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मीडिया को एक बार फिर क्यों कोसने लगे हैं केजरीवाल?

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दिल्ली के विवादास्पद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल स्वार्थ और सुविधा की राजनीति करते हैं, ये बात किसी से छिपी नहीं है। अपने स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए वो कोई भी हथकंडा अपना सकते हैं और किसी भी स्तर तक गिर सकते हैं। उनका ये चरित्र दिल्ली नगर निगम चुनाव में भी देखने को मिल रहा है। दिल्ली की तरह वो पंजाब और गोवा के मतदाताओं को ठगने में नाकाम रहे, तो उन्होंने अब मीडिया पर भड़ास निकालनी शुरू कर दी है। दिल्ली के बुराड़ी में MCD के लिए चुनाव प्रचार करते हुए उन्होंने मीडिया पर आरोप लगा दिया कि, “मीडिया सरकार के अच्छे काम को नहीं दिखाती सिर्फ बुराई करती है”!

दुनिया जानती है दिल्ली की जनता की आंखों में धूल झोंकने में मीडिया ने उनकी कितनी मदद की थी। उनकी सियासी नौटंकियों को जमकर मीडिया कवरेज मिलता रहा और वो अपना उल्लू-सीधा करते गए। लेकिन अब जब उनकी असलियत जग-जाहिर हो चुकी है, उन्होंने उसी थाली में छेद करना शुरू कर दिया है, जिसमें खा-खा कर उन्होंने अपनी सियासी सेहत को बुलंद किया था। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, इससे पहले भी जब-जब मीडिया ने ‘समाज का आईना’ उन्हें दिखाने की कोशिश की है, तो वो आपे से बाहर होकर उसे भ्रष्ट और दलाल तक कह चुके हैं। आइए देखते हैं कि कब-कब उन्होंने मीडिया के खिलाफ गुस्सा जताते हुए उसे भ्रष्ट और दलाल तक कहा है-

जब गुस्से में थे केजरीवाल? कुछ महीने पहले टीवी पर रोज चुनाव पूर्व सर्वेक्षण आ रहे थे। किसी में आप आगे थी, किसी में पीछे। जिस सर्वेक्षण में आगे थी, केजरीवाल अपनी पीठ थपथपा रहे थे, लेकिन जिस सर्वेक्षण में पीछे थे, तमतमा रहे थे। उनका गुस्सा चरम पर था और वे मीडिया को भ्रष्ट और दलाल बता रहे थे।

अनुराधा प्रसाद को ‘बेशर्म’ और ‘दलाल’ कह डाला- अनुराधा प्रसाद नामचीन पत्रकार हैं। न्यूज़ 24 की मालकिन हैं। निष्पक्ष पत्रकारिता के लिए जानी जाती हैं। लेकिन अपने विरोध पर मीडिया को लगातार आंखें दिखा रहे अरविन्द केजरीवाल ने तो हद ही कर दी। उन्होंने अनुराधा प्रसाद को ‘बेशर्म’ और ‘दलाल’ तक कह डाला। दरअसल अनुराधाजी के चैनल में जो चुनाव पूर्व सर्वेक्षण कराए गये, उनके नतीजे केजरीवाल के मनोनुकूल नहीं थे। इसमें पंजाब में आम आदमी पार्टी को 14-19 सीटें मिलती दिखाई गयीं थीं। सहमति-असहमति तो हो सकती है, होती रही है लेकिन केजरीवाल ने एक महिला पत्रकरा पर ऐसा हमला बोला कि आप भी चौंक जाएंगे। देखिए केजरीवाल ने क्या कहा-

एक महिला पत्रकार के खिलाफ अशोभनीय टिप्पणी पर पूर्व पत्रकार आशुतोष से सधी हुई प्रतिक्रिया की उम्मीद थी। लेकिन ये क्या, मर्यादा छोड़कर वे चाटुकारिता धर्म निभाने लगे। केजरीवाल को भी ये चाटुकारिता धर्म खूब पसंद आयी और उन्होंने उसे री-ट्विट कर दिया।

समय आ गया जब मीडिया के भ्रष्टाचार पर खुल के चर्चा हो, नाम ले ले कर चर्चा हो, किसके पास कितनी सम्पत्ति है, किसका पैसा किस चैनल में लगा है

