Home केजरीवाल विशेष कुर्सी के लिए कुछ भी करेगा… देखिए केजरीवाल के कारनामे

कुर्सी के लिए कुछ भी करेगा… देखिए केजरीवाल के कारनामे

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भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने और आदर्शवाद की दुहाई देने वाले दिल्ली के विवादास्पद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आंदोलन के समय सपना दिखाते थे कि आम आदमी के हाथ में ही सब कुछ होगा। लेकिन सत्ता मिलते ही केजरीवाल ने जनता के विश्वास को जबरदस्त तरीके से तोड़ दिया। आम लोगों के सामने उनका असली चेहरा सामने आने लगा है। केजरीवाल के सारे आदर्श दफन हो गए हैं।

  • पार्टी में एक ही आवाज- हाईकमान कल्चर
  • अपराधी प्रवृति के व्यक्तियों का दल बनाना
  • सत्ता बचाये रखने के लिए सत्ता का दुरुपयोग करना
  • तुष्टिकरण की राजनीति-मोदी विरोध के लिए देशद्रोह भी सही

पार्टी में एक ही आवाज- हाईकमान कल्चर
मुख्यमंत्री बनने से पहले अरविंद केजरीवाल जनता के लिए जिस स्वराज की बात करते थे, उस स्वराज को वह अपने दल में स्थापित नहीं कर सके। केजरीवाल भले ही आमसहमति की बात करते हैं, लेकिन वो दूसरों की राय नहीं मानने वालों में से हैं। यह हकीकत धीरे-धीरे जनता के सामने तब खुली, जब वो अपने आंदोलन के साथियों को एक-एक कर बाहर निकालने लगे।

अन्ना हजारे को छोड़ा- 2 अप्रैल 2011 को अन्ना हजारे के साथ आंदोलन शुरू किया और 26 नवंबर 2012 को राजनीतिक पार्टी बनाने के लिए अन्ना का साथ छोड़ दिया।

किरण बेदी को छोड़ा- अन्ना हजारे के साथ किरण बेदी ने भी केजरीवाल को आंदोलन में पूरा साथ दिया, लेकिन राजनीतिक पार्टी बनाने की अपनी जिद पर उन्होंने किरण बेदी को भी छोड़ दिया।

प्रशांत भूषण, योगेन्द्र यादव और शांति भूषण को भी छोड़ा- भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन और आम आदमी पार्टी बनाने में धन और चिंतन से साथ देने वालों को भी 28 मार्च 2015 को केजरीवाल ने बेइज्जत करके पार्टी से निकाल दिया।

मयंक गांधी ने भी छोड़ा- केजरीवाल के अड़ियल और तानाशाही प्रवृति को देखकर महाराष्ट्र के आप के बड़े नेता मयंक गांधी ने भी केजरीवाल का साथ छोड़ दिया।

ये वे लोग थे जिन्होंने केजरीवाल को आंदोलन चलाने और मुख्यमंत्री बनने में काफी मदद की। लेकिन इनके साथ ही ऐसे काफी लोग हैं जिन्होंने केजरीवाल की तानाशाही सोच से परेशान होकर पार्टी छोड़ दी।

अपराधी प्रवृति के व्यक्तियों का दल बनाना
आंदोलन के समय अरविंद केजरीवाल ने वादा किया था कि देश को एक ऐसी पार्टी देगें जिसके नेता ईमानदार, संवेदनशील और जनता की सेवा करने के लिए सदैव तैयार रहेगें। लेकिन 67 विधायकों वाले दल के नेताओं की करतूतें जनता की इस उम्मीद को धाराशायी करती हैं।

अरविंद केजरीवाल- बिना सबूतों के आरोप लगाना उनकी राजनीति का सरल फार्मूला है। नितिन गडकरी, सुभाष चंन्द्रा, वित्तमंत्री अरुण जेटली पर झूठे आरोप लगाने के कारण केजरीवाल पर मानहानि का मुकदमा हुआ। केजरीवाल केवल आरोप लगाने की ही राजनीति नहीं करते, बल्कि सरकार के धन का उपयोग अपने लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए भी करते हैं। इस तथ्य की पुष्टि शुंगलू कमेटी ने भी कर दी है।

मनीष सिसौदिया- सरकारी विज्ञापन के काम को अपने मनचाहे लोगों को देना और सरकारी धन पर विदेश यात्रा करना।

संदीप कुमार- सुल्तानपुर माजरा के पूर्व महिला बाल कल्याण मंत्री राशन कार्ड बनवाने के लिए महिला से जबरन शारीरिक संबंध स्थापित करते हैं। अपनी पत्नी का इलाज न्यूयार्क में सरकार को बिना सूचित किए करवाते हैं।

जितेन्द्र सिंह तोमर- त्रिनगर विधायक और पूर्व कानून मंत्री जितेन्द्र सिंह तोमर ने फर्जी बीएससी और एलएलबी की डिग्री बनवायी।

