जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लगने के साथ ही वहां शांति बहाल करने के लिए पिछले एक हफ्ते में दृढ़ संकल्प की शक्ति देखने को मिला। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर भारतीय जनता पार्टी ने जम्मू कश्मीर की महबूबा सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया ताकि आतंकियों, उनके आकाओं या उनके हमदर्दों के साथ किसी भी प्रकार की रियायत न बरती जाए। इनके प्रति बरती गई रियायतों से सुरक्षा बलों का मनोबल प्रभावित होने की आशंका बलवती होती है। सरकार से समर्थन वापसी के बाद ऑपरेशन ऑल आउट को नई रफ्तार भर दी गई है। इसका नतीजा सबके सामने है।
रोज मारे जा रहे हैं आतंकवादी
17 जून को जबसे सीजफायर खत्म करने का ऐलान किया गया तब से सुरक्षा बल 12 से अधिक आतंकियों को मौत के घाट उतार चुकी है। 18 जून को बांदीपोरा में दो आतंकियों को मार गिराया गया। 20 जून को त्राल में जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकियों को ढेर किया गया। इनमें कासिम भी शामिल था जिसने कई बेगुनाहों को दहशत का शिकार बनाया था। 22 जून को श्रीनगर के Srigufwara village में चार आतंकी मारे गए। ये सभी इस्लामिक स्टेट की लोकल यूनिट से जुड़े आतंकी थे। 24 जून को दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में दो आतंकी मारे गए जबकि तीसरे ने सरेंडर किया।
सेना ने तैयार किया 21 दुर्दांत आतंकियों की लिस्ट
राज्यपाल शासन लगने के साथ ही जम्मू कश्मीर से आतंक के अंत में जबरदस्त तेजी आई है। पिछले हफ्ते भर में ही दस आतंकियों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया है। सेना ने 21 आतंकियों की हिटलिस्ट तैयार की है जिसमें 11 हिजबुल मुजाहिदीन के, सात लश्कर-ए-तैय्यबा के, दो जैश-ए-मोहम्मद के और एक अंसार गजवात उल हिंद (AGH) के हैं। सुरक्षा बलों का लक्ष्य इन 21 दुर्दांत आतंकियों को खत्म करना है जो घाटी में अमन-चैन के सबसे बड़े दुश्मन हैं।
राज्य में एनएसजी तैनात, परिजनों को नहीं मिलेगा शव
मोदी सरकार ऐसे तमाम उपायों में लगी है जो राज्य में शांति स्थापना के उद्देश्य में सहायक हों। घर में छुपे आतंकियों को खत्म करने के लिए जहां अब एनएसजी मुस्तैद रहेगी, वहीं मुठभेड़ में ढेर किए गए आतंकियों के शव अब उनके परिजनों को नहीं दिए जाएंगे। मोदी सरकार का रुख साफ है – आतंकी ही नहीं, पत्थरबाज सहित उनके तमाम हमदर्दों पर भी अब पूरी सख्ती होगी।
जम्मू कश्मीर की महबूबा सरकार के आग्रह पर रमजान के मौके पर सुरक्षा बलों ने एकतरफा सीजफायर किया लेकिन इसका रिस्पोंस अच्छा नहीं रहा। पत्रकार-संपादक सुजाता बुखारी की हत्या और ईद मनाने के लिए घर लौटते समय अपहरण करके आर्मी जवान औरंगजेब की हत्या कर दी थी। रमजान के महीने की सीजफायर को छोड़ दें तो आतंकवादियों के प्रति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का रूख कभी कमजोर और नरम नहीं रहा है।
चार साल में मारे गए 598 आतंकी
गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2018 में चार मार्च तक जम्मू कश्मीर में आतंकी हिंसा की 60 घटनाएं हुईं जिनमें 17 आतंकवादी मारे गए। वर्ष 2014 में 110 आतंकवादी ढेर किए गए थे जबकि वर्ष 2015 में जम्मू कश्मीर में आतंकी हिंसा की 208 घटनाएं हुई, जिनमें 108 आतंकवादी मारे गए। वर्ष 2016 में राज्य में आतंकी हिंसा की 322 घटनाओं में 150 आतंकवादी मारे गए, वहीं वर्ष 2017 में आतंकी हिंसा की 342 घटनाएं हुई जिनमें 213 आतंकवादी मारे गए। हालांकि इस दौरान हमारे 213 सुरक्षाबलों के जवान भी शहीद हो गए। लेकिन 2017 की जनवरी से चलाए जा रहे ऑपरेशन ऑल आउट में तो सुरक्षा बलों की तुलना में ढाई गुना से भी अधिक आतंकी मारे गए हैं। गौरतलब है कि 2014 से अब तक 598 आतंकवादी जहन्नुम पहुंचाए जा चुके हैं।
मोदी सरकार के साढ़े तीन साल में मारे गए आतंकी
वर्ष | मारे गए आतंकियों की संख्या |
2014 | 110 |
2015 | 108 |
2016 | 150 |
2017 | 213 |
कुख्यात आतंकवादियों का खात्मा