शेखर गुप्ता को ‘कांग्रेस का दलाल’ कहा-  जब कभी भी पत्रकारों को अपने खिलाफ पाते हैं, वो उनकी ही इज्जत उतारने लग जाते हैं। वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता ने जब दिल्ली में डेंगू और चिकनगुनिया से हो रही मौत का सवाल उठाया था, तब भी मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने उन्हें ‘कांग्रेस का दलाल’ तक कह डाला था।

राहुल कंवल को भी उल्टा-सीधा कहा-  केजरीवाल ने राहुल कंवल को भी नहीं छोड़ा जिन्होंने दिल्ली की स्वास्थ्य समस्याओं पर सवाल उठानी की ‘जुर्रत’ दिखलायी।

Your concern is not Delhi. Your concern is that we r winning other states n defeating BJP. https://t.co/peWf3C78Fr

इसके अलावा भी कई मौके आए हैं जब केजरीवाल ने इसलिए मीडिया को भ्रष्ट बताया है क्योंकि मीडिया की टिप्पणियां उन्हें अपने खिलाफ लगीं।

बीबीसी की निष्पक्षता पर उठाए सवाल- नोटबंदी पर फेसबुक लाइव में पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ अनाप-शनाप बोलने पर जब बीबीसी ने उन्हें बीच में रोका और कहा कि नोटबंदी के दौरान 55 लोगों की मौत की पुष्टि बीबीसी नहीं करता, तो केजरीवाल ने बीबीसी को भी नहीं छोड़ा। वे बीबीसी की पत्रकारिता से लेकर उसकी निष्पक्षता तक पर सवाल उठाने लगे।

डिग्री विवाद में तोमर के लिए मीडिया पर बरसे- मीडिया ने कानून मंत्री की फर्जी डिग्री से जुड़े खुलासे किए, तो इस्तीफे के लिए दबाव बढ़ने लगा। इस बाबत सवाल पर केजरीवाल बरस गये। उन्होंने कहा कि तोमर ने उन्हें संतोषजनक जवाब दिया है और उनकी डिग्री नकली नहीं, असली है। उल्टे उन्होंने मीडिया को ही जनता की अदालत में खड़ा करने का आह्वान कर डाला।

मीडियावालों को जेल भेजने की दी थी धमकी- लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान नागपुर में चंदा इकट्ठा करने के लिए एक प्रायोजित रात्रिभोज में केजरीवाल ने कहा था-
“पिछले एक साल से हमारे दिमाग में मोदी को भर दिया गया है। टीवी चैनलों को मोदी को प्रमोट करने के लिए भारी पैसा दिया गया है। मोदी की सच्चाई कोई चैनल नहीं बता रहा। यह एक बड़ी साजिश है, बड़ी राजनीतिक साजिश। अगर हमारी कभी सरकार बनी, तो हम इसकी जांच कराएंगे और मीडिया वालों समेत सबको जेल भेजा जाएगा।“

बिकी हुई है मीडिया-केजरीवाल- आप नेता केजरीवाल ने मीडिया को औद्योगिक घरानों के हाथों बिका बताया था। केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि मीडिया घरानों को मुकेश अंबानी और अडानी समूह से वित्तीय सहायता मिल रही है।

टीम केजरीवाल का मीडिया पर सामूहिक हमला- पत्रकारों को जेल भेजने वाली खबर पर जब हंगामा बरपा, तो केजरीवाल के समर्थन में उनकी पूरी टीम नये सिरे से आक्रमण करने उतर गयी। संजय सिंह, आशुतोष, आशीष खेतान और दिलीप पांडे ने मीडिया पर सवाल उठाने को सही ठहराया। उन्होंने नाम लेते हुए चार टीवी चैनलों- इंडिया टीवी, इंडिया न्यूज, ज़ी न्यूज़, टाइम्स नाऊ- पर आम आदमी पार्टी और केजरीवाल के खिलाफ मुहिम चलाने का आरोप लगाया। धमकी तो चुनाव आयोग में जाने की भी दी, लेकिन कभी गये नहीं।