सोमनाथ भारती- मालवीय नगर के विधायक महिलाओं से मारपीट करते हैं। यहां तक की अपनी पत्नी का भी उत्पीड़न करते हैं।

संजय सिंह- केजरीवाल के विश्वस्त और नजदीकी नेताओं में एक हैं। इनपर चुनावों में टिकट देने के लिए रुपये लेने का आरोप है।

भगवंत मान- इनपर शराब पीकर संसद में आने और गैरकानूनी ढंग से संसद परिसर का वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करने का आरोप है।

सत्येंद्र जैन- अपने परिवार के लोगों को सरकारी फायदा देने का काम करते हैं। सत्येंद्र जैन पर अपनी बेटी सौम्या जैन को मोहल्ला क्लिनिक परियोजना का सलाहकार बनाने, केजरीवाल के रिश्तेदार डॉ निकुंज अग्रवाल को अपना ओएसडी बनाने और हवाला के धंधे से काला धन ठिकाने लगाने का आरोप है।

इसके अलावा केजरीवाल के साथी असीम अहमद, राखी बिड़लान, अमानतुल्ला, दिनेश मोहनिया, अलका लांबा, अखिलेश त्रिपाठी, संजीव झा, शरद चौहान, नरेश यादव, करतार सिंह तंवर, महेन्द्र यादव, सुरिंदर सिंह, जगदीप सिंह, नरेश बल्यान, प्रकाश जरावल, सहीराम पहलवान, फतेह सिंह, ऋतुराज गोविंद, जरनैल सिंह, दुर्गेश पाठक, धर्मेन्द्र कोली, रमन स्वामी जैसे आप विधायक और नेताओं पर आरोपों की लंबी लिस्ट है।

सत्ता बचाये रखने के लिए सत्ता का दुरुपयोग करना
आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की सत्ता की कमान हाथ में आते ही उसे बचाये रखने और उसका फायदा उठाने का काम शुरु कर दिया। केजरीवाल ने ना सिर्फ जनता से किये अपने वादे को तोड़ा बल्कि विश्वास के एक पायदान को भी तोड़ डाला।

21 विधायकों को संसदीय सचिव बना देना- 13 मार्च 2015 को आप सरकार ने अपने 21 विधायकों आदर्श शास्त्री, अलका लाम्बा, अनिल बाजपेयी, अवतार सिंह, जरनैल सिंह, कैलाश गहलोत, मदन लाल, मनोज कुमार, नरेश यादव, नितिन त्यागी, प्रवीण कुमार, राजेश गुप्ता, राजेश रिषी, संजीव झा, सरिता सिंह, सोम दत्त, शरद कुमार, शिवचरण गोयल, सुखबीर सिंह, विजेंदर गर्ग और जन सिंह को संसदीय सचिव बना दिया। इन्हें गाड़ी, ऑफिस और अन्य सरकारी सुविधाएं दे दी।

गोपाल मोहन की नियुक्ति- गोपाल मोहन की नियुक्ति पहले सलाहकार (भ्रष्टाचार निरोध) के रुप में 1 रुपए के वेतन पर की गयी जो बाद में सलाहकार (शिकायत) बनाये जाने पर 1.15 लाख रुपए हो गयी। इसके लिए केजरीवाल ने अंदर ही अंदर कई चालें चलीं। उपराज्यपाल द्वारा 1 रुपये की अनुमति को ही 1.15 लाख कर दिया, यह उपराज्यपाल को नही बताया गया। यह रकम गुजरे हुए माह के लिए भी दिया गया।

राहुल भसीन की नियुक्ति- पद की स्वीकृति ना होने के बाद भी राहुल भसीन को मुख्यमंत्री कार्यालय में सलाहकार के रुप नियुक्त किया गया। ऐसे पद पर नियुक्ति के लिए उपराज्यपाल की अनुमति आवश्यक होती है। राहुल भसीन बारहवीं पास हैं और ट्रेवल व टूरिज्म का डिपोल्मा पूरा नहीं कर सके हैं। उन्हें पर्यटन का सलाहकार नियुक्त किया गया। अजीब बात यह थी कि दिल्ली सरकार के प्रशासनिक विभाग को मुख्यमंत्री ने लिखा कि उनकी इच्छा है कि पर्यटन सलाहकार को 1,50,000 रुपए दिए जाएं।

अभिनव राय की नियुक्ति- अभिनव राय को 87,000 रुपए प्रतिमाह के वेतन पर ओएसडी के रुप में नियुक्त करने में भी केजरीवाल ने गड़बड़ी की। उनकी नियुक्ति वरिष्ठ क्लर्क के रुप मे की गयी लेकिन ओएसडी बना दिया गया। अभिनव राय को जो भी वेतन और सुविधाऐं दी गई वह वरिष्ठ क्लर्क को मिलने वाले वेतन से चार गुना अधिक था।

रोशन शंकर की नियुक्ति- पर्यटन मंत्री के सलाहकार रोशन शंकर की भी नियुक्ति में सभी नियमों को ताक पर रख दिया गया। विभाग ने शंकर की डिग्रियों के बारे में कोई छानबीन नहीं की और इसके बावजूद उन्हें 60,000 रुपए प्रतिमाह के वेतन पर रख लिया।

