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केजरीवाल सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के दस गंभीर आरोप

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भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने और स्वच्छ राजनीति की वकालत करने वाले अरविंद केजरीवाल आंदोलन के समय सपना दिखाते थे कि आम आदमी के हाथ में ही सब कुछ होगा। लेकिन सत्ता मिलते ही केजरीवाल ने ना सिर्फ जनता से किए अपने वादे को तोड़ा बल्कि खुद आकंठ भ्रष्टाचार में डूब गए। आइए देखते हैं केजरीवाल सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के दस गंभीर आरोप-

1.केजरीवाल और उनके रिश्तेदार पर घोटाले के आरोप
दिल्ली पुलिस मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उनके रिश्तेदार सुरेन्द्र कुमार बंसल और पीडब्ल्यूडी विभाग के कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रही है। शिकायतकर्ता राहुल शर्मा के अनुसार केजरीवाल के रिश्तेदार बंसल ने अधिकारियों के सहयोग से फर्जी कागजातों के आधार पर कई कंपनियों के नाम पर काम लिए और फर्जी बिल बनाये। इस तरह उन्होंने दिल्ली के खजाने को नुकसान पहुंचाया।

2.मुख्यमंत्री के मुख्य सचिव का भ्रष्टाचार में लिप्त होना
केजरीवाल के मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार भी भ्रष्टाचार के घेरे में हैं। सीबीआई उनके खिलाफ न्यायालय में मुकदमा करने वाली है। केजरीवाल जो भ्रष्टाचार को तनिक भी बर्दाश्त न करने की कसमें खाते हैं, उन्हीं को ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल ने मई 2015 में पत्र लिखकर राजेन्द्र कुमार के भ्रष्टाचार के बारे में बताया था। लेकिन केजरीवाल ने कोई कदम नहीं उठाया। राजेन्द्र कुमार ने 2007-2015 के बीच अपने रिश्तेदारों की कम्पनी को दिल्ली सरकार में काम करने का ठेका दिया और उसके बदले में धन भी लिया। इस तरह से दिल्ली सरकार को 12 करोड़ का चूना लगाया और खुद अपने लिए तीन करोड़ रुपये भी कमा लिए। ऐसे थे भ्रष्टाचार विरोधी मुख्यमंत्री केजरीवाल के सचिव, जिन्हें 4 जुलाई 2016 को कार्यलय से गिरफ्तार किया गया और 22 दिनों बाद सीबीआई अदालत ने उन्हें जमानत दी।

3. उपमुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप
सीबीआई उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ भी भ्रष्टाचार के मामले दर्ज कर जांच कर रही है। उन्होंने केजरीवाल के टॉक टू एके कार्यक्रम के प्रचार के लिए 1.5 करोड़ रुपये में एक पब्लिक रिलेशन कंपनी को काम सौंप दिया। जबकि मुख्य सचिव ने इसके लिए इजाजत नहीं देने को कहा था लेकिन सरकार ने बात नहीं मानी। लगता है सिसोदिया ने फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा किया।

4.सत्येंद्र जैन का हवाला लिंक
सत्येंद्र जैन के खिलाफ आयकर विभाग की जांच में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। ईमानदारी का सर्टिफिकेट बांटने वाले केजरीवाल के मजबूत स्तंभ सत्येंद्र जैन पर हवाला के जरिए 16.39 करोड़ रुपए मंगाने का आरोप है। ये वो जानकारी है जिसे आयकर विभाग ने ट्रैस किया है। सूत्र बताते हैं कि सत्येंद्र जैन के करीबी कोड वर्ड के साथ नकद में रुपए ट्रेन के माध्यम से कोलकाता भेजते थे और कोलकाता के हवाला कारोबारी छद्म कंपनियों के नाम से जैन की कंपनी में शेयर खरीदने के बहाने पैसे चेक या आरटीजीएस के माध्यम से लौटाते थे।

5.स्वास्थ्य मंत्री ने पुत्री को बनाया सरकार में सलाहकार
सीबीआई स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन की पुत्री सौम्या जैन को मोहल्ला क्लीनिक परियोजना में सलाहकार बनाये जाने की जांच कर रही है। उपराज्यपाल के आदेश के बाद यह जांच हो रही है। मंत्री सत्येन्द्र जैन का कहना है कि उनकी पुत्री एक रुपया लिए बगैर काम कर रही है।

6.खाद्य मंत्री असीम खान ने खाया रुपया
केजरीवाल के खाद्य मंत्री असीम अहमद खान ने अपने विधानसभा क्षेत्र मटियामहल में एक बिल्डर से निर्माण कार्य जारी रखने के लिए 6 लाख रुपयों की मांग की थी, जिसकी रिकार्डिंग करके बिल्डर ने सभी जगह भेज दी। इसके दबाव में केजरीवाल को अपने मंत्री को बर्खास्त करना पड़ा।

7. महिला व बाल विकास मंत्री का भ्रष्टाचार
केजरीवाल के सामाजिक कल्याण, महिला व बाल विकास मंत्री संदीप कुमार ने राशन कार्ड बनवाने के लिए एक महिला के साथ जबरदस्ती संबंध बनाये। इन संबंधों की सीडी सार्वजनिक होने पर केजरीवाल को इन्हें भी मंत्रालय से बर्खास्त करना पड़ा।

8.पूर्व कानून मंत्री पर फर्जी डिग्री बनाने का मामला
दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर ने दावा किया था कि उन्होंने सत्र 1994-97 के दौरान मुंगेर (बिहार) के विश्वनाथ सिंह लॉ कॉलेज से पढ़ाई की थी। मामला पकड़ में आने के बाद पता चला कि तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी रजिस्ट्रेशन कराकर तोमर को कानून की डिग्री जारी कर दी गई थी। डिग्री लेते समय माइग्रेशन सर्टिफिकेट और अंकपत्र जमा करने पड़ते हैं। लेकिन तोमर द्वारा जमा किए गए दोनों सर्टिफिकेट अलग-अलग विश्वविद्यालयों के हैं। अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद का अंकपत्र और बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी का माइग्रेशन सर्टिफिकेट जमा किया गया। दोनों विश्वविद्यालयों ने इन प्रमाणपत्रों की वैधता को खारिज कर दिया है।

9.विज्ञापन घोटाला
हाल ही में जारी सीएजी की रिपोर्ट बताती है कि केजरीवाल सरकार ने दूसरे राज्यों में अपने दल का प्रचार करने के लिए दिल्ली सरकार के खजाने का दुरुपयोग किया। पहले साल के काम-काज पर तैयार रिपोर्ट कहती है कि पहले ही साल में केजरीवाल ने 29 करोड़ रुपये दूसरे राज्यों में अपने दल के विज्ञापन पर खर्च किए। दूसरे साल में जब पंजाब और गोवा जैसे राज्यों में आप चुनाव लड़ रही थी, तब तो केजरीवाल ने दिल्ली के खजाने को जमकर लुटाया होगा, यह बात भी आगे आने वाली सीएजी की रिपोर्ट में साबित तो हो ही जाएगी। 2015-16 में केजरीवाल ने 522 करोड़ रुपये विज्ञापन के लिए खर्च कर दिए।

10.स्ट्रीट लाइट घोटाला
आप नेता राखी बिड़लान पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे। आरटीआई के हवाले से दावा करते हुए बीजेपी ने आरोप लगाया कि मंगोलपुरी में 15 हजार की सोलर स्ट्रीट लाइट को एक लाख रुपये और 10 हजार में लगने वाली सीसीटीवी कैमरे पर 6 लाख रुपये खर्च किए गए।

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