दोबारा मुख्यमंत्री बनते ही मीडिया पर लगायी पाबंदी- दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने दूसरी बार सीएम पद की शपथ लेने के बाद मीडिया पर पाबंदी लगा दी। बाजाप्ता सर्कुलर निकाल दिया गया। 6 मई 2015 को निकाले गये इस सर्कुलर में कहा गया था कि अगर सीएम या उनकी सरकार के खिलाफ कोई आपत्तिजनक बात कही जाती है तो उसे आपराधिक मानहानि का मामला बनाकर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इतना ही नहीं सचिवालय में पत्रकारों के प्रवेश पर भी रोक लगा दी गयी। हालांकि बाद में आंशिक प्रवेश की सुविधा बहाल की गयी। हालांकि पसंद-नापसंद के आधार पर अपने समर्थक मीडिया को एंट्री देते रहे। आज भी उनका गुस्सा उन्हीं पत्रकारों और मीडिया घरानों पर होता है जो उनके मन के मुताबिक खबर नहीं करते।

SC ने केजरीवाल को लगायी लताड़, रद्द किया सर्कुलर- सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के उस सर्कुलर को रद्द कर दिया जिसमें विरोध में खबर करने पर मीडिया पर आपराधिक मामला चलाने की बात कही गयी थी। अदालत ने अरविंद केजरीवाल के दोहरे मापदंड पर सवाल उठाते हुए कहा कि वे अपने खिलाफ मानहानि के मामलों को चुनौती देते हैं और उसे बोलने की आजादी के अधिकार का हनन बताते हैं। जबकि, उनकी सरकार मानहानि के मुकदमे की बात करती है।

खुद मीडिया मैनेज करते रहे हैं केजरीवाल- यू ट्यूब पर एक वीडियो ने केजरीवाल की उस ‘कला’ को दुनिया के सामने रखा था जिसमें वे मीडिया को मैनेज करते दिख रहे थे। वरिष्ठ पत्रकार और एंकर ने उनकी बात मानते हुए न सिर्फ वैसा ही किया बल्कि वे अपनी तरफ से भी केजरीवाल को ‘चमकाने’ वाली बात कहते नजर आए। उस वीडियो में केजरीवाल ने एंकर से निजी कंपनियों के खिलाफ बोले गये अंश को कम दिखाने को कह रहे थे क्योंकि ऐसा करने से मध्यम वर्ग को बुरा लग सकता था। वहीं एंकर उन्हें 80 फीसदी वंचितों की बात बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने का भरोसा देता दिखा। वाह केजरीवाल जी वाह। आप मीडिया मैनेज करें, तो बहुत अच्छा और दूसरा करे, तो उन्हें जेल भेजो !

‘विरोधी’ पत्रकार को सरकार के व्हाट्सएप ग्रुप से हटाया- दिल्ली सरकार की ऑड-ईवन योजना पर जब पत्रकारों ने सवाल उठाए, तो दिल्ली सरकार ने उन्हें व्हाट्सएप ग्रुप से ही हटा दिया। इसका खुलासा तब हुआ जब ऐसे ही एक पत्रकार राजकिशोर ने सार्वजनिक डोमेन में बातें रखीं। राजकिशोर ने ट्वीट किया था- “तो अरविन्द केजरीवाल भी चमड़े के सिक्के चलाएंगे। वह भी जनता की खाल उतारकर”। ऐसी टिप्पणी भला केजरीवाल को कैसे कबूल हो सकती थी। लिहाजा तुरंत कार्रवाई हुई।

केजरीवाल खुद पत्रकारों का इस्तेमाल करते रहे हैं। उनकी टीम में आज भी कई लोग ऐसे हैं जिन्होंने पहले तो पत्रकारिता करते हुए उनकी मदद की और बाद में उनकी पार्टी से ही जुड़ गये। ऐसे पत्रकारों की भी तादाद बड़ी है जिन्हें केजरीवाल सरकार ने पत्रकारिता की नौकरी से अलग कहीं न कहीं ‘एडजस्ट’ कर रखा है। खुद नैतिक रूप से कमजोर पत्रकारों को भ्रष्ट बनाते हैं केजरीवाल और उंगलियां दूसरों पर उठाते हैं। यही है राजनीति की केजरीवाल नीति।

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