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मध्यप्रदेश के किसानों से कांग्रेस सरकार ने किया धोखा

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कर्नाटक और पंजाब की तर्ज पर ही मध्यप्रदेश में सत्ता में आते ही कांग्रेस ने किसानों को धोखा दे दिया है। मुख्यमंत्री कमलनाथ की कर्जमाफी की घोषणा खोखली साबित हो रही है। मध्यप्रदेश में भी कांग्रेस किसानों के साथ छलावे के अपने इतिहास को दोहरा रही है।       

प्रदेश के किसानों पर सहकारी बैंक, राष्ट्रीयकृत बैंक, ग्रामीण विकास बैंक और निजी बैंकों का 70 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है। लेकिन, सिर्फ राष्ट्रीयकृत और सहकारी बैंकों से लिए गए कर्ज ही माफ होंगे। इतना ही नहीं, जून 2009 के बाद और 31 मार्च 2018 से पहले लिए गए अल्पकालिक फसल ऋण ही माफ किए जाएंगे। इस पूरी कर्जमाफी के दायरे में सिर्फ 9 प्रतिशत किसान ही आ पाएंगे।    

किसानों ने ट्रैक्टर और कुआं सहित अन्य उपकरणों के लिए कर्ज लिया है तो, उसे कर्जमाफी के दायरे में नहीं माना जाएगा। इसमें भी यदि किसान ने दो या तीन बैंक से कर्ज ले रखा है तो सिर्फ सहकारी बैंक का कर्ज माफ होगा। इसके लिए, पहले किसान को कालातीत बकाया राशि बैंक को वापस लौटानी होगी। 

कर्नाटक-पंजाब में भी वादे तोड़े

कर्नाटक में भी जेडीएस-कांग्रेस की सरकार ने किसानों के साथ नाइंसाफी की। चुनाव में तो जोर-शोर से किसानों की कर्जमाफी के नाम पर वोट मांगे गए, लेकिन अब उन किसानों को वारंट भेजा जा रहा है जो कर्ज लौटाने में सक्षम नहीं हैं। वहां रोज 2-3 किसान आत्महत्या कर रहे हैं। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी ने किसानों से झूठे वादे किए। किसानों के कुल 6,000 अरब रुपये की कर्जमाफी का वादा किया गया, लेकिन सत्ता में आते ही सिर्फ 60 हजार करोड़ से भी कम कर्ज माफ किया। पंजाब में भी कांग्रेसी सरकार ने किसानों के साथ ऐसा ही मजाक किया। 90 हजार करोड़ रुपये की माफी का वादा कर सत्ता में आई, लेकिन हर किसान को सिर्फ 5 रुपये की राहत दी।    

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