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प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की एक्ट ईस्ट नीति को मिल रही नई धार

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2 जून तक इंडोनेशिया, मलेशिया और सिंगापुर के दौरे पर रहेंगे। यह दौरा एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत दक्षिणपूर्व एशिया के साथ संबंधों को बढ़ाने के लिए भारत के प्रयासों का हिस्सा है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि इन तीनों देशों के साथ भारत के मजबूत संबंध हैं और उनके दौरे से देश की एक्ट ईस्ट नीति को और बढ़ावा मिलेगा।

दरअसल भारत को जो काम वर्षों पहले करना चाहिए था, वह नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद हो रहा है। गौरतलब है कि 1950 के दशक में भारत ने एशिया का नेतृत्व करने की ठानी थी, लेकिन 1960 के दशक में ही भारत ने दक्षिण पूर्वी देशों से मुंह मोड़ लिया था।

1990 के दशक में भारत सरकार को इस क्षेत्र की याद आई और इन देशों के साथ सम्बन्धों में प्रगाढ़ता कायम करने के लिए लुक ईस्ट नीति तैयार की गई। हालांकि यह नीति कभी जमीन पर उतर नहीं पाई। लुक ईस्ट नीति महज एक नीति रही, भारत इसे लुक एक्ट नीति में नहीं बदल सका।

नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद इसके लिए एक्शन प्लान तैयार किया गया और न सिर्फ आर्थिक बल्कि राजनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों के बढ़ावे पर भी जोर दिया जा रहा है। यह भारत के हित में इसलिए भी है कि दक्षिण पूर्वी एशिया में चीन अपना प्रभाव तेजी से बढ़ा रहा है। इसे देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दूरंदेशी से काम ले रहे हैं। उन्होंने क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे बल देने के साथ सामरिक सांझेदारी और समुद्री सहयोग पर भी फोकस किया है।

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा एक्ट ईस्ट नीति के तहत चीन को जैसे को तैसा वाला जवाब भी माना जा रहा है। दरअसल पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका, मालदीव और म्यांमार में दखल बढ़ा रहा है। ऐसे में भारत उन देशों से अपने संबंधों को बढ़ा रहा है जो चीन की विस्तारवादी नीतियों से परेशान हैं।

गौरतलब है कि जापान, फिलीपीन्स, ताईवान, ब्रूनेई, मलेशिया, इंडोनेशिया और वियतनाम के साथ दक्षिणी चीन सागर को लेकर चीन का विवाद चल रहा है। अंतरराष्ट्रीय न्यायाल में चीन के विरुद्ध फैसला आने के बाद भी वह नहीं मान रहा है और अपना दखल बढ़ाता जा रहा है। ऐसे में भारत की यह नीति सही है कि इन आसियान देशों से सहयोग बढ़ाकर चीन के विरुद्ध एक मत तैयार करे।

इसी क्रम में भारत म्यांमार की सेना को रक्षा सहयोग और प्रशिक्षण भी दे रहा है। भारत और थाइलैंड के बीच 8 अरब डॉलर का व्यापार होता है। भारत, म्यांमार और थाइलैंड को जोड़ने वाले त्रिपक्षीय राजमार्ग पर काम जारी है जो 2019 के अन्त तक शुरू हो जाएगा। बहरहाल परिणाम चाहे जो भी हो, परन्तु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की डिप्लोमेसी का अन्दाज अलग ही रहा है।

पीएम मोदी की ‘एक्ट ईस्ट पालिसी’
प्रधानमंत्री मोदी ने यूपीए सरकार की ‘लुक अप ईस्ट’ की पॉलिसी को ही बदल डाला। एक नई ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ लायी, जिसमें इन राज्यों को पूर्वी और दक्षिणी पूर्वी एशिया के देशों- मयांमार, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लावोस, फिलीपींस, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम से व्यापार करने के लिए फ्रंटलाइन राज्य माना गया।

इसी पॉलिसी के तहत बांग्लादेश के साथ संबंध सुधारने को प्रधानमंत्री मोदी ने प्राथमिकता दी, और बांग्लादेश से कई समझौते करके सबंधों को एक ठोस मजबूती दी। पूर्वोत्तर राज्यों के विकास को मजबूती देने के लिए ही प्रधानमंत्री मोदी ने ASEAN देशों की पिछले तीन सालों में यात्राएं की और सामारिक महत्व के कई समझौते किये। आज इन देशों से संबंध एक नई ऊंचाई पर पहुंच चुके हैं। देश में पहली बार ऐसा हुआ, जब 2018 के गणतंत्र दिवस समारोह में ASEAN देशों के सभी दस राष्ट्रों के शासनाध्यक्ष अतिथि के तौर पर हिस्सा लिया। 

जापान की भागीदारी
भारत में पूर्वोत्तर के राज्यों के विकास में ASEAN देशों के साथ-साथ जापान की एक बड़ी भूमिका है। जापान, भारत का शुरु से सहयोगी रहा है और साल 2000 से भारत के आधारभूत ढांचे के विकास के लिए निवेश करता रहा है। लेकिन जापान में 2012 में शिंजों अबे के आने के बाद से और 2014 में नरेन्द्र मोदी के भारत में प्रधानमंत्री बनने से रिश्तों में एक नई ताजगी आयी। सितंबर 2014 में प्रधानमंत्री मोदी की जापान यात्रा ने दोस्ती को सामरिक और रणनीतिक भागीदारी में बदल दिया, उसी का परिणाम रहा कि जापान ने मई 2017 में भारत के साथ न्यूक्लियर डील भी कर डाली। जापान, 2019 तक भारत में 33 बिलियन डॉलर का निवेश करने की घोषणा पहले ही कर चुका है।

दूसरे देशों के इलाके पर कब्जा करने की चीन की नीति से जापान भी परेशान है। वह चीन से सीमा को लेकर हो रहे विवादों में भारत के साथ खड़ा है। भारत के लिए यह जरूरी है कि पूर्वोत्तर राज्यों के आधारभूत ढांचे का विकास करके चीन की चुनौती का माकूल जवाब दिया जाए।
भारत की इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए जापान, पूर्वोत्तर राज्यों में केन्द्र सरकार की योजनाओं में धन लगाने की तैयारी कर रहा है।

मोदी सरकार की सामारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कुछ परियोजनाओं में जापान निवेश करने की तैयारी कर रहा है। ये योजनाएं हैं-

  • अरूणाचल प्रदेश में पनबिजली परियोजना
  • नेपाल, बांग्लादेश, मयांमार से जोड़ने के लिए सड़क और पुल परियोजना
  • इंफाल (मणिपुर) को मोरेह (मयांमार) की सड़क परियोजना
  • मयांमार के Dawei SEZ से पूर्वोत्तर राज्यों को जोड़ने की परियोजना
  • मयांमार Sittwe बंदरगाह से जोड़ने वाली Kaladan Multimodal Transit Transport Project
  • पूर्वोत्तर राज्यों में स्मार्ट सिटी परियोजना
  • बांग्लादेश, नेपाल, मयांमार से लगी नेशनल हाईवे 51 व 54 को upgrade करने की परियोजना
  • त्रिपुरा की फेनी नदी पर पुल परियोजना जो अगरतल्ला को बांग्लादेश के चिटगांव से जोड़ेगा।
  • आयजोल- तियुपांग(मिजोरम) सड़क परियोजना- यह परियोजना 32 देशों के सहयोग से बनने की तैयारी में Great Asian Highway का हिस्सा होगी। Great Asian Highway, 141,000 किमी लंबी सड़कों का नेटवर्क होगी।

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