Home समाचार इसरो ने दिखाया 56 इंच का सीना, बड़ी सोच से रचा इतिहास

इसरो ने दिखाया 56 इंच का सीना, बड़ी सोच से रचा इतिहास

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान, इसरो ने एक साथ 104 उपग्रह लांच करके एक नया इतिहास रच दिया है। इससे पहले एक अभियान में इतने उपग्रह एक साथ कभी नहीं छोड़े गए। एक अभियान में सबसे ज्यादा 37 उपग्रह भेजने का विश्व रिकार्ड रूस के नाम था। यह प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से किया गया।

इस अभियान में भेजे गए 104 उपग्रहों में से तीन भारत के हैं। विदेशी उपग्रहों में 96 अमेरिका के तथा इजरायल, कजाखिस्तान, नीदरलैंड, स्विटजरलैंड और संयुक्त अरब अमीरात के एक-एक हैं। इसरो ने जून 2015 में एक मिशन में 23 उपग्रह लांच किए थे। 1993 से लेकर अब तक इसने 38 उड़ानों में 180 विदेशी उपग्रह स्पेस में पहुंचाए हैं।

इसरो की बड़ी उपलब्धियां-
चंद्रयान- इसरो ने 22 अक्टूबर 2008 को स्वदेश निर्मित मानव रहित अंतरिक्ष यान चंद्रयान को चांद पर भेजकर इतिहास रच दिया था।

मंगलयान- पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह तक पहुंचने में कामयाब रहने वाला भारत पहला देश है। अमेरिका के मेडिसन स्क्वायर गार्डन में मंगलयान अभियान की सफलता का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि अहमदाबाद में ऑटो रिक्शा से एक किलोमीटर जाने पर 10 रुपए का खर्च आता है, लेकिन हमारे मंगलयान द्वारा तय की गई यात्रा पर तो महज सात रुपए प्रति किलोमीटर का खर्च आया। उन्होंने कहा कि हमारे मंगल अभियान का खर्च हॉलीवुड की एक चर्चित साइंस फिक्शन फिल्म की लागत से भी कम था।

खुद का नेविगेशन सिस्टमः इसरो ने 28 अप्रैल 2016 को देश का सातवां नेविगेशन उपग्रह IRNSS (इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम) लांच करके अमेरिका के जीपीएस सिस्टम के समान अपना खुद का नेविगेशन सिस्टम बना दिया। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन के पास यह सिस्टम है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सफल प्रक्षेपण पर इसरो दल को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से एक ही रॉकेट के जरिए किए गए 104 उपग्रहों के सफल प्रक्षेपण पर वैज्ञानिकों की प्रशंसा की। प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा कि इसरो को पीएसएलवी-सी37 और कार्टोसैट उपग्रह के साथ 103 नैनो उपग्रहों के सफल प्रक्षेपण के लिए बधाई। उन्होंने कहा कि इसरो द्वारा हासिल की गई यह अहम उपलब्धि हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिक समुदाय और देश के लिए गौरवपूर्ण क्षण है। भारत अपने वैज्ञानिकों को सलाम करता है।

इस लांच के साथ भारत ने दिखा दिया है कि अगर आप कुछ बड़ा करना चाहते हैं तो आपकी सोच बड़ी होनी चाहिए। अगर आप बड़ी सफलता हासिल करने में रुचि रखते हैं, तो बड़ा सोचिए। और बड़ी सोच का बड़ा जादू यह है कि भारत हर क्षेत्र में परचम लहराता जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बड़ी सोच और दूरदृष्टि के साथ देश के कामयाबी के पथ पर आगे ले जा रहे हैं। उनकी बड़ी सोच का कुछ उदाहरण देखिए-

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस
प्रधानमंत्री के प्रयास के कारण संयुक्त राष्ट्र ने 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया। 21 जून 2015 को नई दिल्ली में राजपथ पर पहले अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के लिए 35 मिनट तक 21 योग आसन का प्रदर्शन किया गया। राजपथ पर हुए समारोह में दो गिनीज रिकॉर्ड्स बने- 35,985 लोगों के साथ सबसे बड़ी योग क्लास और चौरासी देशों के लोगों द्वारा इस आयोजन में एक साथ भाग लेने का रिकॉर्ड।

गिफ्ट सिटी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गिफ्ट सिटी का सपना गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान देखा था। 20 अरब डॉलर के इस मेगा प्रोजेक्ट की पहचान पूरे विश्व में एक अलग तरह से होगी। 886 एकड़ में फैले इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य हाई क्वालिटी फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराना है।