कश्मीर में पिछले कुछ महीनों में ही सेना और अर्धसैनिक बलों ने लश्कर और हिजबुल मुजाहिदीन के 14 से ज्यादा कमांडर और अहम जिम्मेदारियां संभालने वाले आतंकियों को मार गिराया है। मारे गए बड़े आतंकी चेहरों में- अबू दुजाना (लश्कर), अबू इस्माइल (लश्कर), बशीर लश्करी (लश्कर), महमूद गजनवी (हिजबुल), जुनैद मट्टू (लश्कर), यासीन इट्टू उर्फ ‘गजनवी’ (हिजबुल) और ओसामा जांगवी मुख्य था। इनके अलावा बशीर वानी, सद्दाम पद्दर, मोहम्मद यासीन और अल्ताफ भी सुरक्षा बलों की गोलियों का शिकार हो गया।
मारे गए प्रमुख आतंकियों की सूची-
- बुरहान मुजफ्फर वानी, हिजबुल मुजाहिदीन
- अबु दुजाना, लश्कर ए तैयबा कमांडर
- बशीर लश्करी, लश्कर ए तैयबा
- सब्जार अहमद बट्ट, हिजबुल मुजाहिदीन
- जुनैद मट्टू, लश्कर ए तैयबा
- सजाद अहमद गिलकर, लश्क ए तैयबा
- आशिक हुसैन बट्ट, हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर
- अबू हाफिज, लश्कर ए तैयबा
- तारिक पंडित, हिजबुल मुजाहिदीन
- यासीन इट्टू ऊर्फ गजनवी, हिजबुल मुजाहिदीन
- अबू इस्माइल, लश्कर ए तैयबा
- ओसामा जांगवी, लश्कर ए तैयबा
- ओवैद, लश्कर ए तैयबा
- मुफ्ती विकास, जैश ए मोहम्मद
टेरर फंडिंग पर कसा शिकंजा
टेरर फंडिंग को लेकर राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानि NIA ने अलगाववादियों के कई नेताओं को अंदर किया। NIA के अनुसार कश्मीर में आतंकियों और अलगाववादियों के पास हवाला के जरिए पैसा पहुंचाया जा रहा था। एनआईए ने करोड़ों रुपये जब्त किए हैं वहीं सैयद अली शाह गिलानी, शब्बीर शाह समेत कई बड़े-बड़े अलगाववादी नेता NIA और ED की गिरफ्त में हैं।
पत्थरबाजों पर कसी गई नकेल
वर्ष 2017 में पत्थरबाजी में 90 प्रतिशत तक की कमी आई। जहां पिछले साल हर रोज पत्थरबाजी की 40 से 50 घटनाएं होतीं थीं वहीं अब इक्का-दुक्का घटनाएं ही होती हैं। नोटबंदी का इस पर खासा असर पड़ा है। इसके अलावा टेरर फंडिंग को लेकर एनआईए ने अलगाववादियों पर जो कार्रवाई की उसका भी इस पर सकारात्मक असर पड़ा। जो लोग घाटी में पत्थरबाजों को पैसे बांटते थे, वो नोटबंदी के बाद हमले करने के लिए 100 युवकों को भी नहीं जुटा पा रहे हैं।
आतंकवाद का संरक्षक देश घोषित हुआ पाकिस्तान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों के चलते अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने पाकिस्तान को आतंकवादियों की शरणस्थली वाले देशों की सूची में डाल दिया है। इसके साथ ही अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, रूस, नार्वे, कनाडा, ईरान जैसे देशों ने आतंक के खिलाफ एकजुट रहने का वादा भी किया।
सलाउद्दीन पर लगा प्रतिबंध
प्रधानमंत्री मोदी के दबाव के कारण अमेरिका ने स्वीकार किया कि पाकिस्तान आतंकवादी गतिविधियों को संरक्षण और बढ़ावा देता है। पाकिस्तान में इनको ट्रेनिंग मिलती हैं और यहां से ही इन आतंकवादी संगठनों की फंडिंग हो रही है। 26 जून को अमेरिका ने हिजबुल सरगना सैयद सलाउद्दीन को वैश्विक आतंकी घोषित किया तो साफ हो गया कि आतंक के मामले पर अमेरिका अब भाारत के साथ पूरी तरह खुलकर खड़ा है। दरअसल सलाउद्दीन का जम्मू-कश्मीर में कई हमलों के पीछे उसका हाथ रहा है। आतंकवाद के खिलाफ भारत द्वारा वैश्विक स्तर पर चलाए जा रहे अभियान की यह एक बड़ी सफलता है।
हिजबुल मुजाहिदीन पर बैन
प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों के चलते अमेरिका ने 16 अगस्त, 2017 को हिजबुल मुजाहिदीन को आतंकी संगठन करार दे दिया। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा कि हिजबुल मुजाहिद्दीन को आतंकवादी संगठन घोषित करने से इसे आतंकवादी हमले करने के लिए जरूरी संसाधन नहीं मिलेगा, अमेरिका में इसकी संपत्तियां जब्त कर ली जाएंगी और अमेरिकी नागरिकों को इससे संबद्धता रखने पर प्रतिबंधित होगा। अमेरिका ने यह भी कहा कि हिजबुल कई आतंकी हमलों में शामिल रहा है। अमेरिका इससे पहले लश्कर के मुखौटा संगठन जमात उद दावा और संसद हमले में शामिल जैश ए मोहम्मद पर पाबंदी लगा चुका है।