज अग्रवाल को स्वास्थ्य मंत्री का ओएसडी बनाने को भी गलत ठहराया
  • मंत्रियों की विदेश यात्रा के लिए एलजी से अनुमति नहीं लेने को भी सीएजी ने गलत बताया है
  • पर्यटन मंत्रालय में नियुक्ति की अनुमति एलजी से नहीं लेना भी गलत था।
  • सीसीटीवी लगाने, मोहल्ला क्लीनिक और भ्रष्टाचार के लिए शिकायत का नंबर 1030 शुरू करने की प्रक्रिया गलत थी।
  • संवैधानिक प्रावधानों, प्रशासनिक कानून और आदेशों का केजरीवाल सरकार ने लगातार उल्लंघन किया।
  • आप के दफ्तर के लिए बंगला आवंटन भी गलत फैसला है।
  • सरकार ने कई सलाहकार ऐसे नियुक्त किए जिसके लिए एलजी से अनुमति नहीं ली गयी, इसलिए वे गलत हैं।

केजरीवाल पर आरोपों से अन्ना बेचैन

शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट में सामने आयी इन खामियों ने अन्ना को बेचैन कर दिया है। उन्होंने महसूस किया है कि उनके चेलों ने उनका विश्वास तोड़कर रख दिया। जिस उम्मीद के साथ उन्होंने देश में भ्रष्ट व्यवस्था बदलने की मुहिम शुरू की, अब उनके ही साथ रहे लोगों ने इस भ्रष्ट व्यवस्था को अंगीकार कर लिया। इसलिए दुखी होकर अन्ना हजारे ने कहा है, “मैंने बड़ी आशा की थी. एक उम्मीद रखी थी कि ऐसा एक नवयुवक, लिखा पढ़ा नवयुवक कुछ अच्छा काम करता है, अच्छी बात है, लेकिन इस शुंगलु कमेटी की रिपोर्ट से मेरा सपना टुट गया है. केजरीवाल ने मेरी सारी उम्मीदें तोड़ दीं।”

बात सिर्फ इतनी ही नहीं है। हाल के दिनों में अरविन्द केजरीवाल ने लगातार एसा महसूस किया है कि जैसा वो सोचते हैं अरविन्द केजरीवाल ठीक उसकी उलट करते हैं।

ईवीएम पर सवाल उठाने से भी केजरीवाल से नाराज दिखे अन्ना

अन्ना हजारे ईवीएम से मतदान को सर्वश्रेष्ठ तरीका बताते हैं, जबकि केजरीवाल ईवीएम को गलत बताकर बैलेट पेपर से मतदान की वकालत कर रहे हैं। केजरीवाल के रवैये को भी अन्ना ने गलत ठहराया है।

केजरीवाल को अन्ना की सलाह- कथनी-करनी में फर्क ना रखें

केजरीवाल को 23 दिसंबर 2016 को भेजे पत्र में अन्ना ने कहा,”यदि व्यवस्था में परिवर्तन लाना है तो नेतृत्व को कथनी एवं करनी में फर्क नहीं रखना चाहिए।…देश एवं समाज की बेहतरी के लिए मैंने महाराष्ट्र में लोगों से जुड़े कई महत्वपूर्ण कार्यों को एकतरफ रख दिया और बिना किसी स्वार्थ के आपको समय दिया और देश के लिए बड़ा सपना देखा। लेकिन मेरा सपना बिखर गया।”

केजरीवाल ने मेरी अपेक्षाएं तोड़ीं- अन्ना

अन्ना हजारे पार्टी के मंत्रियों और पदाधिकारियों पर लगते रहे सेक्स स्कैंडल के आरोपों से भी बहुत मर्माहत हुए। अरविन्द केजरीवाल से खुली नाराजगी जताते हुए पिछले साल सितंबर 2016 में अन्ना ने कहा, “केजरीवाल ने मेरे अपेक्षाओ का भंग किया है मुझे लगाता था कि आम आदमी पार्टी लोगो को नई उम्मीद देगी लेकीन जिस तरह उनके मंत्रीओ पर आरोप लग रहे हैं उससे में बहुत दुखी हूं।”

सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांगने पर भी केजरीवाल से नाराज़ हुए थे अन्ना

सेना के जवान रह चुके अन्ना हजारे को तब बहुत गुस्सा आया था जब अरविन्द केजरीवाल ने सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगे थे। अन्ना ने कहा था कि सेना पर अविश्वास करना बिल्कुल गलत बात है। अन्ना ने कहा था, “सर्जिकल हमलों का सबूत मांगना गलत है। मैं इसकी निंदा करता हूं। यह मामला सेना, देश और सीमा से जुड़ा है। इस समय (सेना पर) अविश्वास करना गलत है। अभियान के लिए काफी योजना बनायी गयी थी। इस तरह के मामले में हम लोगों पर कैसे अविश्वास कर सकते हैं।”

नोटबंदी पर भी केजरीवाल के रुख से नाराज थे अन्ना

अन्ना हजारे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी को सही ठहराया था। उन्होंने कहा था कि नोटबंदी कालाधन और भ्रष्टाचार पर हमला है। इसलिए देश के हर नागरिक को इसका समर्थन करना चाहिए। वहीं नोटबंदी पर अरविन्द केजरीवाल के रुख से भी अन्ना नाराज थे। पार्टी विशेष के लिए चंदे की सीमा को लेकर अन्ना ने साफ कहा था कि हर पार्टी चंदे के धंधे में शामिल है। उनका इशारा तब भी केजरीवाल की पार्टी को विदेश से मिल रहे चंदे से था।

केजरीवाल लगातार अपने गुरु की सोच से उल्टा काम करते रहे हैं। अब गुरु अन्ना हजारे भी सोच रहे हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनका आंदोलन एक गलत राजनीतिक दल में बदल गया। इसी का खामियाजा उन्हें उद्दंड केजरीवाल के रूप में भुगतना पड़ रहा है।

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