गिफ्ट सिटी में 269 हेक्टयेर में एसईजेड बनेगा और यह एसईजेड में जो कंपनी आएगी, उसे टैक्स में छूट मिलेगी। प्रधानमंत्री ने पिछले दिनों गिफ्टी सिटी के अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) में देश के पहले अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंज इंडिया आईएनएक्स का उद्घाटन किया। इससे भारतीय कंपनियां विदेशी कंपनियों के साथ बराबरी के मंच पर सामना कर सकेंगी। यह एक्सचेंज एक दिन में 24 में 22 घंटे काम करेगा, जिससे इसमें अंतरराष्ट्रीय निवेशक और एनआरआई दुनिया में कहीं से भी खरीद-फरोख्त कर सकेंगे।

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी
प्रधानमंत्री की बड़ी सोच का ही एक प्रतिमूर्ति है स्टैच्यू ऑफ यूनिटी। सरदार पटेल का यह स्मारक 182 मीटर (597 फीट) ऊंचा होगा। पूरी तरह से बन जाने के बाद यह विश्व का सबसे ऊंचा स्मारक होगा। गुजरात के मुख्यमंत्री रहते नरेन्द्र मोदी ने 31 अक्टूबर 2013 को सरदार पटेल के जन्मदिवस के मौके पर इस विशालकाय मूर्ति के निर्माण का शिलान्यास किया। यह स्मारक सरदार सरोवर बांध से 3.2 किमी की दूरी पर साधू बेट नामक स्थान पर है जो कि नर्मदा नदी पर एक टापू है। फिलहाल विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति 152 मीटर की चीन में स्प्रिंग टैम्पल बुद्ध है।

छत्रपति शिवाजी मेमोरियल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 दिसंबर 2016 को मुंबई में अरब सागर में बनने वाले विशायकाय छत्रपति शिवाजी स्मारक की नींव रखी। इस स्मारक की लागत 3600 करोड़ आंकी गई है। इस स्मारक में शिवाजी की मूर्ति स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से भी काफी ऊंची होगी। घोड़े समेत शिवाजी की मूर्ति की ऊंचाई 192 मीटर (करीब 630 फीट) होगी। ये स्मारक 32 एकड़ के चट्टान पर तैयार होगा। 10 हजार लोग एक साथ स्मारक का दर्शन कर पाएंगे।

सोलर चरखा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 5 करोड़ सोलर चरखे बनाने का सपना लुधियाना से शुरू हो चुका है। 16 स्पिंडल वाले इस सोलर चरखे के जरिए देश की पांच करोड़ महिलाओं को रोजगार देने का लक्ष्य रखा गया है। पीएम के इस प्रोजेक्ट से वे 5000 से 7000 रुपए महीना तक कमा सकेंगी और खादी का उत्पादन भी बढ़ेगा।

इसके साथ ही केंद्र सरकार की कुछ ऐसी योजनाएं हैं जो पीएम मोदी की बड़ी सोच को दर्शाता है।

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के अंतर्गत मोदी सरकार ने जो काम किया है, उसने गरीबों के घर में रौनक ला दी है। महज 8 महीने के अंदर 1.5 करोड़ गरीबों को प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के अंतर्गत मुफ्त एलपीजी सिलेंडर दे दी गई है। सरकार का लक्ष्य तीन साल में 5 करोड़ गरीब लोगों को मुफ्त एलपीजी सिलेंडर देना है।

प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना
प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत एक करोड़ गरीबों को पहली बार सिर पर छत नसीब होगा। ये सब प्रधानमंत्री मोदी की महत्त्वाकांक्षी योजना से संभव हो पा रहा है। योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में 2022 तक सभी को आवास देना है। सरकार इस मिशन में युद्धस्तर पर जुट गई है। इसके लिए देश भर में 60 हजार से ज्यादा सेंटर्स पर काम चल रहा है।

स्वच्छ भारत मिशन
स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण इलाकों में 21 जनवरी 2016 तक तीन करोड़ 20 लाख घरों में शौचालय बनाए जा चुके थे। एक लाख 26 हजार गांवों को खुले में शौच से मुक्ति मिल चुकी है। इस अभियान में 2019 तक यानी महात्मा गांधी की 150वीं जयंती तक भारत को स्वच्छ बनाने का लक्ष्‍य किया गया है। इसके तहत सरकार ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों तक शौचालय और साफ-सफाई की सुविधाएं पहुंचाने का काम कर रही है।

दीन दयाल उपाध्‍याय ग्राम ज्‍योति योजना
दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत देश के पांच लाख, 97 हजार, 464 गांवों में से पांच लाख, 91 हजार, 581 गांवों में बिजली पहुंचा दी गई है। सरकार ग्रामीण इलाके तक बिजली पहुंचाने के लिए 75 हजार 600 करोड़ रुपए खर्च कर रही है।

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