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जानिए क्यों, राहुल का प्रधानमंत्री तो दूर, पीएम पद का उम्मीदवार बनना भी असंभव है

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लगता है कि कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनना तो दूर प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार भी नहीं बन पाएंगे। एक तरफ कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को पीएम पद का प्रत्याशी बनाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हैं, हर मंच और मौके पर उन्हें देश के अगले पीएम के तौर पर प्रोजेक्ट कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ जिन सहयोगी दलों के बूते कांग्रेस राहुल को पीएम बनाने का सपना देख रही है, उन्हीं दलों के नेता दो टूक कह दे रहे हैं कि प्रधानमंत्री का चयन तो चुनाव परिणाम के बाद ही किया जाएगा। यानि राहुल के लिए विपक्ष की सहमति से प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी बनना दूर की कौड़ी नजर आ रहा है।

कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में राहुल के नाम पर लगी मुहर
हाल ही में मुंबई में हुई CWC की पहली बैठक में राहुल गांधी को सर्वसम्मति से गठबंधन का नेता और प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने पर सहमति जताई गई। बैठक के दौरान कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने राहुल गांधी की तारीफ में कसीदे पढ़े, उन्हें देश की नब्ज पकड़ने वाला और भाजपा को धूल चटाने की कुब्बत रखने वाला नेता बताया गया। अविश्वास प्रस्ताव के दौरान राहुल के नाटकीयता भरे भाषण की तारीफ की गई। हालांकि यह अपने मुंह मियां मिटठू बनने जैसी बात है। क्योंकि कई पीढ़ियों से वंशवाद की राजनीति में डूबे कांग्रेसियों को स्वामिभक्ति करने में ही आनंद आता है। कई दशकों से कांग्रेसी यही करते आ रहे हैं और गांधी परिवार का गुणगान कर रहे हैं। कांग्रेस को पता है कि उसके अकेले के बूते का कुछ भी नहीं है। इसलिए उनकी रणनीति है कि राहुल गांधी को पीएम प्रत्याशी के रूप में प्रोजेक्ट करते हुए दूसरे दलों के पास जाया जाए। यह सच्चाई है कि जब तक क्षेत्रीय दलों का सहयोग नहीं मिलेगा कांग्रेस पार्टी भाजपा और मोदी सरकार का बाल भी बांका नहीं कर सकती है। पर क्षेत्रीय दल तो राहुल गांधी को घास ही नहीं डाल रहे हैं तो उन्हें गठबंधन का नेता कैसा मानेंगे, यह बड़ा सवाल है।

समाजवादी पार्टी ने कहा चुनाव बाद तय हो पीएम का नाम
कांग्रेस वर्किंग कमिटी (CWC) द्वारा राहुल गांधी को विपक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री पद के चेहरे के तौर पर स्थापित करने की कोशिशों को अन्य दलों का साथ नहीं मिल रहा है। समाजवादी पार्टी ने साफ संकेत दिए हैं कि उसे राहुल गांधी की पीएम पद की उम्मीदवारी पर आपत्ति है। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने समय-समय पर स्पष्ट किया है कि विपक्ष की तरफ से पीएम कैंडिडेट कौन होगा, इसका फैसला चुनाव के नतीजों के बाद लिया जाएगा। यानि साफ है कि राहुल के नाम पर अखिलेश यादव की सहमति नहीं है।

मायावती टटोल रही हैं अपनी संभावनाएं
बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती का रुख तो बेहद कड़ा दिखाई दे रहा है। मायावती खुद को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर देख रही हैं, जाहिर है ऐसे में वह किसी दूसरे के नाम पर राजी कैसे हो सकती हैं। मायावती ने तो महागठबंधन पर ही सवाल उठा दिए हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि सम्मानजनक सीटें मिलने पर ही वह किसी दल से आने वाले वक्त में गठबंधन करेंगी। उनके बयान से साफ है कि वह भाजपा के खिलाफ बनने वाले विपक्ष के महागठबंधन में अपनी संभावनाएं तलाश रही हैं और यही उनके लिए सबसे अहम है।

आरजेडी ने कहा विपक्ष के कई नेताओं में पीएम बनने की क्षमता
कांग्रेस पार्टी के सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल ने भी खुलेमन से राहुल गांधी को विपक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार की पेशकश को स्वीकार नहीं किया है। लालू यादव के जेल जाने के बाद पार्टी संभाल रहे तेजस्वी यादव ने इशारा किया है कि विपक्ष में कई ऐसे नेता हैं, जो प्रधानमंत्री पद की दावेदारी कर सकते हैं। राहुल की दावेदारी के बारे पूछने पर तेजस्वी यादव ने कहा है कि क्या राहुल गांधी को आधिकारिक तौर पर पीएम कैंडिडेट घोषित कर दिया गया है? उन्होंने कहा है कि राहुल गांधी के साथ-साथ ममता बनर्जी, शरद पवार, मायावती, ये सभी नेता प्रधानमंत्री बनने की योग्यता रखते हैं। मतलब साफ है कि आरजेडी भी पूरी तरह से राहुल गांधी के साथ नहीं है।

ममता ने पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने का किया ऐलान
तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री विपक्षी गठबंधन की बड़ी नेता हैं और उन्हें नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। ममता बनर्जी का रुख राहुल गांधी को लेकर किसी से छिपा नहीं है। अभी हाल ही में कोलकाता में एक रैली को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया था, इतना ही नहीं उन्होंने कांग्रेस और वाम दलों को बीजेपी के साथ हाथ नहीं मिलाने की चेतावनी भी दी थी। ममता के बयान से साफ है कि वो राहुल की अगुवाई को तो कतई स्वीकार नहीं कर सकती हैं। कहा तो यह भी जाता है कि ममता बनर्जी ने अभी तक राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनने की बधाई नहीं दी है। यानि ममता की चली तो राहुल का प्रधानमंत्री बनने का सपना कभी पूरा नहीं होगा।

एनसीपी, टीडीपी भी राहुल का नेतृत्व मानने के मूड में नहीं
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता शरद पवार और तेलगू देशम पार्टी के नेता चंद्रबाबू नायडू अपने-अपने राज्यों के दिग्गज नेता तो हैं हीं, राष्ट्रीय राजनीति में भी अच्छा-खासा दखल रखते हैं। इनके बिना भाजपा के खिलाफ विपक्ष के महागठबंधन की कल्पना भी मुश्किल है। इन दोनों नेताओं ने अभी खुलकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं, लेकिन पहले जिस तरह ये नेता बयानबाजी करते रहे हैं, उससे साफ है कि सोनिया और मनमोहन की बात अलग थी, लेकिन राहुल का नेतृत्व इन्हें गवारा नहीं हो सकता है।

यानि टांय-टांय फिस हो जाएगी कांग्रेस की मुहिम
जब से स्वामिभक्त कांग्रेसियों ने अपने आका यानि राहुल गांधी को महागठबंधन का नेता और पीएम पद का उम्मीदवार बनाने की मुहिम शुरू की है, उसके बाद से उन्हें सिर्फ जेडीएस के एच डी देवेगौड़ा का समर्थन मिला है। देवेगौड़ा के अलावा और किसी भी विपक्षी दल के नेता ने राहुल के पक्ष में अपनी राय व्यक्त नहीं की है, बल्कि सभी दलों ने दबी जुबान में विरोध ही किया है। अब ऐसे में बताइए कि कांग्रेसियों की राहुल गांधी को पीएम प्रत्याशी बनाने की कोशिश कैसे पूरी हो सकेगी। लगता तो यही है कि कांग्रेसियों की मुहिम टांय-टांय फिस हो जाएगी।

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