वकील पी परीजा की नियुक्ति- वकील पी परीजा के पास उचित अनुभव ना होने के बावजूद भी उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सभी नियमों को दरकिनार करते हुए म्यूनिसिपल कराधान ट्रिब्यूनल का पूर्ण अवधि के लिए सदस्य (प्रशासनिक) बना दिया।

विदेश यात्रा– केजरीवाल के साथी मंत्री उपराज्यपाल की अनुमति के बिना 24 बार विदेश यात्रा पर गए।

रिश्तेदार को बनाया ओएसडी- अगस्त 6, 2015 को केजरीवाल के बहुत ही करीबी रिश्तेदार डॉ निकुंज अग्रवाल को स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन का ओएसडी बना दिया गया।

करोड़ रुपए का चाय समोसा- फरवरी 2015 से अगस्त 2016 के बीच केजरीवाल सरकार के दफ्तर में 1.20 करोड़ रुपए के चाय-समोसा परोसे गए।

लाखों रुपए की बिजली खर्च कर डाली- 19 मार्च 2015 से 4 सितम्बर 2016 के बीच मुख्यमंत्री के आधिकारिक निवास का बिजली बिल 2.23 लाख रुपये था। इसी दौरान आम आदमी को बिजली बचाने का संदेश देने वाले सत्येंद्र जैन के घर सबसे अधिक बिजली की खपत हुई, यह 3.95 लाख रुपये था।

12,000 रुपए की थाली वाली दावत- केजरीवाल ने सरकार की दूसरी वर्षगांठ मनाने के लिए 11 से 12 फरवरी 2016 के बीच अपने आवास पर शानदार दावत दी, इसमें एक थाली खाने का खर्च 12,000 रुपए था।

शाही इलाज पर लाखों खर्च- अरविंद केजरीवाल बंगलोर के जिंदल नेचुरोपैथी केन्द्र में दस दिनों तक अपना और अपने परिवार का इलाज कराने के लिए 17,000 रुपए प्रतिदिन वाले कमरे में रहे। यहां इलाज पर लाखों रुपए खर्च किए।

तुष्टिकरण की राजनीति- मोदी विरोध के लिए देशद्रोह भी सही
अरविंद केजरीवाल ने अपने आंदोलन के निशाने पर कांग्रेस पार्टी के नेताओं को रखा था, लेकिन जब भाजपा से मिले होने का आरोप लगने लगा तो भाजपा के नेताओं पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगाने लगे। केजरीवाल को आरोप लगाकर राजनीति चमकाने का एक सरल फार्मूला मिल गया था और इसका जमकर लाभ भी ले रहे थे। 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान केजरीवाल भाजपा, कांग्रेस को भूलकर सीधे नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाना शुरु कर दिया। वह जानते थे कि इससे मोदी विरोधी वोट बैंकों में उनकी स्थिति मजबूत होगी। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद भी वो उनका विरोध करना नहीं छोड़ते, भले ही उन्हें देशद्रोह तक की अति तक ही क्यों न जाना पड़े।

ऊरी हमले पर देश के खिलाफ बोला- 18 सितम्बर 2016 को सुबह 4 बजे बारामूला के ऊरी के 12 वीं ब्रिगेड के मुख्यालय पर आतंकवादियों के आत्मघाती हमले में 17 जवान मारे गये और 19 जवान घायल हुए। इसके बाद अभियान चलाकर भारत ने पाकिस्तान को विश्व बिरादरी में अलग-थलग कर दिया। लेकिन 27 सितम्बर 2016 को केजरीवाल ने ट्वीट किया कि पाकिस्तान नहीं भारत आतंकवाद के मुद्दे पर अलग पड़ता जा रहा है। इस ट्वीट को लेकर पाकिस्तान में केजरीवाल ने काफी वाहवाही बटोरी और यहां देश में सोशल मीडिया पर उनको जमकर लताड़ मिली।

सर्जिकल स्ट्राइक पर राष्ट्रविरोधी बयान- 29 सितम्बर 2016 सर्जिकल स्ट्राइक की कामयाबी से केजरीवाल इतने असहज हो गये कि सेना की बात पर भरोसा न करते हुए पाकिस्तान की तरह सबूत मांगन लगे। दूसरे दिन केजरीवाल को पाकिस्तानी मीडिया ने अपने ‘हीरो’ की तरह पेश किया।

कश्मीर समर्थन की सभा को साथ दिया- 9 फरवरी 2016 को जेएनयू में अफजल गुरु पर आयोजित सभा में कश्मीर की आजादी के देश विरोधी नारे लगे। जिसके बाद पुलिस को कार्रवाई करनी पड़ी तो केजरीवाल ने उन नारे लगाने वाले छात्रों का साथ दिया जो कश्मीर की आजादी और देश के टुकड़े होने के नारे लगा रहे थे।

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