इनकम टैक्स विभाग ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम से ब्रिटेन में उनकी अघोषित संपत्ति का ब्योरा मांगा। इस सिलसिले में कार्ति को काला धन कानून 2015 के तहत नोटिस जारी किया गया है। नोटिस के मुताबिक कार्ति ने ब्रिटेन में संपत्ति खरीदने के लिए वित्त वर्ष 2015-16 में 77,66,797 रुपये का भुगतान किया था।
सूत्रों के मुताबिक नोटिस में लिखा है: ‘’आपने Assessment year 2016-17 के लिए दाखिल किये गए रिटर्न में विदेश की अपनी संपत्ति के साथ ही अपनी नाबालिग बेटी के नाम पर किये गये एक करोड़ रुपये के भुगतान का खुलासा नहीं किया है।‘’
कार्ति से मांगी गई सभी दस्तावाजों की कॉपी
आयकर विभाग ने प्रॉपर्टी में कार्ति की ओर से किये गये निवेश से जुड़े सभी दस्तावेजों की कॉपी मांगी है। इन दस्तावेजों में एग्रीमेंट, सेल डीड और पजेशन लेटर शामिल हैं। कार्ति से ये बताने को कहा गया है कि चुकाई गई रकम के ब्योरे के साथ ही प्रॉपर्टी में उनकी हिस्सेदारी और अगर इसके कोई और भी मालिक हैं तो वो उनके बारे में भी जानकारी दें। आयकर विभाग ने कार्ति की मां और पत्नी को भी ब्लैक मनी ऐक्ट के तहत वैसा ही नोटिस जारी किया है, जैसा नोटिस कार्ति को जारी हुआ है। इन सबसे भारत और देश में उनकी तमाम संपत्तियो का ब्योरा देने को कहा गया है।
नोटिस मिलते ही दबाव में बचाव
कार्ति चिदंबरम ने अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार करते हुए कहा है कि उन्होंने अपने टैक्स रिटर्न में अपनी संपत्ति का ब्योरा दे रखा है। अपने वकील के जरिए दिये गये जवाब में उन्होंने कहा है कि डिपार्टमेंट विदेशी संपत्ति के ‘अघोषित’ होने पर ही ब्लैक मनी एक्ट के तहत इस तरह का नोटिस दे सकता है, इसलिए उनके मामले में नोटिस वापस लिया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में हाल में एक हलफनामा देकर कार्ति ने कहा था कि सरकारी एजेंसियां उन्हें और उनके परिवार को शर्मिंदा, अपमानित और परेशान करने के इरादे से इस तरह की कार्रवाई में जुटी हैं।
स्वतंत्र कार्रवाई को क्यों बताते बदले की भावना से?
लेकिन नोटिस जारी होने के बाद कार्ति के रुख से ये भी जाहिर हो रहा है कि वो खुद को ही पाक साफ प्रमाणित करने में लगे हैं। इनकम टैक्स विभाग ने उन्हें टैक्स रिटर्न की पड़ताल के बाद ही नोटिस भेजा होगा। दरअसल ये कार्ति ही नहीं, कांग्रेस समेत विपक्ष के कई नेताओं का यही रुख रहा है कि गंभीर आरोपों के साये में आते ही वो आरोपों का तथ्यों के सहारे सामना ना कर उससे पल्ला झाड़ते हुए अपने बचाव में लग जाते हैं। पिछले साल दिसंबर में जब कैप्टन अमरिंदर सिंह और उनके बेटे रणिंदर सिंह के खिलाफ आयकर विभाग ने बिना आयकर भुगतान वाली विदेशी संपत्तियों के मामले में आरोप पत्र दायर किया था तो उन्होंने भी केंद्र की मौजूदा सरकार पर बदले की भावना से कार्रवाई का आरोप लगाया था। अमरिंदर अपनी बात को वहां तक ले गए थे कि वित्त मंत्री अरुण जेटली को उन्होंने अमृतसर से लोकसभा उपचुनाव लड़ने की चुनौती दी थी जिसका गुस्सा उन्होंने इस तरह से निकाला।
अपने किये को ये कबूलें तो कैसे?